Published On: Wed, Jun 4th, 2025

Ground Report: सरकारी ‘सेवा’ देखिए जरा… मरीजों के साथ ये क्या? बेहद डरावनी है इस अस्पताल की हकीकत!


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Sikar Government Hospital: सीकर के पचार गांव में स्थित सरकारी अस्पताल सिर्फ नाम का रह गया है. दो वर्षों से डॉक्टर समेत सभी जरूरी पद खाली हैं. लाखों की मशीनें धूल फांक रही हैं और इलाज न मिलने से मरीज निजी अस्पता…और पढ़ें

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पचार

पचार का ग्राम चिकित्सालय 

हाइलाइट्स

  • पचार गांव के अस्पताल में सभी पद खाली हैं.
  • मरीजों का इलाज राम भरोसे हो रहा है.
  • अस्पताल में रोजाना 200 मरीज ओपीडी में आते हैं.

सीकर. आपने ग्राम चिकित्सालय वेब सीरीज जरूर देखी होगी. अगर नहीं देखी तो सोशल मीडिया पर वायरल मीम और रील्स तो जरूर देखे होंगे. इस वेब सीरीज में गांव की चिकित्सा व्यवस्था की हकीकत को दिखाया गया है. लेकिन क्या यह केवल स्क्रीन तक ही सीमित है या असल जिंदगी में भी ऐसा होता है. आज की ग्राउंड रिपोर्ट में हम आपको एक ऐसे ही गांव और सरकारी अस्पताल के बारे में बता रहे हैं, जहां अस्पताल तो है लेकिन इलाज के नाम पर केवल अव्यवस्थाएं हैं. इस अस्पताल की कहानी बेहद डरावनी है. आखिर बिना डाॅक्टर के यहां हो क्या रहा है?

विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल खाटूश्यामजी से महज 19 किलोमीटर दूर पचार गांव में यह सरकारी अस्पताल स्थित है. पिछले दो सालों से यहां डॉक्टर की कुर्सी खाली पड़ी है. करीब 10000 से अधिक आबादी वाले इस गांव में डॉक्टर, नर्सिंग ऑफिसर, लैब टेक्नीशियन, आयुष डॉक्टर सहित सभी पद खाली हैं. पचार गांव का यह अस्पताल अब केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, जहां मरीजों का इलाज राम भरोसे हो रहा है.

मशीनें हैं लेकिन चलाने वाला कोई नहीं
पचार गांव के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के लिए जरूरी मशीनें तो मौजूद हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाला कोई नहीं है. इस कारण लाखों रुपये की मशीनें बंद पड़ी-पड़ी खराब हो रही हैं. अस्पताल होने के बावजूद गांव के लोग इलाज के लिए महंगे निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हैं. चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, आयुष डॉक्टर और कंपाउंडर के सात से अधिक पद खाली हैं. इस कारण भीषण गर्मी में भी मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है.

नर्सिंग ऑफिसर के भरोसे चल रहा है अस्पताल
सरकारी अस्पताल गांव के बीचों-बीच स्थित है. दूर-दराज के मरीज यहां तक पैदल आते हैं लेकिन उन्हें डॉक्टर तक नहीं मिलता. नर्सिंग ऑफिसर ही डॉक्टर की भूमिका निभा रहे हैं. वही मरीजों की जांच करते हैं और दवा भी देते हैं. अस्पताल में न तो कोई वैकल्पिक डॉक्टर तैनात किया गया है और न ही किसी तरह की अस्थायी व्यवस्था की गई है. रात के समय आपात स्थिति में यह सरकारी अस्पताल पूरी तरह से बंद रहता है.

ओपीडी में रोजाना 200 मरीज आते हैं
पचार के सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन करीब 150 से 200 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं. लेकिन इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें दूसरे कस्बों और शहरों का रुख करना पड़ता है. अस्पताल के रिक्त पदों की स्थिति यह है कि चिकित्सक का पद 23 अक्टूबर 2023 से, आयुष चिकित्सक का 22 अक्टूबर 2021 से, लैब टेक्नीशियन का 3 अगस्त 2021 से, आयुष कंपाउंडर का 13 फरवरी 2020 से और नर्सिंग ऑफिसर का पद वर्ष 2016 से खाली पड़ा है.

प्रशासन की बेरुखी से गहराया संकट
ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारी इस गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर पचार जैसे गांवों की हालत इन दावों की पोल खोल रही है. वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से यह अस्पताल एक ढांचे मात्र बनकर रह गया है. गांव के लोग अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कभी तो यहां इलाज की सुविधा बहाल होगी.

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सरकारी ‘सेवा’ देखिए जरा… मरीजों के साथ ये क्या? बेहद डरावनी है इस अस्पताल की

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