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केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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सामान्य तौर पर आलू को मधुमेह बढ़ाने वाला माना जाता है, लेकिन आलू की एक किस्म कुफरी सूर्या मधुमेह घटाने में दवा की तरह काम कर सकती है। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के वैज्ञानिकों ने इस किस्म को विकसित किया है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान लखनऊ (सीडीआरआई) में किए गए परीक्षणों में भी आलू की यह किस्म टाइप-2 डायबिटीज की दवा मेटफॉर्मिन के बराबर असरदार पाई गई है। यह किस्म सबसे अधिक इंसुलिन जैसा प्रोटीन पैदा करती है।
सीपीआरआई अब आलू के एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों के शुगर मरीजों पर प्रभाव पर अध्ययन करेगा और भविष्य में आलू की ऐसी किस्में विकसित की जाएंगी जो मधुमेह के मरीजों के लिए अधिक कारगर हो। सीपीआरआई के फसल दैहिकी जैव रसायन एवं फसलोत्तर तकनीकी संभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि कई पौधे इंसुलिन जैसा प्रोटीन पैदा करते हैं।
सीपीआरआई ने परीक्षणों में पाया कि आलू की तीन किस्में भी इंसुलिन जैसा प्रोटीन पैदा करती हैं। इसके बाद इन किस्मों के आलू का पाउडर बनाकर परीक्षण के लिए सीडीआरआई भेजा गया। सीडीआरआई की रिपोर्ट में कुफरी सूर्या को सबसे अधिक प्रभावी पाया गया है। सीडीआरआई में चूहों पर किए परीक्षण में इसका प्रभाव मेटफॉर्मिन दवा के बराबर पाया।
सामान्य आलू से मधुमेह स्तर घटाने के तरीके सीपीआरआई ने सुझाए
- आलू उबालने के बाद पूरी रात फ्रीज में रखकर अगले दिन मैश कर हल्का गर्म कर प्रयोग करें।
- दालों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है इसलिए 70% दाल में 30% आलू इस्तेमाल करें।
- आलू पकाने में कम ग्लाइसेमिक इंडेेक्स वाले ऑलिव ऑयल या देसी घी का प्रयोग करें।
सीपीआरआई की कुफरी सूर्या किस्म में एंटी डायबिटिक गुण पाए गए हैं। सीडीआरआई लखनऊ ने भी परीक्षणों में इसकी पुष्टि की है। आलू के एंटी ऑक्सीडेंट्स गुणों के मधुमेह के मरीजों पर असर का भी परीक्षण किया जाएगा- ब्रजेश कुमार निदेशक सीपीआरआई