CJI खन्ना ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगा था: नहीं दिया तो पद से हटाने की सिफारिश की; संसद ने हटाया तो पेंशन नहीं मिलेगी

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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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पूर्व CJI संजीव खन्ना ने इनहाउस रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस यशवंत वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था। जस्टिस वर्मा के इनकार करने पर CJI खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों ने हवाले से यह जानकारी दी है।
जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी घर में 14 मार्च को आग लग गई थी। फायर सर्विस की टीम जब आग बुझाने गई तो उन्हें बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज को हटाने की प्रक्रिया के जानकार अधिकारियों ने बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के पास सिर्फ इस्तीफा देने का विकल्प बचा है। अगर वे इस्तीफा देते हैं तो उन्हें रिटायर्ड जज की तरह पेंशन और अन्य लाभ मिलेंगे। संसद में प्रस्ताव लाकर अगर जस्टिस वर्मा को हटाया जाता है, तो किसी तरह के लाभ नहीं मिलेंगे।
संसद में मौखिक रूप से इस्तीफा दिया जा सकता है जस्टिस वर्मा संसद के किसी भी सदन में सांसदों के सामने अपना पक्ष रखते हुए पद छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं। उनके मौखिक बयान को ही उनका इस्तीफा मान लिया जाएगा।
संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार, हाईकोर्ट का जज राष्ट्रपति को अपना साइन किया त्यागपत्र दे सकते हैं। जज के इस्तीफे के लिए किसी अनुमोदन जरूरत नहीं होती। एक साधारण त्यागपत्र ही काफी होता है। जज अपनी चिट्ठी में पद छोड़ने की तारीख भी लिख सकते हैं। इस मामले में वे पद पर रहने की आखिरी तारीख से पहले इस्तीफा वापस ले सकते हैं।