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संवाद न्यूज एजेंसी, गगरेट (ऊना)।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Tue, 12 Nov 2024 08:17 PM IST
हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के लोहारा गांव के भाई-बहन की कहानी प्रेरणादायक है। पढ़ाई के लिए घर में पैसे की कमी थी लेकिन हौसलों के आगे सब बौना था। भाई सुशांत वशिष्ठ बतौर वैज्ञानिक चयनित हुए हैं तो बहन दीक्षा वशिष्ठ डॉक्टर बनकर लौटी हैं। पढ़ें पूरी खबर…
तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो…। मकबूल शायर राहत इंदौरी की इन पंक्तियों को उपमंडल अंब के लोहारा गांव के भाई-बहन ने चरितार्थ कर दिखाया है। भाई-बहन सुशांत वशिष्ठ और डॉ. दीक्षा वशिष्ठ ने कामयाबी के समुद्र में ऐसी छलांग लगाई कि जब दूसरे छोर पर निकले तो सफलता के शिखर पर थे। मां सुमन वशिष्ठ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। पिता नरेश वशिष्ठ इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर की दुकान चलाते हैं। इतना धन नहीं था कि बच्चों को कान्वेंट स्कूल में पढ़ा पाते।
गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई के बाद सुशांत वशिष्ठ केंद्र सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के उपक्रम न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में बतौर वैज्ञानिक चयनित हुए हैं। वहीं, उनकी बहन दीक्षा वशिष्ठ आईआईटी रूपनगर से रासायनिक विज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल कर डॉक्टर बनकर लौटी हैं। न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में बतौर साइंटिस्ट चयनित हुए सुशांत वशिष्ठ ने गांव के ही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से दस जमा दो तक की शिक्षा ग्रहण की और इसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज सुंदरनगर से बीटेक (मेकेनिकल) की डिग्री हासिल की। इसके बाद नोएडा में रोबर्ट कंपनी में जॉब हासिल करने के बाद जालंधर में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में नौकरी हासिल की।