Himachal Disaster Team Is Working For Ten Hours To Test Dna Samples Report Will Be Available In A Week – Amar Ujala Hindi News Live

हिमाचल में हुई त्रासदी के बाद से लापता लोगों के शव सतलुज नदी में मिल रहे हैं लेकिन शव क्षत-विक्षत हालत में हैं, जिससे उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। अब डीएनए तकनीक से ऐसे शवों की पहचान की जाएगी। अभी तक डकोलढ़, दोघरी समेत अन्य स्थानों पर सर्च अभियान में सात शव बरामद किए जा चुके हैं। इसमें तीन की शिनाख्त हो चुकी है जबकि चार शव क्षत-विक्षत होने के कारण इनकी पहचान करना मुश्किल है।

सतलुज नदी किनारे लापता लोगों की तलाश में सर्च ऑपरेशन।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
रामपुर के समेज और बागीपुल में बादल फटने से हुए दर्दनाक हादसे में लापता लोगों के शव सतलुज नदी में मिल रहे हैं लेकिन शव क्षत-विक्षत हालत में हैं, जिससे उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। इसको देखते हुए डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) तकनीक से ऐसे शवों की पहचान की जाएगी। इसके लिए निदेशालय फोरेंसिक सर्विस जुन्गा के विशेषज्ञ 10 घंटे लेबोरेटरी में कार्य कर रहे हैं। यहां अभी तक 28 स्टैंडर्ड सैंपल यानि लापता लोगों के रिश्तेदारों के सैंपल पहुंच चुके हैं जबकि सतलुज नदी में मिले 4 लापता लोगों के डीएनए सैंपल भी मिलान के लिए आए हैं। यहां डीएनए विभाग ने शवों के सैंपल का मिलान स्टैंडर्ड सैंपल से करना शुरू कर दिया है।
निदेशालय फोरेंसिक सर्विस जुन्गा की निदेशक फोरेंसिक्स डॉ. मीनाक्षी महाजन ने बताया कि सैंपल के मिलान के लिए रक्त, हड्डी के टिशु, दांत और बालों की जरूरत रहती है। इसको लेकर सैंपल एकत्रित करने वाली प्रशासन की टीम को भी अवगत करवा दिया गया है। लंबी प्रक्रिया के बाद दोनों सैंपल के मिलान से पता लगाया जाता है कि लापता व्यक्ति के सैंपल किस स्टैंडर्ड सैंपल से मेल खाते हैं। उन्होंने बताया कि हमारी पूरी कोशिश है कि सैंपल मिलने के एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट तैयार हो जाए। लापता लोगों की जल्द पहचान हो, इसके बाकायदा टीम का गठन किया गया है। इसमें 3 रिपोर्टिंग स्टाफ और 3 असिस्टेंट शामिल हैं। यह टीम सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक लगातार काम कर रही है। इसके लिए अन्य सभी कार्यों को फिलहाल बंद कर दिया गया है। डीएनए सैंपल से पहचान की प्रक्रिया काफी जटिल है और इस पर प्रति सैंपल चार से पांच हजार रुपये खर्च आता है। इसको देखते हुए निदेशालय ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है, जिससे की किट समेत अन्य जरूरी चीजों का समय रहते इंतजाम किया जा सके। वस्तुतः शरीर की हर कोशिका में डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) होता है। यह आनुवंशिक कोड है, जो प्रत्येक व्यक्ति को अद्वितीय बनाता है।