Published On: Mon, Jun 2nd, 2025

How will the targets of the schemes be achieved? Responsible workload | कैसे होगा योजनाओं का टारगेट पूरा?: मुख्य सचिव से लेकर 48 IAS अधिकारी संभाल रहे कई विभागों का जिम्मा – Rajasthan News


राजस्थान में मुख्य सचिव समेत 48 आईएएस अफसरों और दो दर्जन आरएएस अफसर काम का दोहरा बोझ झेल रहे हैं। प्रदेश के 17 वरिष्ठ आईएएस अफसरों के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर होने के कारण इन्हें दूसरे विभागों का भी जिम्मा संभालना पड़ रहा है।

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ये वो अफसर हैं जिनके पास पहले से ही बिजली, किसान, ट्रांसपोर्ट सर्विस जैसे जनता से जुड़े विभाग हैं। एसीएस स्तर के सात, प्रमुख सचिव स्तर के 4 और सचिव स्तर के 15 अधिकारी हैं, जिनके पास अतिरिक्त विभागों के चार्ज हैं।

अधिकारियों का कहना है कि नौकरशाहों पर अतिरिक्त काम के बोझ का प्रमुख कारण अनुभवी अधिकारियों की कमी है। ऐसे में सरकार नए अधिकारियों की बजाए अनुभवी अधिकारियों को ही अतिरिक्त चार्ज देकर काम चला रही है।

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राजस्थान के 17 वरिष्ठ IAS अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

राजस्थान के 17 वरिष्ठ IAS अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

1. ऐसे कैसे होगा राजस्थान बिजली में आत्मनिर्भर?

भजनलाल सरकार ने किसानों को सर्दी में दिन में बिजली और सस्ती बिजली देने का वादा किया है। लेकिन प्रदेश में अक्षय ऊर्जा (सोलर, विंड एनर्जी) के अध्यक्ष का पद एक साल से खाली चल रहा है। प्लांट से सस्ती बिजली बनाने वाली कंपनियों को सिर्फ निर्देश ही मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक गुप्ता के पास 13 फरवरी 2024 से इस विभाग का अतिरिक्त चार्ज है। पूर्णकालीन अफसर नहीं होने से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (पीएम कुसुम) के लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहे हैं।

सरकार ने राजस्थान स्वच्छ ऊर्जा नीति- 2024 जारी की है जिसमें वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में 35 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसमें भी 28 लाख करोड़ से अधिक तो अकेले ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित है।

इस बीच, ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक का अतिरिक्त प्रभार दूसरे अफसर को सौंप दिया गया। सीनियर आईएएस आरती डोगरा चेयरमैन, डिस्कॉम और जयपुर विद्युत निगम लिमिटेड की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

2. वायु प्रदूषण से घुट रहा है दम, विभाग चार्ज के सहारे

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी एक साल से अतिरिक्त चार्ज के सहारे है। सरकार पूर्णकालिक आईएएस की नियुक्ति नहीं कर पा रही है। इस बोर्ड के प्रमुख कार्य जल और वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण, औद्योगिक इकाइयों के संचालन के लिए सहमति देना, पर्यावरणीय अनुकूल प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना है। ताकि प्रदेशवासियों को साफ-सुथरी हवा मिल सके।

प्रदूषण से राजस्थान की स्थिति सबसे खराब है। हालात यह हैं कि देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में 9 राजस्थान के हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 25 मई 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान के बीकानेर में स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 76 अंकों के उछाल के साथ 267 पर पहुंच गया था।

3. सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाला विभाग ही चार्ज के सहारे

राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की जानकारी जनता को देने की है। लेकिन, आयुक्त एवं संयुक्त सचिव सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का पद खाली चल रहा है। आईएएस सुनील शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद आरएएस ऑफिसर अरविंद सारस्वत को अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया।

मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक गुप्ता सूचना एंव जनसंपर्क विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं। जानकारों का कहना है कि सीएमओ में बैठने वाले अधिकारी के पास काम का भार ज्यादा होता है। ऐसे में जो उन्हें अतिरिक्त चार्ज सौंप रखे हैं, उन पर ज्यादा ध्यान दे पाना मुश्किल होता है।

