Emma Corrin: शाकाल से भी ज्यादा खतरनाक निकली एमसीयू की नई विलेन, खुद को न महिला मानती हैं और न पुरुष

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‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ के लिए संदर्भ बिंदु नहीं
फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ के लिए मेरे पास पहले का कोई संदर्भ बिंदु तो था नहीं, तो मैंने इसके लिए ‘डेडपूल’ बनने वाले रयान रेनॉल्ड्स की मदद ली जो फिल्म के लेखकों में से भी एक हैं। उन्होंने मुझे ‘इन्ग्लोरियस बास्टर्ड्स’ में क्रिस्टोफ वाल्ट्ज के निभाए किरदार का संदर्भ दिया। इसके अलावा मैंने विली वोंका को परदे पर पहली बार निभाने वाले जीन वाइल्डर के अभिनय से भी काफी कुछ सीखा।
नए का दबाव हमेशा रहता है
जब भी हम जीवन में कुछ नया करते हैं, तो उसका मानसिक दबाव हमारे होता ही है। खासतौर से अगर हम ऐसा कोई किरदार करने जा रहे हैं जो असल जीवन से प्रेरित हो तो एक कलाकार के ऊपर दबाव और ज्यादा होता है। ‘क्राउन’ की शूटिंग के समय मैं इसे महसूस कर चुकी हूं।
काम को तवज्जो मिलनी जरूरी
मेरा मानना है किसी भी चुनौती को पार करने के लिए बेहद जरूरी है कि जो टीम इस काम में लगी है, उसके आपसी रिश्ते मजबूत हों। जो अच्छा काम करे, उसका स्वागत करना जरूरी है। अगर मेहनत करने वाले को लगे कि उसे टीम का हिस्सा माना जा रहा है तो अपना बेहतरीन देने के लिए वह जी जान लगा देगा।
खास थी शूटिंग से पहले की तैयारी
‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ के सेट पर शूटिंग करने से पहले की तैयारी खास होती थी। मुझे सिर पर एक ऐसी कैप पहननी होती थी जिससे कि मैं किरदार के अनुसार गंजी दिखूं और मेरी उंगलियों की लंबाई प्रोस्थेटिक के जरिये बढ़ा दी जाती थी। इससे परदे पर मेरा किरदार शानदार दिखता है। हां, तब बहुत दिक्कत होती थी जब मुझे बीच में लघुशंका समाधान के लिए जाना होता था।