Himachal’s Largest District Kangra Does Not Even Have Staff To Operate Ventilators – Amar Ujala Hindi News Live


कांगड़ा में वेंटिलेटर चलाने के लिए स्टाफ तक नहीं
– फोटो : संवाद
विस्तार
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में कोरोना काल में लोगों को जीवनदान देने वाले वेंटिलेटरों की आज बिना इस्तेमाल के सांसें फूल रहीं हैं। वेंटिलेटरों के संचालन के लिए आज स्वास्थ्य विभाग के पास प्रशिक्षित स्टाफ तक नहीं है। इस वजह से करोड़ों के वेंटिलेटर बंद कमरों में धूल फांक रहे हैं। कोरोना काल के बाद इन वेंटिलेटरों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस वजह से कुछ वेंटिलेटर खराब हो चुके हैं। कोरोना काल में जिला कांगड़ा के स्वास्थ्य संस्थानों और मेडिकल कॉलेज टांडा को 185 वेंटिलेटर दिए गए थे। इसमें से अब 25 खराब हैं और बाकी धूल फांक रहे हैं।
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पीएम केयर फंड से कांगड़ा और राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा को वेंटिलेटर मिले थे। अब प्रशिक्षित स्टाफ की कमी है। कांगड़ा के सभी अस्पतालों के केवल 10 एनेस्थेटिक हैं। उधर जोनल अस्पताल धर्मशाला में ही 19 वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा कांगड़ा अस्पताल में तीन, देहरा में एक, नूरपुर में एक, नगरोटा बगवां में एक, इंदौरा में एक और पालमपुर अस्पताल में दो एनेस्थेटिक तैनात हैं। ऐसे में एक एनेस्थेटिक कैसे वेंटिलेटर को संभालेगा।
टांडा मेडिकल कॉलेज में 100 से अधिक वेंटिलेटर हैं, जो बिना इस्तेमाल के कबाड़ बन रहे हैं। हैरत है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन को जानकारी ही नहीं है कि उनके पास कितने वेंटिलेटर हैं और कितने इस समय काम करने लायक हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वेंटिलेटर को गंभीर मरीजों के लिए ही इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके लिए प्रशिक्षित स्टाफ जैसे एनेस्थेटिक और प्रशिक्षित वार्ड बॉय की जरूरत होती है।
वेंटिलेटर वाले अधिकतर मरीज बड़े अस्पतालों या टांडा मेडिकल कॉलेज का ही रुख करते हैं। कोरोना काल में टांडा के अलावा धर्मशाला, पालमपुर, इंदौरा, पपरोला, नूरपुर आदि अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर बनाया था। हर अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई लेकिन कोरोना काल जाने के बाद कारोड़ों की लागत से खरीदे बहुमूल्य वेंटिलेटर शोपीस बन कर रह गए। संवाद
कोरोना काल में जिले के स्वास्थ्य संस्थानों को 185 वेंटिलेटर मिले थे। इस समय 160 वेंटिलेटर ठीक हैं और 25 खराब हैं। इसकी समय-समय पर देखभाल के लिए कमेटी बनाई है, जो हर माह उनकी जांच करती है। वेंटिलेटर के संचालन के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत रहती है।– डॉ. राजेश गुलेरी, सीएमओ कांगड़ा
कोरोना काल में टांडा मेडिकल कॉलेज को कितने वेंटिलेटर मिले थे और अभी कितने ठीक हैं इसकी जानकारी नहीं है। रिकॉर्ड जांचने के बाद भी जानकारी पता चल पाएगी।– डॉ. मिलाप शर्मा, प्रिंसिपल, राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा।