Published On: Tue, Jun 3rd, 2025

IAS Story: पापा ने दिया चैलेंज बेटी बन गई IAS, अब ऑडियो हो गया वायरल, मच गया बवाल


IAS Story, Viral Audio Clip: हैदराबाद की एक महिला अधिकारी इनदिनों चर्चा में हैं.उनकी एक ऑडियो क्‍लिपिंग वायरल हो रही है जिसके बाद वह काफी सुर्खियों में हैं. इस घटना ने राजनीति से लेकर प्रशासनिक गलियारों में हडकंप मचा दिया है. आइए जानते हैं कि ये अधिकारी कौन हैं और पूरा मामला क्‍या है?

IAS VS Alagu Varshini: हैदराबाद में एक महिला IAS अधिकारी की ऑडियो क्‍लिपिंग वायरल हो रही है. इस ऑडियो में कही गई उनकी बात हर तरफ चर्चा का विषय बन गई है.इस आईएएस अधिकारी का नाम है डॉ. वी. एस. अलगु वर्षिणी. वह तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी (TGSWREIS) की सेक्रेटरी हैं. अभी जो उनका एक ऑडियो वायरल हो रहा है, उसमें वह गुरुकुल स्कूलों के बच्चों से टॉयलेट और हॉस्टल रूम साफ करने की बात कह रही हैं. इस बयान पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC)ने तुरंत एक्शन लिया और तेलंगाना के चीफ सेक्रेटरी और DGP को नोटिस भेजकर 15 दिन में एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी है.

Who is IAS VS Alagu Varshini: कौन हैं ये महिला IAS?

महिला आईएएस अधिकारी डॉ.वी.एस.अलगु वर्षिणी तेलंगाना कैडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)अधिकारी हैं.वर्तमान में वह सेक्रेटरी,तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी (TGSWREIS)के रूप में कार्यरत हैं. वर्षिणी का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोलाची में हुआ. उनके मम्मी-पापा,वी.एस.सोमा सुंदरम और एम.सेलवनायगम दोनों टीचर थे.पापा फिजिक्स पढ़ाते थे और मम्मी केमिस्ट्री. उनके घर में पढ़ाई को बहुत अहमियत दी जाती थी. उनके पापा का सपना था एक ऐसा स्कूल बनाना,जहां हर बच्चा अच्छी शिक्षा पाए इसीलिए उन्होंने शिवालिक मैट्रिकुलेशन स्कूल शुरू किया,जो अब 40 साल पुराना है.एक इंटरव्‍यू में वर्षिणी ने बताया कि वह बचपन में थोड़ी शरारती थीं. दोस्तों को पढ़ाई छोड़कर खेलने बुलाती थीं,लेकिन मन में कुछ बड़ा करने का जज्बा भी था. उनकी चचेरी बहन,जो गायनेकोलॉजिस्ट थीं वह उनकी रोल मॉडल थीं. वह उनकी गाड़ी और इज्जत देखकर डॉक्टर बनना चाहती थीं. शुरू में वो सोचती थीं कि शादी करके एक साधारण जिंदगी जिएंगी,लेकिन किस्मत ने कुछ और सोचा था.

MBBS नहीं, तो BDS चुना

वर्षिणी को MBBS में सीट नहीं मिली और उनके पापा मैनेजमेंट कोटे की मोटी फीस देने के खिलाफ थे तो उन्होंने चेन्नई के मीनाक्षी अम्माल डेंटल कॉलेज में BDS(दांतों की डॉक्टरी)में दाखिला लिया. वहां उन्होंने प्रोस्थोडोंटिक्स और एंडोडोंटिक्स में स्टेट लेवल अवार्ड जीते. उनका सपना था ओरल सर्जरी में मास्टरी करके गरीबों के लिए मुफ्त सर्जरी करना,लेकिन सरकारी सीटें कम होने से ये रास्ता बंद हो गया.

पापा ने दिया UPSC का चैलेंज

वर्षिणी के पापा भी कभी सिविल सर्विस में जाना चाहते थे.उन्होंने बेटी को चैलेंज दिया कि अगर वह UPSC प्रीलिम्स पास कर लेतीं,तो वो मेडिकल की मैनेजमेंट फीस देंगे. पहली बार में वो फेल हो गईं, लेकिन हार नहीं मानी. दूसरी बार पूरी मेहनत से पढ़ाई की और 2013 में UPSC पास कर लिया.

डाक सेवा से IAS तक

UPSC पास करने के बाद वो पहले भारतीय डाक सेवा में गईं.वहां उन्होंने पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस में काम किया और पोस्टल बैंकिंग सिस्टम की ट्रेनिंग टीम में रहीं. बिहार में काम करने से उन्हें फाइनेंस की अच्छी समझ मिली. बाद में वो तेलंगाना कैडर में IAS बनीं और आज गुरुकुल स्कूलों की देखरेख करती हैं.पोलाची में 25 की उम्र तक उनकी ज्यादातर सहेलियों की शादी हो गई थी. लोग उनके मम्मी-पापा से उनकी शादी के लिए सवाल करने लगे. UPSC पास करके वर्षिणी ने सबकी बोलती बंद कर दी. 2017 में वर्षिणी की जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव आए. उनके भाई की बेटी का निधन, गर्भावस्था की परेशानियां,तबादला और पापा का जाना यह सब कुछ उन्‍होंने एक साथ झेला.वह नौकरी छोड़कर क्लिनिक खोलना चाहती थीं,लेकिन तभी उन्हें स्वास्थ्य विभाग में मौका मिला. उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में निदेशक का पद संभाला और समाज सेवा का रास्ता चुना.

