Published On: Wed, May 22nd, 2024

FSSAI ने MDH-एवरेस्ट को क्लीन चिट दी: दोनों कंपनियों के प्रोडक्ट्स में एथिलीन ऑक्साइड नहीं; दूसरे ब्रांड्स के मसालों ने भी सैंपल टेस्ट पास किया


नई दिल्ली31 मिनट पहले

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FSSAI ने 22 अप्रैल को मसालों की जांच के लिए देशभर में जांच अभियान शुरू किया था। - Dainik Bhaskar

FSSAI ने 22 अप्रैल को मसालों की जांच के लिए देशभर में जांच अभियान शुरू किया था।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारतीय मसालों में हानिकारक पदार्थों की मिलावट की बात खारिज कर दी है। संस्थान ने व्यापक जांच के बाद इनमें एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) का कोई निशान न मिलने की पुष्टि की है। एथिलीन ऑक्साइड से कैंसर होने का खतरा रहता है।

FSSAI ने 22 अप्रैल को मसालों की जांच के लिए देशभर में जांच अभियान शुरू किया था। जांच में महाराष्ट्र और गुजरात में एवरेस्ट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से 9 नमूने और दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में एमडीएच की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से 25 नमूनों का विश्लेषण किया गया।

विशेष रूप से गठित वैज्ञानिक पैनल ने 34 सैंपल में से 28 की रिपोर्ट में एथिलीन ऑक्साइड के नहीं होने की पुष्टि की है। शेष छह सैंपल के रिपोर्ट आने बाकी हैं। देशभर में अन्य ब्रांडों के मसालों के 300 से अधिक सैंपल इकट्ठे किए गए थे। इनमें से किसी में भी एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी नहीं थी।

अप्रैल में सिंगापुर-हॉन्गकॉन्ग ने मसालों पर बैन की खबर आई थी

सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में अप्रैल महीने में MDH और एवरेस्ट के कुछ मसालों में पेस्टिसाइड एथिलीन ऑक्साइड की लिमिट से ज्यादा मात्रा होने का दावा किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि दोनों देशों में MDH और एवरेस्ट कंपनियों के कुछ प्रोडक्ट्स को बैन किया गया है।

हॉन्गकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने कहा था कि MDH ग्रुप के तीन मसाला मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है। एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी यह कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया है।

विवाद के बाद FSSAI ने 22 अप्रैल को देश भर में जांच अभियान शुरू किया और फूड कमिश्नर्स से मसाला बनाने वाली सभी कंपनियों के सैंपल कलेक्ट करने को कहा था।

कीटनाशक है एथिलीन ऑक्साइड, इससे कैंसर का खतरा
स्पाइस बोर्ड एथिलीन ऑक्साइड को 10.7 सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर ज्वलनशील, रंगहीन गैस के रूप में परिभाषित करता है। यह कीटाणुनाशक, स्टरलाइजिंग एजेंट और कीटनाशक के रूप में काम करता है। इसका इस्तेमाल चिकित्सा उपकरणों को स्टरलाइज करने और मसालों में माइक्रोबियल कंटेमिनेशन को कम करने के लिए किया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) एथिलीन ऑक्साइड को ‘ग्रुप 1 कार्सिनोजेन’ के रूप में वर्गीकृत करती है। यानी यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि यह मनुष्यों में कैंसर का कारण बन सकता है। एथिलीन ऑक्साइड से लिम्फोमा और ल्यूकेमिया जैसे कैंसर हो सकते हैं। पेट और स्तन कैंसर भी हो सकता है।

मसाले में क्यों करते हैं कीटनाशकों का इस्तेमाल?
मसाला बनाने वाली कंपनियां एथिलीन ऑक्साइड सहित अन्य कीटनाशकों का उपयोग ई. कोली और साल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया और फंगस से फूड आइटम्स को खराब होने से बचाने के लिए करती हैं, क्योंकि इन बैक्टीरिया के संपर्क में आने से मसालों की शेल्फ लाइफ बहुत छोटी हो सकती है।

इन्हें लंबे समय तक खराब होने से बचाने पर रोक के बावजूद ये कंपनियां कीटनाशकों को प्रिजर्वेटिव या स्टेरलाइजिंग एजेंट की तरह इस्तेमाल कर रही हैं।

सरकार का दावा- हॉन्गकॉन्ग-सिंगापुर में भारतीय मसालों पर बैन नहीं
भारत सरकार के सूत्रों ने 21 मई को दावा किया कि सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में किसी भारतीय मसालों पर बैन नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा गया है कि पॉपुलर मसाला ब्रांड्स MDH और एवरेस्ट के प्रोडक्ट्स के सिर्फ कुछ बैच को रिजेक्ट किया गया था।

पहले भी होती रही है सैंपलों की टेस्टिंग
हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर की घटनाओं से पहले भी भारत में सैंपलों की टेस्टिंग होती रही है। सूत्रों ने दावा किया कि अब तक भारतीय बाजार में उपलब्ध विभिन्न ब्रांडों के मसालों में कोई हानिकारक तत्व नहीं पाए गए हैं। यह सैंपल लेने की एक सतत प्रक्रिया है।

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