Published On: Mon, Jun 2nd, 2025

Demand Raised To Ban Commercial Activities Happening In Sariska And Nahargarh Sanctuary – Nagaur News


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नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने जयपुर स्थित नाहरगढ़ और अलवर के सरिस्का अभयारण्यों में हो रही वाणिज्यिक गतिविधियों का मुद्दा लोकसभा में उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन संरक्षित क्षेत्रों में होटल और खनन माफियाओं को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है और सुप्रीम कोर्ट तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है।

सांसद बेनीवाल ने कहा कि दोनों अभयारण्यों के इको सेंसिटिव ज़ोन में अवैध रूप से होटल और अन्य वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार और संबंधित अधिकारी इन गतिविधियों के खिलाफ केवल औपचारिक नोटिस जारी कर इतिश्री कर लेते हैं, जबकि कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने लोकसभा में यह भी बताया कि अलवर के सिलीसेड़ क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक होटल संचालित हो रहे हैं, जबकि अजबगढ़-जमवारामगढ़ रेंज में भी इसी तरह की स्थिति है। यह सब सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की खुली अवहेलना है। बेनीवाल की इस मांग पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने संसद को सूचित किया है कि भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने इस मामले में राजस्थान सरकार के वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही आवश्यक निर्देश भी राज्य सरकार को दिए गए हैं।

सांसद बेनीवाल ने इस पत्र की प्रति सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की है और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील की है कि वे इस मामले में त्वरित संज्ञान लें। उन्होंने मांग की है कि इन प्रतिबंधित क्षेत्रों में संचालित वाणिज्यिक गतिविधियों को तुरंत बंद कराया जाए और दोषियों पर आर्थिक दंड लगाने के साथ-साथ आपराधिक मुकदमे भी दर्ज किए जाएं।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरिस्का और नाहरगढ़ अभयारण्यों के नक्शों में बदलाव कर उद्योगपतियों और खनन माफियाओं को फायदा पहुंचाने की किसी भी कोशिश का विरोध किया जाएगा।

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लोकसभा में हनुमान बेनीवाल ने दक्षिण जयपुर के डोल का बाढ़ क्षेत्र के संरक्षण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि वहां प्रस्तावित पीएम यूनिटी मॉल के लिए लगभग 2500 पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। यह आंदोलन पर्यावरण संरक्षण को लेकर है। उन्होंने सरकार से मांग की कि डोल का बाढ़ क्षेत्र को संरक्षित किया जाए और परियोजना के नाम पर पेड़ों की कटाई रोकी जाए। बेनीवाल ने अंत में कहा कि पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा के लिए हमें हर संभव प्रयास करने चाहिए, क्योंकि यह आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है।

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