क्या है पूरा मामला?

पिछले हफ्ते इस महिला आईएएस का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर आग की तरह फैला, जिसमें IAS अधिकारी अलगु वर्षिणी गुरुकुल स्कूलों के प्रिंसिपलों को हिदायत दे रही थीं कि बच्चों को अपने हॉस्टल रूम्स और टॉयलेट्स साफ करने चाहिए. ये स्कूल ज्यादातर दलित और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए हैं, जो सरकार की तरफ से फ्री एजुकेशन और हॉस्टल की सुविधा पाते हैं.
वर्षिणी का कहना था कि ये बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं, इसलिए उन्हें खुद का ख्याल रखना सीखना चाहिए.इस ऑडियो में वह कह रही हैं कि इन बच्चों को रोटी बनानी पड़े तो बनाएंगे, कमरा साफ करना है तो करेंगे. टॉयलेट साफ करने में क्या गलत है? ये तो लाइफ स्किल्स का हिस्सा है.
लेकिन ये बात कई लोगों को नागवार गुजरी. विपक्षी नेताओं और सोशल एक्टिविस्ट्स ने इसे दलित बच्चों के खिलाफ भेदभाव और जातिगत टिप्पणी करार दिया. सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर #TelanganaGurukul ट्रेंड करने लगा और लोग इसे सरकार की दलित-विरोधी सोच बता रहे हैं.

IAS को बर्खास्‍त करने की मांग

BRS (भारत राष्ट्र समिति) के नेता और पूर्व TGSWREIS सेक्रेटरी डॉ.आर.एस.प्रवीण कुमार ने इस बयान की कड़ी निंदा की. उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी अपने बच्चों से स्कूल के टॉयलेट साफ करवाते हैं? अगर नहीं, तो दलित बच्चों को ही क्यों ये काम? प्रवीण ने अलगु वर्षिणी की बर्खास्तगी की मांग की और कहा कि ये आदेश सिर्फ दलित बच्चों को नीचा दिखाने की साजिश है. ये IAS अधिकारी ‘होलिस्टिक एजुकेशन’ का बहाना लेकर जातिवादी सोच को बढ़ावा दे रही हैं.BRS की MLC कल्वकुंटला कविता ने भी सरकार को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि गुरुकुल स्कूल इसलिए बनाए गए थे ताकि दलित और गरीब बच्चे जाति और क्लास के भेदभाव से बच सकें, लेकिन अब इन बच्चों से टॉयलेट साफ करवाना कहां का इंसाफ है?कविता ने ये भी खुलासा किया कि BRS सरकार के वक्त हर गुरुकुल स्कूल को 40,000 रुपये महीना सफाई कर्मचारियों के लिए मिलता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने ये फंड बंद कर दिया. उन्होंने दावा किया कि 240 स्कूलों में असिस्टेंट केयरटेकर के पद भी खत्म कर दिए गए, जिसके चलते बच्चों को टॉयलेट साफ करने और किचन संभालने जैसे काम करने पड़ रहे हैं.

IAS अधिकारी ने दी अपनी सफाई

विवाद बढ़ने पर आईएएस अधिकारी डॉ.अलगु वर्षिणी ने एक और ऑडियो मैसेज जारी किया, जिसमें उन्होंने अपनी सफाई दी. उन्होंने कहा कि मेरी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. मेरा मकसद बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना था, न कि उनका अपमान करना.उनका तर्क था कि हमारे स्कूलों के बच्चे बेहद गरीब बैकग्राउंड से आते हैं. इनका सालाना फैमिली इनकम 2 लाख से ज्यादा नहीं होता. इन्हें लाइफ स्किल्स सिखाना जरूरी है.विदेशों में बच्चे अपने कमरे और टॉयलेट खुद साफ करते हैं. ये कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि होलिस्टिक डेवलपमेंट का हिस्सा है.मैंने कभी स्टाफ की कमी की बात नहीं की. हमारे स्कूलों में सफाई कर्मचारी हैं. ये सिर्फ बच्चों को जिम्मेदार बनाना था.
वर्षिणी ने ये भी कहा कि उनकी 2.5 घंटे की बातचीत को 4 मिनट की क्लिप में एडिट करके पॉलिटिक्स की जा रही है. उन्होंने गांधी और अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा, “स्वच्छता और मेहनत की गरिमा को बढ़ावा देना मेरा मकसद था.

SC आयोग का सख्त रुख

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया. 31 मई 2025 को जारी नोटिस में आयोग ने चीफ सेक्रेटरी के.रामकृष्ण राव और DGP डॉ.जितेंद्र से पूछा कि IAS अधिकारी के इस बयान पर क्या एक्शन लिया गया? आयोग के डायरेक्टर जी.सुनील कुमार बाबू ने चेतावनी दी कि अगर 15 दिन में जवाब नहीं मिला, तो संविधान के आर्टिकल 338 के तहत समन जारी हो सकता है. आयोग का कहना है कि ये बयान दलित बच्चों के खिलाफ अपमानजनक हो सकता है और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है.

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