himachal pradesh lok sabha election 72 percent candidates lost even through nota

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हिमाचल प्रदेश में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं। चुनाव मैदान में उतरे 72 फीसदी प्रत्याशी नोटा (नन ऑफ द एबव) से भी पराजित हो गए हैं। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी जंग रही और चारों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज करते हुए लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप किया। लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को छोड़कर अन्य कोई भी जमानत नहीं बचा पाया।
दो तिहाई से ज्यादा की जमानत जब्त
चुनाव आयोग की ओर से उपलब्ध अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की चारों सीटों पर कुल 37 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई और इनमें 29 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। इस तरह 78 फीसदी प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में नाकाम रहे। कुल 37 प्रत्याशियों में से 27 को नोटा की तुलना में कम वोट मिले हैं।
राज्य की चारों सीटों पर कुल 23125 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। कांगड़ा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा और हमीरपुर सीट पर सबसे कम लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया। दो सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशी नोटा से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे।
कांगड़ा लोकसभा सीट पर 6372 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना। इस सीट पर किस्मत आजमा रहे 10 प्रत्याशियों में से सात प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट पड़े। सबसे कम 545 मत निर्दलीय प्रत्याशी 545 को मिले। भाजपा के राजीव भारद्वाज ने यह सीट अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के आनंद शर्मा से 2.82 लाख के अंतर से जीती।
मंडी सीट का क्या हाल?
मंडी लोकसभा सीट पर भी 10 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और इनमें से 8 प्रत्याशियों को नोटा से कम वोट पड़े। इस सीट पर 5645 लोगों ने नोटा दबाया। निर्दलीय प्रत्याशी आशुतोष को सबसे कम 286 मत पड़े। भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत यहां से 74 हजार मतों से विजयी रही। उन्होंने कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को हराया।
हमीरपुर लोस सीट पर 5178 लोगों ने नोटा को चुना। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर अन्य कोई भी प्रत्याशी नोटा से ज्यादा वोट नहीं ले पाया। यहां 12 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और 10 प्रत्याशियों को नोटा से कम वोट पड़े। निर्दलीय प्रत्याशी गोपी चंद को सबसे कम 202 वोट मिले। भाजपा के दिग्गज नेता अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस के सतपाल रायजादा को 1.84 लाख से हराकर लगातार पांचवीं जीत हासिल की।
शिमला लोकसभा सीट पर 5930 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना। इस सीट पर पांच प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और दो प्रत्याशियों को नोटा से कम वोट मिले। अखिल भारतीय परिवार पार्टी के मदन लाल को सबसे कम 4686 वोट पड़े। भाजपा के सुरेश कश्यप ने दूसरी बार यह सीट अपने नाम की। उन्होंने कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी को 91 हजार मतों से मात दी।
हिमाचल में 40.55 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें से 23125 मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को वोट देने की बजाय नोटा का बटन दबाना पसंद किया। हालांकि यह संख्या पिछले लोकसभा चुनाव से कम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 33 हजार लोगों ने नोटा का विकल्प चुना था।
रिपोर्ट- यूके शर्मा