Published On: Fri, Dec 13th, 2024

Explainer: क्या है C20 क्रायोजेनिक इंजन जिसकी इसरो टेस्टिंग की सफलता मानी जा रही है बहुत अहम?


हाइलाइट्स

इसरो ने CE20 क्रोयोजेनिक इंजन का परीक्षण कियायह गगनयान मिशन के यान को प्रक्षेपित कर पाएगायह इसरो के लिए बहुत ही बड़ी उपलब्धि है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.  उसने हाल ही में C20 क्रोयोजेनिक इंजन की क्रिटिकल टेस्ट पास कर लिया है. इस इंजन की मदद से इसरो अपने गगनयान मिशन के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजेगा. लेकिन यह सफलता गगनयान की जरूरत से कहीं ज्यादा बड़ी बताई जा रही है. पर आखिर इस इंजन में ऐसा क्या है जिसकी सफलता इतनी अहम मानी जा रही है?  क्यों यह इसरो के इतिहास में यह उपलब्धि मील का पत्थर साबित होगी.  आइए इन्हीं सवालों के जवाब जानते हैं.

क्या है ये इंजन?
पहले समझें कि क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन क्या है. यह एक खास तरह का रॉकेट इंजन है, जो क्रायोजेनिक ईंधन और ऑक्सीडाइजर का इस्तेमाल करता है. आम रॉकेट इंजनों में ईंधन और ऑक्सीडाइजर गैसीय होते हैं, लेकिन क्रायोजेनिक इंजन में इन दोनों का तरल अवस्था में इस्तेमाल होता है, जिससे रॉकेट की कारगरता बहुत बढ़िया हो जाती है. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होता है क्योंकि दोनों को बहुत ही कम तापमान पर रखना होता है. ऐसे इंजन का इस्तेमाल बहुत ही कम देश कर पाते हैं.

तो फिर क्या है CE20 क्रोयोजेनिक इंजन?
भारत का स्वदेशी तकनीक से इसरो का विकसित किया खास क्रायोजेनिक इंजन है को जीएसएलवी एमके 3 के प्रक्षेपण के लिए तैयार किया जा रहा है. इस यान को अब एलवीएम-3 कहा जाता है.  यह इसरो के ही सीई7.5  क्रायोजेनिक इंजन का उन्नत संस्करण है. खास बात ये है कि सीई7.5 इसरो के गगनयान अभियान के लिए काफी नहीं था, और सीई20 इसके लिए पूरी तरह से काफी बताया जा रहा है.

ISRO, Space news, ISRO news, cryogenic engine, rocket engine, rocket launching, Amazing science, science research, science news, Gaganyaan mission,

इस इंजन का इस्तेमाल गगनयान अभियान में किया जाएगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: @Gaganyaan_Isro)

क्यों बड़ी बात है ये टेस्टिंग
वैसे तो यह टेस्टिंग अपने आप में इसी लिए अहम हो जाती है क्योंकि यह इसरो गगनयान अभियान के प्रक्षेपण के काबिल होने कि दिशा में बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यह इंजन ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है. इसे इसरो के लिक्विड प्रपल्शन सिस्टम्स सेंटर के इंजीनियरों ने तैयार किया है और यह इंजन 19 टन के थ्रस्ट लेवल पर काम करने लायक हो चुका था. लेकिन अब यह इंजन गगनयान के 20 टन के थ्रस्ट लेवल को भी पार कर गया है और 22 टन के स्तर को भी छू चुका है जो भविष्य के C32 चरण का लेवल है.

क्या हासिल किया टेस्टिंग से?
इस टेस्ट ने इंजन के मल्टीएलिमेंट इंग्नाइटर की परफॉर्मेंस को प्रदर्शित किया है जिससे साबित होता है कि यह इंजन अब सफलतापूर्वक रीस्टार्ट किया जा सकता है. इसके अलावा इंजन का नोजल भी विपरीत हालात में बेकाबू नहीं हुआ और तमाम चुनौतियों के बीच खराब नहीं हुआ.

ISRO, Space news, ISRO news, cryogenic engine, rocket engine, rocket launching, Amazing science, science research, science news, Gaganyaan mission,

इसरो की यह उपलब्धि भविष्य के कई बड़े अभियानों में काम की साबित होगी. (तस्वीर: @ISRO)

इसरो के लिए यह बड़ी बात क्यों?
इस इंजन की काबिलियतों का नई ऊंचाइयों को छूना इसरो के लिए बहुत बड़ी बात है क्योंकि यह वह क्रोयोजेनिक इंजन है जिसकी तकनीक सालों पहले अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों ने हमें देने से इनकार कर दिया था और उसके बाद ही भारतीय वैज्ञानिक स्वदेश में ही उसे विकसित करने में लगे हुए थे. आज यह तकनीक भारत के अलावा अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के  पास ही इसकी तकनीक है, जिनका उपयोग कर वे रॉकेट उड़ा चुके हैं.

यह भी पढ़ें:  Explainer: अब चांद पर प्रिंट होंगे घर, नासा के खास रोबोट करेंगे ये खास काम, जानें कैसे होगा ये सब

अब क्या होगा इसरो को फायदा?
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत को इस टेस्टिंग का सीधा फायदा गगनयान मिशन में मिलेगा, लेकिन यह इसरो के लक्ष्यों के लिए केवल एक पड़ाव मात्र ही है. इस तकनीक का उपयोग कर अब भारत और भी भारी सैटेलाइट स्पेस में भेज सकेगा और साथ ही इसरो दूसरे देशों के भारी सैटेलाइट भी प्रक्षेपित कर सकेगा जो वह अब तक नहीं भेज पाता था. यह आगे चलकर भारत को स्पेस स्टेशन बनाने में भी मददगार हो सकता है.

Tags: General Knowledge, Science facts, Science news, Space knowledge, Space news, Space Science

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>