बिहार के मौजूदा राजनीतिज्ञों में अनुभव-उम्र के हिसाब से जीतन राम मांझी सीनियर हैं। बिहार में मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक रह चुके। सांसद बने तो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री बनाए गए। केंद्र की मौजूदा सरकार में सीटों की संख्या के हिसाब से बिहार के क्षेत्रीय दलों की अहम जिम्मेदारी है और जीतन राम मांझी ऐसी एक पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के सर्वेसर्वा भी हैं। बिहार में एनडीए की राजनीति किस दशा-दिशा में घूमेगी, इसकी न केवल जानकारी रखते हैं बल्कि उसमें सक्रिय भूमिका भी निभाते हैं। इस समय, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं, ‘अमर उजाला’ ने उनसे मुख्यमंत्री, बिहार विधानसभा चुनाव 2024, बीपीएससी परीक्षा हंगामा, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर, राजनीति रूप से सक्रिय होकर किनारे लगे पूर्व मंत्री मुकेश सहनी… जैसे मुद्दों पर लंबी बातचीत की। हरेक पर उनका जवाब क्या मिला, पढ़ें आगे…
एनडीए के अंदर बिहार को लेकर चल क्या रहा है?
एनडीए में फिलहाल कुछ खास नहीं चल रहा है। एनडीए सशक्त है। पांच दल मिलकर काम कर रहे हैं। 15 जनवरी से एनडीए के सभी पांचों दल बिहार के सभी जिलों में जाकर सम्मेलन करेंगे। एनडीए में कुछ भी गड़बड़ नहीं चल रहा है। विपक्ष सिर्फ भ्रम फैला रहे हैं।
सीएम नीतीश कुमार को लेकर क्यों बहुबात फिर चल निकली है।
हम तो इन सवालों से हैरान हो जाते हैं। मनमोहन बाबू भारत के प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री थे। उनकी मृत्यु हो गई है। घर पर जाकर दुख-संवेदना जताना कोई राजनीति है क्या! बिहार में अनाप-शनाप चर्चा हो रही है। विकास का काम करना ही नहीं है तो इस प्रकार का चर्चा करेंगे ही।
चुभने वाली बयानबाजी ने बिहार की सरकार बदल डाली थी
यह अविश्वास की स्थिति कब तक रहेगी? इसी नाम पर विपक्ष अपना नंबर बढ़ाता और सीएम का नंबर घटाता है। क्या सीएम का चेहरा बदलने की तैयारी है?
अगले चुनाव में कमान किसके हाथ में होगी, एनडीए की बात तो स्पष्ट हो गई है। एनडीए में सभी भाजपा के नेता कह रहे हैं कि अगला चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ेंगे। अविश्वास जैसा कुछ नहीं है। विपक्ष का ही क्या होगा, पता नहीं।
बीपीएससी के बहाने प्रशांत किशोर अब नेता बनने की दिशा में हैं?
वह नेता बनेंगे नहीं। वास्तविक बात यह है कि 912 केंद्र था और 911 में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। एक केंद्र का कैंसिल हुआ। कैंसिल के बाद पुनः परीक्षा की तिथि तय है। कुछ हजारों लड़कों के लिए लाखों बच्चे का भविष्य बर्बाद नहीं किया जाएगा। इसलिए सरकार का निश्चय है कि परीक्षा रद्द नहीं होगी। जिन्हें परीक्षा देनी है, वह तय तारीख पर परीक्षा में शामिल हों और अपनी बुद्धि से पास करके आएं।
तेजस्वी यादव का राजनीतिक भविष्य क्या नजर आता है?
तेजस्वी का कोई भविष्य नहीं है। वह किसी आंदोलन की उपज नहीं है। अपने पिता के कारण राजनीति में चमकदमक है। जो लालू प्रसाद में बात थी, वह तेजस्वी में नहीं है। इनमें बहुत तरह का अवगुण है, जिसके चलते समाज स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए, इनका भविष्य राजनीति में नहीं है। देखिएगा, आगे जाकर उनके नेतृत्व में पार्टी रही तो फिसड्डी साबित होगी।
आपके ऊपर भी परिवारवाद का ठप्पा लगता है। अगले चुनाव में परिवार से कोई और प्रत्याशी है या अब आम जन की बारी आएगी?
