Published On: Sun, May 25th, 2025

Health minister admitted that wrong blood was transfused to the woman | चिकित्सा मंत्री ने माना- महिला को चढ़ाया गलत खून: भास्कर ने दिखाए थे गलती के सबूत, सबसे बड़ा सवाल-पता चलने पर क्यों नहीं करवाया पोस्टमॉर्टम​​​​​​ – Rajasthan News

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दैनिक भास्कर की खबर के बाद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री ने शनिवार को माना कि गर्भवती को गलत खून चढ़ाया गया था। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा- ब्लड सैंपल लेने और स्टिकर लगाने में कहीं न कहीं गलती हुई है। हम मानते हैं ब्लड ट्रांसफ्यूजन गलत हु

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लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल ने इस लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश की। ड्यूटी पर रहे डॉक्टरों को अपनी गलती पता भी चल गई थी। लापरवाही की हद तो तब हुई, जब गलत खून चढ़ाने से मौत के बावजूद गर्भवती के शव का पोस्टमॉर्टम तक नहीं कराया गया। जिम्मेदारों पर एक्शन लेने की बजाय 21 मई को हुई मौत करीब 2 दिन उजागर नहीं होने दी।

लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। पिछले एक साल में गलत ब्लड चढ़ाने की यह तीसरी लापरवाही है, जिसमें मरीज की जान गई। जेके लोन अस्पताल में भी एक बच्चा इसी गलती का शिकार हुआ था। लेकिन, जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की बजाय वॉर्निंग देकर छोड़ दिया था। पढ़िए, ये खास रिपोर्ट…

भास्कर ने दिखाया था सच भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि 18 मई को रात 9 बजे ब्लड की रिक्वायरमेंट की गई थी। 20 मई की सुबह टोंक के निवाई निवासी महिला चैना देवी (23) को ‘बी’ पॉजिटिव की जगह ‘ए’ पॉजिटव ब्लड चढ़ाया गया था, जिसके बाद तबीयत बिगड़ने लगी। लेकिन अस्पताल प्रशासन इस गलती से इनकार करता रहा था।

हकीकत में खुद डॉक्टरों को भी गलत ब्लड ग्रुप की भनक लग गई थी। इसलिए दोबारा सैंपल भेजकर सही ग्रुप का ब्लड मंगवाया गया। भास्कर टीम के हाथ लगी ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट से असली सच सामने आया था। रिपोर्ट में साफ लिखा था- ‘डायग्नोस- रॉन्ग ब्लड इन ट्यूब’। यानी पहले जो ब्लड था, वो गलत चढ़ाया था।

इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि 19 मई को महिला के खून का सैंपल ब्लड बैंक में भेजा गया। उस सैंपल की जांच की तो ब्लड ग्रुप ‘ए’ पॉजिटिव पाया गया।

इस आधार पर ब्लड बैंक ने ‘ए’ पॉजिटिव बैग थमा दिए। लेकिन ब्लड चढ़ाने से महिला की बॉडी पर रिएक्शन दिखने लगे। वेंटिलेटर पर होने के बावजूद तबीयत खराब होती चली गई। उसके बाद फिर से महिला के ब्लड के सैंपल की जांच की गई। उस वक्त महिला का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव निकला। इससे साफ है कि महिला का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव था जबकि उसे ‘ए’ पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया गया।

दूसरे नंबर पर देखिए 19 मई को हुई रिपोर्ट में 'A' पॉजिटिव बताया गया। फिर पहले नंबर पर दर्ज 21 मई को दोबारा हुई ब्लड की जांच को देखिए, ब्लड ग्रुप 'बी' पॉजिटिव लिखा आ रहा है।

दूसरे नंबर पर देखिए 19 मई को हुई रिपोर्ट में ‘A’ पॉजिटिव बताया गया। फिर पहले नंबर पर दर्ज 21 मई को दोबारा हुई ब्लड की जांच को देखिए, ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव लिखा आ रहा है।

सबसे बड़ी लापरवाही : पता होने के बावजूद नहीं करवाया पोस्टमॉर्टम

गर्भवती महिला चैना देवी की तबीयत खराब होने के दौरान ही ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों को पता चल गया था कि महिला को गलत खून चढ़ाया गया था। अस्पताल प्रशासन दावा कर रहा है कि गलत खून के रिएक्शन दिखते ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोक दिया गया था। लेकिन कुछ देर में ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोकने की बात भी संदेह के घेरे में है। हकीकत में महिला वेंटिलेटर पर थी। ऐसे में वेंटिलेटर पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कुछ ही देर में रिएक्शन सामने आना संभव नहीं लगता है।

महिला को गलत खून चढ़ाया गया था। एसएमएस अस्पताल में ही महिला ने दम तोड़ा। ऐसे में मामलों में एसओपी के अनुसार पोस्टमॉर्टम जरूरी होता है। लेकिन यहां सवाल उठता है कि महिला की मौत के बाद उसका पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं कराया गया? ये सवाल इसलिए भी है कि महिला की मौत नेचुरल थी या फिर गलत ब्लड चढ़ाने से हुई? अगर पोस्टमॉर्टम होता तो संभवत: महिला की मौत की असली वजह सामने आ पाती। लेकिन अब इसकी बिल्कुल भी संभावना नहीं है।

इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि पहले ट्यूब में गलत ब्लड दिया गया है।

इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि पहले ट्यूब में गलत ब्लड दिया गया है।

मरीज को ब्लड चढ़ाने की बनाई थी एसओपी, फिर भी चूक कहां, इसका जवाब नहीं

फरवरी 2024 में सचिन की गलत ब्लड चढ़ाने से मौत के बाद ब्लड ट्रांसफ्यूजन को लेकर एक एसओपी जारी की थी। यानी कुछ नियम बनाए गए थे, जिनका पालन करना सुनिश्चित किया था। लेकिन इसके बावजूद गलती कौनसे स्तर पर हुई, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। जानकारी के मुताबिक ब्लड का सैंपल नर्स मीना ने लिया था। क्या सैंपल ही मरीज के अटेंडेंट को गलत दिया गया, इसकी भी जांच सामने नहीं आई है।

अगर एसओपी को सही से फॉलो किया होता तो गलती की गुंजाइश ही नहीं थी। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने कहा कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन की एसओपी का पालन किया गया है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है। वहीं, एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी एसओपी की पालना का सवाल टाल गए और कहा- जांच कमेटी की रिपोर्ट आने का इंतजार कीजिए।

गर्भवती के ब्लड सैंपल में गड़बड़ी हुई या नहीं, कमेटी इसकी जांच करेगी।

गर्भवती के ब्लड सैंपल में गड़बड़ी हुई या नहीं, कमेटी इसकी जांच करेगी।

ये थी एसओपी

  • मरीज को ब्लड की आवश्यकता की रिक्विजिशन डॉक्टर तैयार करके देगा
  • नर्सिंग कर्मी मरीज के ब्लड का सैंपल लेकर ब्लड बैंक जाएगा।
  • मरीज का फॉर्म भरा जाएगा, जिस पर मरीज की पूरी डिटेल और रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा होगा।
  • सैंपल लेने का समय और तारीख लिखनी होगी।
  • फॉर्म में सैंपल लेने वाले नर्सिंग कर्मी का भी नाम लिखना होगा।
  • मरीज का अटेंडेंट सैंपल लेकर ब्लड बैंक जाएगा।
  • ब्लड बैंक सैंपल के ब्लड ग्रुप की जांच करेगा।
  • ब्लड बैग के साथ ब्लड ग्रुप का क्रॉस मैच कर ही ब्लड उपलब्ध कराया जाता है।

पिछले साल युवा सचिन (25) ने तोड़ा था दम

पिछले साल फरवरी में बांदीकुई निवासी सचिन शर्मा की मौत हुई थी। एसएमएस के ट्रॉमा वार्ड में पिछले साल 12 फरवरी को सचिन को रोड एक्सीडेंट के बाद भर्ती कराया गया था। यहां मरीज को ‘ओ’ पॉजिटिव की जगह ‘एबी’ पॉजिटिव ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया था। इससे सचिन की दोनों किडनियां खराब हो गई थीं। इस मामले में एक डॉक्टर, एक सीनियर रेजिडेंट और नर्सिंग ऑफिसर को निलंबित किया गया था। इस मामले में भी ये सामने आया था कि परिजनों को ब्लड लाने के लिए किसी और मरीज के सैंपल की पर्ची दी गई थी।

जेके लोन अस्पताल में जिम्मेदारों को केवल चेतावनी देकर छोड़ा

इसी तरह पिछले साल दिसंबर में प्रदेश में बच्चों के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल में भी यही चूक हुई। भरतपुर निवासी 10 साल के मुस्तफा को जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे ‘ओ’ पॉजिटिव ब्लड की जरूरत थी। लेकिन लापरवाहों ने उसे ‘एबी’ पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया। इस मामले में भी जेके लोन अस्पताल प्रशासन गलती स्वीकार करने की बजाय बार-बार बच्चे की पहले से तबीयत खराब होने का हवाला देता रहा। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में लापरवाही बरतने वालों को सिर्फ वॉर्निंग देकर छोड़ दिया गया था।

चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शनिवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज पहुंचकर इस मामले में जांच के लिए कमेटी का गठन किया।

चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शनिवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज पहुंचकर इस मामले में जांच के लिए कमेटी का गठन किया।

चिकित्सा मंत्री ने माना- महिला को चढ़ाया गया गलत खून

प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस मामले पर कहा- अस्पताल प्रशासन की जांच कमेटी ने भी प्रथम दृष्टया गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने की बात स्वीकार की है। अब 5 सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी मामले में सभी पक्षों की जांच कर तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कार्मिकों पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।

भास्कर की वो खबर जिसका असर हुआ…

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