दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका में फीस वृद्धि को लेकर चल रहे विवाद में अंतरिम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जिन छात्रों के नाम स्कूल ने फीस न जमा करने के कारण हटा दिए थे, उन्हें पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।
बशर्ते, उनके अभिभावक 2024-25 सत्र से बढ़ी हुई फीस का 50% जमा करें। इस दौरान अभिभावकों को मूल फीस पूरी जमा करनी होगी। यह आदेश 16 मई, 2025 को जस्टिस विकास महाजन की ओर से पारित किया गया था, जिसकी जानकारी बुधवार को सार्वजनिक की गई।
यह मामला 100 से अधिक अभिभावकों की ओर से दायर याचिका से जुड़ा है, जिन्होंने स्कूल की ओर से लगातार फीस वृद्धि और छात्रों को निकाले जाने के फैसले का विरोध किया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 50 प्रतिशत की छूट केवल बढ़ी हुई फीस पर लागू होगी। पिछले कुछ वर्षों से डीपीएस, द्वारका में फीस वृद्धि को लेकर अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच तनाव चल रहा है।
अभिभावकों के अनुसार, स्कूल ने 2020 से 2025 के बीच लगातार फीस बढ़ाई। यह वृद्धि 20%, 13%, 9%, 8%, और 7% की हुई है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल ने बिना उचित अनुमति के फीस बढ़ाई और बच्चों को परेशान किया।
छात्रों ने हाईकोर्ट को लिखी थी चिट्ठी
पांच छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट की चिट्ठी लिखी, जिसके बाद मामला चर्चा में आया। छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बढ़ी हुई फीस न देने पर लाइब्रेरी में बैठने को मजबूर किया गया और उन्हें कक्षा में नहीं जाने दिया गया। हाईकोर्ट ने स्कूल के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि स्कूल शिक्षा को कमाई की मशीन बना रहा है और छात्रों को संपत्ति की तरह व्यवहार कर रहा है।