Published On: Wed, Oct 30th, 2024

Diwali Is Not Celebrated In Sammu Village Of Himachal For Hundreds Of Years, Even Cooking Food At Home Is Proh – Amar Ujala Hindi News Live


अमर उजाला नेटवर्क, भोरंज (हमीरपुर) Published by: Krishan Singh Updated Wed, 30 Oct 2024 10:28 PM IST

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा भी गांव है, जहां दिवाली पर्व नहीं मनाया जाता। अगर किसी परिवार ने गलती से भी पटाखे जलाने के साथ घर पर पकवान बनाने का काम किया तो फिर गांव में या तो आपदा आएगी या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाएगी। जानिए क्या है पाैराणिक मान्यता…

भारत के सबसे बड़े पर्व दिवाली के लिए हर जगह तैयारियां चल रही हैं। लेकिन देवभूमि हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा भी गांव है, जहां दिवाली पर्व नहीं मनाया जाता। जी हां, हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में सैकड़ों साल से दिवाली पर्व नहीं मनाया जाता है और न ही इस दिन घरों में किसी भी तरह का पकवान बनाया जाता है। जिला  मुख्यालय से करीब 25 किमी दूरी पर स्थित सम्मू गांव में दिवाली को लेकर कोई रौनक नहीं देखी जा रही है। सैकड़ों सालों से लोग यहां पर्व मनाने से परहेज कर रहे हैं।

गांव के लोगों का मानना है कि दिवाली की रात दीप तो जलाए जाते हैं, लेकिन अगर किसी परिवार ने गलती से भी पटाखे जलाने के साथ घर पर पकवान बनाने का काम किया तो फिर गांव में या तो आपदा आएगी या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाएगी। कई बार गांव के लोगों ने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए कोशिशें कीं, लेकिन फिर भी मुक्ति नहीं मिली। आज भी इस गांव में इस श्राप का इतना खौफ है कि दिवाली को गांव के लोग घरों से बाहर निकलने से भी कतराते हैं। इसे संयोग कहे या श्राप कि दिवाली के महीने में इस गांव में किसी न किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

 




इसलिए नहीं मनाई जाती है दिवाली

लोक मान्यता के अनुसार इस पर्व के दिन गांव की ही एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। महिला दिवाली का त्योहार मनाने के लिए अपने मायके जाने के लिए निकली थी। उसका पति राजाओं के समय में सैनिक था, लेकिन जैसे ही महिला गांव से कुछ दूर आई तो  सामने से उसके पति का शव व सामान लेकर ग्रामीण गांव की ओर आ रहे थे। उसके पति की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हो गई थी। महिला गर्भवती भी थी।


बताया जाता है कि महिला यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और वह अपने पति के साथ ही सती हो गई। जाते-जाते वह सारे गांव को यह श्राप देकर चली गई कि इस गांव के लोग कभी भी दिवाली का त्योहार नहीं मना पाएंगे। उस दिन से लेकर आज तक इस गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती है। दिवाली के दिन लोग सिर्फ सती की मूर्ति की पूजा करते हैं। 


गांव में कभी दिवाली मनाते नहीं देखा : प्रधान

सम्मू गांव की रहने वाली ग्राम पंचायत भोरंज की प्रधान पूजा देवी व अन्य महिलाएं बताती हैं कि जब से वो इस गांव में शादी करके आई हैं, तब से कभी दिवाली मनाते हुए नहीं देखा। गांव के लोग यदि गांव के बाहर भी बस जाएं तब भी सती का श्राप उनका पीछा नहीं छोड़ता।


उन्होंने बताया कि गांव का एक परिवार गांव के बाहर दूर जाकर बस गया। जब उन्होंने वहां दिवाली के स्थानीय पकवान बनाने की कोशिश की तब अचानक ही उनके घर में आग लग गई। गांव के लोग सिर्फ सती की पूजा करते हैं और उनके आगे दीया जलाते हैं।





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