परिवारवाद का ठप्पा जहां लगना चाहिए, वहां डर से कोई बोलता नहीं है। हमारे यहां कोई भी गिल्ली-डंडा खेलकर मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बना है। एमए और पीएचडी कर, दस-पांच साल नौकरी और सामाजिक सेवा कर हम इस जगह पर हैं। गरीबों पर पारिवारिक ठप्पा लगाना, उंगली उठाना ज्यादा आसान होता है। हम लोग गरीब तबके के लोग हैं, इसलिए लोग निशाना बनाते हैं। परिवारवाद की बात तो वहां उठाना चाहिए। एक सिंगापुर की रहने वाली बच्ची को टिकट दिया गया। मीसा को टिकट दिया गया। उठाना चाहिए तेज प्रताप पर, जो कुछ नहीं है। स्वयं तेजस्वी प्रसाद पर उठाना चाहिए, जो पब्लिक के लिए कुछ नहीं किए हैं। उठाना चाहिए जगदानंद के बेटा पर, जो सांसद बन गए।
और, चिराग पासवान को लेकर क्या लगता है?
चिराग पासवान हम लोगों के साथ हैं। रामविलास जी के पुत्र हैं। उन्होंने एक तरह से उन्हें वारिस बनाया है। उनके नेतृत्व में आज पांच सांसद हैं। एनडीए के लिए काम कर रहे हैं। हम उनके अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।
विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी कहां आए और कहां चले गए?
उनके चार विधायक जीते, लेकिन साथ नहीं रहे। क्यों नहीं रहे, उन्हें समीक्षा करनी चाहिए। हम लोग यही समझते हैं कि शायद उन्होंने वर्कर को टिकट नहीं दिया था। दूसरे तरह के लोग को टिकट दिया। दूसरे तरह के लोग मौका मिला तो अलग झुंड में चले गए।
आप केंद्र में मंत्री बने तो बिहार के लिए अब तक क्या-क्या लेकर आए? उनमें जमीन पर क्या-क्या शुरू हुआ अबतक?
एमएसएमई विभाग मिला है। खासकर उसका महत्व इसलिए है, क्योंकि हिंदुस्तान और बिहार में युवाओं की संख्या ज्यादा है। नियोजन देना बहुत जरूरी है। एमएसएमई विभाग में हम लोग काफी नियोजन दे रहे हैं। अभी तक 23 लाख लोगों को हमारे विभाग के माध्यम से रोजगार मिला है। पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से 18 ट्रेड के तहत छोटे-छोटे लोगों को 15000 रुपये एडवांस देकर बिना सूद के उनका रोजगार बढ़ाने का मौका दिया गया है। पुराने जमाने में छोटे-छोटे काम करके लोग अपने पैरों पर खड़ा होते थे। आज वैसे काम के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक सहारा दिया जा रहा है। बिहार के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल है। हम भी प्रयास कर रहे हैं। जैसे यहां टेक्नोलॉजी ई सेंटर नहीं था। हमने यहां टेक्नोलॉजी सेंटर बनवाया। बिहार में ऐसे 5 केंद्र बनवाए। हम लोगों को हर जगह दस हजार वर्ग फीट जमीन चाहिए। वह भी प्राप्त कर उसका उद्घाटन करने वाले हैं। एमएसएमई का बिहार में पहले जितना काम काम हुआ था, उससे आज हम ज्यादा काम करने का प्रयास कर रहे हैं। नारियों के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं। जो नहीं देखने को मिलता था, वह सब काम कर रहे हैं।
(इंटरव्यू- रंजन सिन्हा, गया)