Dhananjay Singh said- why are you harping on the minister’s son | धनंजय सिंह बोले- क्यों लगा रखी मंत्री पुत्र की रट: कहा- मैं दूसरी विचारधारा से आयातित कार्यकर्ता नहीं, 2013 से कर रहा हूं संघर्ष – Jaipur News

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) में विवाद बढ़ता जा रहा है। एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी के आरोपों पर हेल्थ मिनिस्टर गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे और एडहॉक कमेटी सदस्य धनंजय सिंह खींवसर ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा- क्या किसी डॉक्टर के बेटे
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उन्होंने कहा- भारतीय जनता पार्टी के प्रति मेरी निष्ठा और समर्पण पर प्रश्न उठाना न केवल अनुचित है। बल्कि हजारों कार्यकर्ताओं का भी अपमान है। जिन्होंने बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के सालों से इस संगठन को सींचा है। मैं किसी दूसरी विचारधारा से आयातित कार्यकर्ता नहीं हूं। जन्म से कमल का दामन थामा है। उम्रभर यही मेरी पहचान रहेगी। म्र में आपसे छोटा हूं, लेकिन पार्टी के भीतर कार्य अनुभव में कहीं अधिक समर्पण पूर्वक और निरंतरता से सक्रिय हूं।
वैभव गहलोत से टकराकर बदली व्यवस्था
धनंजय ने कहा- 2013 से जोधपुर, नागौर और खींवसर की तपती धूप में पसीना बहाया। उस खींवसर क्षेत्र में भाजपा को खड़ा किया। जहां पहले जमानतें जब्त होती थीं। कई संगठनात्मक जिम्मेदारी निभाईं और जमीनी स्तर पर कार्य कर पार्टी को नई ऊर्जा दी। जब क्रिकेट में आया, तब कांग्रेस की सरकार थी। वैभव गहलोत जैसे राजनीतिक चेहरों से टकराकर व्यवस्था को चुनौती दी और उसे बदला भी। यह सब तब संभव हुआ, जब कोई विशेष पद या सुविधा नहीं थी, सिर्फ संकल्प और संघर्ष साथ था।
पिता पर गर्व है मुझे, नहीं लगाया स्टिकर
धनंजय ने कहा- मुझे अपने पिता पर गर्व है। लेकिन मैं उनकी विरासत पर नहीं, अपनी मेहनत पर खड़ा हूं। मेरी गाड़ी पर मंत्री पुत्र या विधायक (MLA) जैसे स्टिकर नहीं लगते हैं। क्योंकि मेरी पहचान मेरे कर्मों से है।

2013 से मेरी यात्रा के सबूत मौजूद
उन्होंने कहा- मेरी राजनीतिक यात्रा का दस्तावेज मेरा सोशल मीडिया है। जो 2013 से हर साल की गतिविधियों और योगदान की तस्वीरों के रूप में मौजूद है। कौन कहां था, कौन क्या कर रहा था। इसका प्रमाण समय ने स्वयं सहेज रखा है। दुर्भाग्यवश, व्यक्तिगत टिप्पणियों के जरिए असल मुद्दे से यानी क्रिकेट से ध्यान भटकाया जा रहा है। खेल को खेल ही रहने दीजिए। अगर उद्देश्य सुधार है तो चर्चा विषय केंद्रित होनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत व्यंग्य और पूर्वाग्रहों से भरी हुई।
मंत्री पुत्र की रट क्यों लगा रखी है
धनंजय ने कहा- अगर कोई युवा सेवा के माध्यम से राजनीति और खेल जगत में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहा है। आपको उससे भी परेशानी है तो इसका किसी डॉक्टर के पास कोई इलाज नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या किसी डॉक्टर के बेटे को डॉक्टर-पुत्र कहा जाता है। या व्यापारी के बेटे को व्यापारी पुत्र कहा जाता है। फिर ‘मंत्री पुत्र’ की रट क्यों लगा रखीं है। यह सोच समाज की परिपक्वता को ही छोटा करती है। इसलिए विनम्र आग्रह है कि आलोचना करने से पहले तथ्यों की जांच करें। आलोचना कीजिए पर शालीनता के साथ और यदि कटाक्ष करें, तो जवाब सुनने की हिम्मत भी रखिए।

जयदीप बिहाणी बोले थे- मंत्री पुत्र बड़ी समस्या
बता दें कि शुक्रवार को एडहॉक कमेटी के कन्वीनर जयदीप बिहाणी ने कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर पर तंज कसा था। उन्होंने कहा- हिंदुस्तान में मंत्री पुत्र, सरपंच पति बड़ी समस्या है। मैं भी MLA हूं, लेकिन मेरा बेटा तो MLA का स्टीकर लगाकर नहीं घूमता, न ही किसी ऑफिस में फोन करता है। जनता में गजेंद्र सिंह खींवसर प्रभाव है न कि उनके बेटे का। बिहाणी ने धनंजय के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा- मैंने तालिबान की तरह नहीं बल्कि, उन्होंने पाकिस्तानी हुक्मरान की तरह काम किया है। (पूरी खबर पढ़ें)



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