4. किसानों से जुड़े विभाग का चार्ज मुख्य सचिव के पास

राजफैड का काम प्रदेश के किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद हेतु, राजफेड (RAJFED) पंजीकरण की प्रक्रिया करना, किसानों के लिए जरूरी उर्वरक, बीज, कीटनाशक उपलब्ध करवाने का है। लेकिन यह विभाग भी अतिरिक्त चार्ज के सहारे है, जिसकी जिम्मेदारी मुख्य सचिव सुधांश पंत के पास है।

मुख्य सचिव ब्यूरोक्रेसी का मुखिया होता है। ऐसे में वह पूर्णकालीन अफसर जो ध्यान देता उतना नहीं दे पाते हैं। समय-समय पर किसान संगठन समर्थन मूल्य को लेकर नाखुशी जाहिर करते रहे हैं।

5. आपदा विभाग राम भरोसे, कैसे मिलेगी राहत?

प्रदेश में आपदा विभाग राम भरोसे चल रहा है। सरकार ने पूर्णकालिन आईएएस की नियुक्ति नहीं की है। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार जिम्मेदारी संभाले हुए है। भारत-पाक तनाव के बीच भी आपदा विभाग को पूर्णकालीन आईएएस नहीं मिला। जबकि माॅक ड्रिल अभियान को अतिरिक्त चार्ज के भरोसे ही पूरा किया गया था। बाढ़, आंधी-तूफान और मौसम से हुई जन धन की हानी का आकलन आपदा विभाग ही करता है। लेकिन पिछले एक साल से आपदा विभाग को पूर्णकालीन अफसर नहीं मिला है।

इन आरएएस अफसरों के पास है अतिरिक्त चार्ज

  • अरुण प्रकाश शर्मा : संयुक्त सचिव, सरकार, प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय
  • मेघना चौधरी : ओएसडी, आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विश्वविद्यालय, अजमेर
  • ओमप्रकाश जैन : अपर आबकारी आयुक्त, जोन उदयपुर। अपर आयुक्त (प्रशासन), आबकारी विभाग, उदयपुर।
  • राजेश सिंह : अतिरिक्त निदेशक, पर्यटन विभाग, जयपुर।
  • महेंद्र कुमार शर्मा : संयुक्त सचिव, सरकार, उच्च शिक्षा विभाग, राजस्थान, जयपुर
  • अरविंद सारस्वत : आयुक्त एवं संयुक्त सचिव, सरकार, सूचना एवं जनसंपर्क।
  • जयसिंह : अतिरिक्त निदेशक, एचसीएम आरआईपीए।
  • मुरलीधर प्रतिहार : रजिस्ट्रार, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा
  • आशीष कुमार शर्मा : निदेशक, मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग, जयपुर
  • अबू सूफियान चौहान : मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राजस्थान वक्फ बोर्ड, जयपुर
  • प्रतिभा पारीक : एल.ए.ओ., गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, जयपुर
  • कीर्ति राठौड़ : कार्यकारी निदेशक, राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड, उदयपुर
  • सीमा कविया : अतिरिक्त संभागीय आयुक्त, जोधपुर
  • नीतू बारूपाल : सचिव, राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग
  • सुंधाश सिंह : अपर निदेशक, खान एवं भूविज्ञान, उदयपुर
  • अखिलेश कुमार :रजिस्ट्रार, महात्मा गांधी दिव्यांग विश्वविद्यालय, जोधपुर
  • मधु रघुवंशी : निदेशक, महात्मा गांधी विद्यापीठ-गांधी अध्ययन केंद्र, जयपुर
  • मुकेश कुमार मीना : उप आयुक्त, उपनिवेशन, जैसलमेर
  • प्रगति आसोपा : सचिव, राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग, जयपुर
  • अशोक कुमार : सचिव, यूआईटी बालोतरा।
  • मुक्ता राव : सेटलमेंट अधिकारी, जयपुर।

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