Himachal Election Result 2024 Modi Magic In Himachal What Will Be The Effect On Sukhu Govt – Amar Ujala Hindi News Live
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हिमाचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू चला और सरकार होने के बावजूद कांग्रेस भाजपा की हैट्रिक को नहीं रोक सकी। कांग्रेस की हताशा से भाजपा मिशन रिपीट में कामयाब हो गई। लोकसभा की चारों सीटें हारी कांग्रेस इससे संतुष्ट हो सकती है कि उसने विधानसभा उपचुनाव में छह में से चार सीटें जीत लीं और सुक्खू सरकार सुरक्षित है। मतदाता ने केंद्र में मोदी व राज्य में सुक्खू की सरदारी को तवज्जो दी…लेकिन यह जनादेश भविष्य के लिए राज्य सरकार के आत्मविश्लेषण का विषय है।
राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों की बगावत से उठे तूफान के कारण लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस की नैया ऐसी डगमगाई कि उसे अंत तक संभलने का मौका नहीं मिला। जब चुनाव लड़ने के लिए बड़े नेता ही तैयार नहीं हो रहे थे तो मैदान में जाने से पहले ही पार्टी के मनोबल को भांपा जा सकता था। आधी लड़ाई कांग्रेस तभी हार गई।
भाजपा ने प्रत्याशी घोषित करने में देर नहीं की। सबसे चर्चित सीट मंडी में भाजपा की प्रत्याशी कंगना रणौत के खिलाफ काफी प्रचार होने के बावजूद मोदी फैक्टर और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम के प्रभाव ने सिने तारिका की जीत सुनिश्चित कर दी। विक्रमादित्य की बतौर मंत्री परफार्मेंस और पिता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह और माता पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह का प्रभाव काम नहीं आया। चुनाव से पहले विक्रमादित्य की ओर से अपनी ही सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करने से उनकी निष्ठाओं पर लगा प्रश्नचिह्न भी उन्हें भारी पड़ा।
हमीरपुर में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की स्थिति शुरुआत से ही मजबूत थी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का संसदीय क्षेत्र होने और दोनों की ओर से यहां पूरी ताकत झोंकने के बावजूद कांग्रेस के सतपाल रायजादा जीत नहीं पाए। सुक्खू अपने नादौन विस क्षेत्र से ही कांग्रेस को लीड नहीं दिला पाए। दूसरी ओर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में ही चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस तीन में जीत गई। स्पष्ट है कि कांग्रेस ने उपचुनाव जीतने पर ज्यादा जोर दिया। अन्यथा शिमला व मंडी सीटों पर वह कड़ी टक्कर दे सकती थी।
शिमला सीट पर कांग्रेस खुद को शुरुआत में मजबूत मान रही थी, क्योंकि भाजपा के प्रत्याशी व सांसद सुरेश कश्यप के प्रति लोगों में नाराजगी थी कि वह पांच साल गायब रहे। प्रधानमंत्री की रैली के बाद यहां परिदृश्य बदला। पांच मंत्री इस क्षेत्र से होने के बावजूद कांग्रेस हार गई। इससे सरकार से जनता की संतुष्टि पर सवाल खड़ा होता है। कांगड़ा में भाजपा के नए प्रत्याशी राजीव भारद्वाज के सामने कांग्रेसी दिग्गज आनंद शर्मा बाहरी होने और देर से मैदान में उतरने के कारण मुकाबले में कभी आ ही नहीं आ सके।
कांग्रेस ने अग्निवीर, आपदा राहत और सेब पर आयात शुल्क जैसे मुद्दों को भुनाने की कोशिश की, लेकिन नतीजों से साफ है कि जनता ने भाजपा के राम मंदिर, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों…और उससे भी ज्यादा मोदी के नाम को तरजीह दी।