CJI बोले- लोग सेटलमेंट करके कोर्ट से छुटकारा चाहते हैं: लेकिन प्रोसेस ही पनिशमेंट; हम निपटारे की जगह बेहतर रिजल्ट देने की कोशिश करते हैं

नई दिल्ली2 मिनट पहले
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CJI ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लोक अदालत वीक के स्मरणोत्सव कार्यक्रम को संबोधित किया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (3 अगस्त) को कहा कि लोग कोर्ट में समझौता चाहते हैं। वे जल्द से जल्द अदालतों से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन प्रोसेस ही पनिशमेंट है। जज के रूप में हम समझौते की इजाजत नहीं देते, क्योंकि यह समाज में पहले से मौजूद असमानताओं को दर्शाता है।
CJI ने कहा- जज के रूप में हम कोशिश करते हैं और कहते हैं कि हम निपटारा नहीं करेंगे। बल्कि हम आपको बेहतर रिजल्ट देंगे। चंद्रचूड़ ने कहा कि जब बीआर अंबेडकर जैसे दिग्गजों ने संविधान बनाया था, तो उन्होंने इसे एक मिशन के साथ बनाया था।
चंद्रचूड़ ने कहा- भारत के सुप्रीम कोर्ट को 180 संवैधानिक मामलों से निपटने वाला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट बनाने का विचार नहीं था। बल्कि इसके पीछे ‘न्याय सबके द्वार’ का विचार था। यह एक अदालत थी, जिसे गरीब समाज के लिए बनाया जा रहा था, जहां न्याय तक पहुंच का अभाव था।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से उन 1065 छात्रों को स्कॉलरशिप सर्टिफिकेट सौंपा गया, जिन्होंने कोविड के दौरान अपने माता-पिता, दोनों को खो दिया था।
CJI ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लोक अदालत वीक के स्मरणोत्सव समारोह में कहीं। इस समारोह में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर 29 जुलाई से 3 अगस्त तक स्पेशल लोक अदालत का आयोजन किया गया था।
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा- ‘इस लोक अदालत में 1000 से अधिक मामलों का निपटारा किया गया। मुझे बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में आयोजित लोक अदालत में सिविल मामलों का भी निपटारा किया गया है।’
कानून मंत्री ने कहा- हमारे देश में पहली बार भगवान कृष्ण ने लोक अदालत आयोजित की थी। तब कौरवों और पांडवों के बीच विवाद हो गया था। दुर्योधन नहीं माना और विवाद जारी रहा। यह हमारी संस्कृति में है कि हम विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का उपयोग करते हैं।
चंद्रचूड़ बोले- हम मुवक्किलों को नहीं जानते, यही सबसे बड़ी कमी
चंद्रचूड़ ने अपने संबोधिन के दौरान कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज ऊंचे डायस पर बैठते हैं। हमारे सामने वकील बैठते हैं। हम मुवक्किलों को शायद ही जानते हों जैसे हम हाई कोर्ट या डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जानते हैं। हम जिन लोगों को सुप्रीम कोर्ट में न्याय देते हैं, वे हमारे लिए अदृश्य हैं। यही हमारे काम की सबसे बड़ी कमी है।
CJI ने कहा- सुप्रीम कोर्ट भले ही दिल्ली में स्थित है, लेकिन यह पूरे भारत का कोर्ट है। हमने पूरे देश से अधिकारियों को रजिस्ट्री में भर्ती किया है और वे पूरे भारत में जीवन और समाज के बारे में विविधता, समावेश और ज्ञान लाते हैं।
CJI ने कहा- भारत सरकार के एक बहुत सीनियर सेक्रेटरी और पूर्व सिविल सर्वेंट ने मुझसे कहा कि उन्हें कभी नहीं पता था कि सुप्रीम कोर्ट में छोटे मामलों की भी सुनवाई होती है। क्योंकि हमें सुप्रीम कोर्ट में सभी बड़े मामलों को निपटाते हुए देखने की आदत है।
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CJI चंद्रचूड़ ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर 14 जून को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं।
दरअसल, PM के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के मेंबर संजीव सान्याल ने हाल ही में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जज बहुत अधिक छुट्टियां ले रहे हैं। इसपर सुप्रीम कोर्ट के कई जजों ने असहमति जताई थी। CJI चंद्रचूड़ ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में स्पीच के दौरान इसी बात का जवाब दिया। पूरी खबर पढ़ें…
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भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 23 मार्च 2024 को कर्नाटक में जूनियर जजों से वर्क-लाइफ बैलेंस और स्ट्रैस मैनेजमेंट पर बात की। इस दौरान CJI ने कुछ दिन पुराना किस्सा सुनाया कि उन्हें भी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था। चंद्रचूड़ ने कहा- पांच दिन पहले मैं एक मामले की सुनवाई कर रहा था। इस मामले की लाइव स्ट्रीमिंग भी हो रही थी। पूरी खबर पढ़ें