Cyclone Biparjoy: ये चुनौतियां दे जाएगा बिपरजॉय, रास्ते और रफ्तार पर टिका है चक्रवाती महा-तूफान का मिजाज
चक्रवातीय तूफान के बाद सबसे बड़ी चुनौती, पीड़ित लोगों को महामारी से बचाना है। जिन इलाकों से यह तूफान गुजरेगा, वहां पर कुछ समय के लिए सब कुछ तहस नहस दिखाई पड़ेगा। सरकारों ने जिस त्वरित गति से ‘राहत एवं बचाव’ कार्य शुरू करने के लिए तमाम संसाधन एकत्रित किए हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि ‘बिपरजॉय’ से मानव हानि की संभावना न के बराबर रहेगी…
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विस्तार
चक्रवातीय तूफान ‘बिपरजॉय’ का असर दिखने लगा है। अभी तक जितने भी इनपुट आ रहे हैं, उसके मुताबिक ‘बिपरजॉय’ से भारी तबाही साफ नजर आ रही है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और केरल सहित 9 राज्यों के लिए अगले 48 घंटे बहुत अहम हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के पूर्व सदस्य मेजर जनरल (रि.) डॉ जेके बंसल बताते हैं, ‘बिपरजॉय’ कई सारे चैलेंज दे जाएगा। चक्रवातीय तूफान के बाद सबसे बड़ी चुनौती, पीड़ित लोगों को महामारी से बचाना है। जिन इलाकों से यह तूफान गुजरेगा, वहां पर कुछ समय के लिए सब कुछ तहस नहस दिखाई पड़ेगा। हालांकि केंद्र एवं राज्य सरकारों ने जिस त्वरित गति से ‘राहत एवं बचाव’ कार्य शुरू करने के लिए तमाम संसाधन एकत्रित किए हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि ‘बिपरजॉय’ से मानव हानि की संभावना न के बराबर रहेगी। चक्रवाती महा-तूफान का मिजाज ‘रास्ते और स्पीड’ पर निर्भर करेगा। अगर इसमें कुछ बदलाव हुआ तो नुकसान भी थोड़ा कम हो सकता है।
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कम कर सकते हैं जान-माल की हानि
बुधवार सुबह अमर उजाला डॉट कॉम के साथ बातचीत में डॉ. जेके बंसल ने कहा, ‘बिपरजॉय’ एक भयंकर चक्रवाती तूफान है। हिन्दुस्तान का पश्चिमी हिस्सा इसकी चपेट में आ सकता है। इस तूफान की रफ्तार 150 किलोमीटर प्रतिघंटा बताई जा रही है। समुद्र में 15-20 फुट ऊंची लहरें उठ सकती हैं। हालांकि तूफान का ज्यादा प्रभाव गुजरात पर पड़ेगा, लेकिन इसके मिजाज को लेकर कुछ सटीक नहीं कहा जा सकता। इस तरह की आपदा को रोकना बहुत मुश्किल है, मगर इससे होने वाली जान-माल की हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है। असली चैलेंज तो चक्रवाती तूफान के जाने के बाद सामने आएगा। अभी हजारों लोगों को कैंपों में शिफ्ट किया गया है। तूफान का सबसे ज्यादा असर सड़कों और बिजली के खंबों पर पड़ता है। पानी का ठहराव और सड़कें टूटने के कारण स्वास्थ्य एवं दूसरी सेवाएं प्रभावित होती हैं। पशु बह जाते हैं। तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में 2004 की भीषण सुनामी लहरों में अनेक पशु कई दिन बाद भी फंसे हुए थे।
इंसानी जान बचाने में मिलेगी सौ फीसदी कामयाबी
चक्रवातीय तूफान ‘बिपरजॉय’ के दौरान इन्सानी जान बचाने में सौ फीसदी कामयाबी मिलेगी। डॉ. जेके बंसल ने कहा, केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, खुद इस तूफान पर नजर रख रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय सहित कई विभाग तैयारियों में जुटे हैं। पर्याप्त संख्या में आर्मी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। लगभग 40 हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया गया है। मछुआरों के लिए पहले से ही एडवायजरी जारी कर दी गई है। इस तरह की आपदा में हेलीकॉप्टर बहुत मदद साबित होते हैं। इस तरह की आपदा में कच्चे मकान, सुरक्षित नहीं रहते। अगर वे ज्यादा हाइट पर नहीं हैं तो बच सकते हैं। पेड़ और बिजली के खंबे, सबसे ज्यादा असर इन्हीं पर पड़ता है। चारों तरफ दबाव की स्थिति बनने से इलेक्ट्रिक पोल, ताश के पत्तों की तरह बह जाते हैं।
रास्ता व स्पीड बदल जाए तो कम होगा नुकसान
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के पूर्व सीनियर कन्सलटेंट एवं एनडीआरएफ के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले एक्स बीएसएफ आईजी शिवाजी सिंह बताते हैं, भारत सरकार ने ‘बिपरजॉय’ से बचाव के लिए तमाम उपाय किए हैं। देश के कई राज्यों के इसकी चपेट में आने की संभावना है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का भी कुछ हिस्सा, ‘बिपरजॉय’ का क्रोध झेल सकता है। ‘वेस्टर्न सी’ में कभी कभार चक्रवाती तूफान आता है, मगर वह भारी नुकसान पहुंचाकर चला जाता है। अगर तूफान का रास्ता और स्पीड बदले तो कुछ बचाव संभव है। गुजरात के कच्छ और राजस्थान से गुजरता है तो इसका नुकसान कम होगा। वजह, वहां आबादी वाले क्षेत्र कम हैं। इसके विपरित महाराष्ट्र में एंट्री हुई तो वहां पर जनसंख्या अधिक होने के कारण ज्यादा हानि संभव है। पीएम मोदी खुद इसे मॉनिटर कर रहे हैं। 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद देश में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए तमाम संसाधन जुटाए गए हैं। लोगों को भी मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार किया गया है। ‘बिपरजॉय’ की तबाही के बाद पटरी से उतरे जीवन को दोबारा से सामान्य करना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है। नुकसान के बाद की रिक्वरी ज्यादा अहम है।
लैंड फॉल कहां पर होगी, ये भी नुकसान का पैमाना
‘बिपरजॉय’ का लैंड फॉल कहां पर होता है, ये बहुत अहम बात है। अगर तूफान का लैंड फॉल गुजरात के नॉर्थ वेस्ट या राजस्थान में होगा तो नुकसान कम होगा। एक तो वहां की आबादी कम है और दूसरा जमीन रेतीली है। साउथ गुजरात में अगर लैंड फॉल हुआ तो भारी नुकसान संभावित है। वहां पर जनसंख्या ज्यादा है तो इंडस्ट्री की संख्या भी ठीक ठाक है। खास बात है कि इस चक्रवाती तूफान के बाद तेज बरसात होती है। कई जगहों पर बाढ़ आने का खतरा भी बना रहता है। ऐसे इलाकों का पहले से ही अध्ययन कर लिया जाता है। वहां पर एनडीआरएफ/एसडीआरएफ तैनात रहती है। लोगों को वहां से दूसरी जगह पर ले जाया जाता है। ऐसे इलाकों में समय रहते रेल और सड़क यातायात को बंद कर दिया जाता है। कई जगह ऐसी भी होती हैं, जहां पर चक्रवात के कमजोर पड़ने तक बरसात जारी रहती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को चक्रवाती तूफान को लेकर तैयारियों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा, सरकार ने इस आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। हमारा मकसद, ‘जीरो कैजुअल्टी’ सुनिश्चित करना है। चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ से जो नुकसान संभावित है, उसे न्यूनतम कर दिया जाए।