Himachal Election: Panchayat Pradhans’ Strength Will Be Tested In The Electoral Battle – Amar Ujala Hindi News Live


प्रधान नरेश ठाकुर, शकुंतला, सावित्री देवी
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हिमाचल प्रदेश में ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक विचारधारा वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों को लीड दिलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वे पसीना बहाकर गांवों के टेढ़े-मेढ़े रास्ते नाप रहे हैं व पहाड़ियां लांघ रहे हैं। गांव के एक-एक व्यक्ति तक पहुंच बनाने का जिम्मा इन्हीं प्रतिनिधियों को दिया गया है। जहां राजनीतिक दलों के अपने चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं, वहां पर पूर्व प्रधानों, उपप्रधानों और वार्ड सदस्यों पर दायित्व है। ये गेहूं की कटाई के बीच खेतों में जाकर भी लोगों से मिल रहे हैं। गांवों में विभिन्न समारोहों में शामिल होने का मौका न चूकते हुए भी प्रचार कर रहे हैं।
बड़े नेता सबके गांव-घर पहुंच पाएं कि नहीं, मगर इन्हें तो हर हाल पहुंचना ही है। कांग्रेस से जुड़े प्रतिनिधि हों या भाजपा से संबंधित, सब पर अच्छा प्रदर्शन दिखाने का दबाव है। यह दबाव हर लोकसभा चुनाव में इसलिए रहता है, क्योंकि इसके अगले साल ही पंचायतों में भी चुनाव हो जाते हैं। ऐसे में पंचायतों में अभी दिलाई गई लीड उनके अगले चुनाव पर भी असर डालेगी। प्रदेश में 3615 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें इतने ही प्रधान और उपप्रधान हैं। 20 हजार से अधिक वार्ड सदस्य हैं। सब अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं।