By Election 2024 : चार सीटों पर वोट कल; बेटे की प्रतिष्ठा बचाने को लालू भी उतरे, राजग सीटें छीनने को आतुर
बिहार विधानसभा की चार सीटों पर 13 नवंबर को पड़ेंगे वोट।
– फोटो : amar ujala digital
विस्तार
- बुधवार को बिहार की चार सीटों पर कुल 38 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे मतदाता
- राजद के लिए प्रतिष्ठा का विषय है यह चुनाव, तीन सीटों पर रहा है महागठबंधन का कब्जा
- जीतन राम मांझी के सांसद बनने से खाली हुई इमामगंज सीट को कायम रखना चाहेगा राजग
- कल सुबह सात बजे से मतदान; 1277 बूथों पर पड़ेंगे वोट, 33 पुरुष व पांच महिला प्रत्याशी
बिहार विधानसभा की चार सीटों पर बुधवार को उप चुनाव के लिए वोट पड़ेंगे। बुधवार को मतदान सुबह 7:00 से शुरू हो जाएगा। बेलागंज, इमामगंज, तरारी और रामगढ़ विधानसभा में कुल 38 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। इन प्रत्याशियों में 33 पुरुष, जबकि पांच महिला प्रत्याशी हैं। विधानसभा की इन चारों सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर सोमवार की शाम पांच बजे थम गया था। चारों विधानसभा क्षेत्र में कुल 1277 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसमें बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में 305, इमामगंज में 346, रामगढ़ विधानसभा में 294 और तरारी विधानसभा क्षेत्र में 332 बूथ हैं। चारों विधानसभा क्षेत्र में कुल 12 लाख 2 हजार 63 मतदाता हैं। इनमें बेलागंज में 2 लाख 88 हजार 782, इमामगंज में 3 लाख 15 हजार 389, रामगढ़ में 2 लाख 89 हजार 743 और तरारी विधानसभा में 3 लाख 8 हजार 149 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। चुनाव इसलिए भी मायने रख रहा, क्योंकि महागठबंधन के खाते की तीन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास रही एक सीट पर वोटिंग के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में रहेंगे।
तीन सीटों पर रहा है महागठबंधन का कब्जा
बिहार के चार सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है। पहले से बेलागंज, रामगढ़ और तरारी विधानसभा सीट महागठबंधन के कब्जे में था। तीनों सीटों के विधायक इसी साल लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए तो यह सीटें ख्नाली हुईं। एक इमामगंज विधानसभा सीट राजग के खाते में थी। इसलिए, इस बार राजद को अपनी तीनों सीटें बचाने की चुनौती चर्चा में है और लालू प्रसाद यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव की प्रतिष्ठा बचाने के लिए खुद चुनाव प्रचार के मैदान में उतर चुके हैं।
रामगढ़ : राजद और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में राजद और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। बहुजन समाजवादी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है। अब देखना होगा रामगढ़ के इतिहास फिर दोहराएगा या नहीं? रामगढ़ के विधायक सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद का चुनाव जीतने के बाद सीट खाली हो गई थी। 2020 के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा, राजद और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने महज 189 वोटों से बसपा के अंबिका यादव को हराया था। मात्र 1999 में मत पीछे रहकर भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह तीसरे स्थान पर चले गए थे। इस बार उपचुनाव में राजद को कांटे के मुकाबले की अपनी सीट को बचाने की चुनौती है। रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र राजद के लिए पारंपरिक सीट है। इस बार चुनावी मैदान में राजद ने जगदानंद सिंह के छोटे बेटे और यहां के पूर्व विधायक सुधाकर सिंह के भाई अजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ बसपा ने अंबिका यादव के भतीजे सतीश कुमार सिंह उर्फ पिंटू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के अशोक सिंह फिर उम्मीदवार हैं।
तरारी : भाजपा और माले के बीच कांटे की टक्कर
भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा चुनाव में राजग समर्थित भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत और महागठबंधन समर्थित भाकपा-माले प्रत्याशी राजू यादव के बीच फिलहाल सीधी टक्कर नजर आ रही है। वहीं जन सुरज पार्टी ने प्रत्याशी किरण सिंह त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। तरारी विधानसभा के चुनावी समर में यहां के मतदाता राजनीतिक समीकरण के आधार पर गोलबंद होते दिख रहे हैं। भाकपा माले अपने कैडर वोटों के अलावे राजद के माई समीकरण को जोड़ने का प्रयास कर रहा है। वहीं भाजपा के वोट बैंक माने जाने वाले सवर्ण और वैश्य मतदाता भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में गोलबंद होते दिख रहे हैं। हालांकि जन सुराज दोनों गठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है।
बेलागंज : आमने-सामने की टक्कर
गया जिले की बेलागंज विधानसभा सीट राजद का परंपरागत सीट रही है। सुरेंद्र प्रसाद यादव के लोकसभा चुनाव में जहानाबाद से जीतने के बाद यह सीट खाली हुई थी। इस उपचुनाव में राजद ने जहानाबाद सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ जदयू ने पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को मैदान में उतारा है। वहीं जन सुराज पार्टी ने मो. अमजद को अपना उम्मीदवार बनाया है। बेलागंज विधानसभा में राजद और जदयू प्रत्याशी के बीच आमने-सामने की टक्कर है।
इमामगंज : केन्द्रीय मंत्री की प्रतिष्ठा है दांव पर
गया जिले की इमामगंज विधानसभा सीट पर एनडीए ने हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर से केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू और बिहार सरकार के मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं राजद ने इस सीट पर रौशन मांझी पर दांव खेला है। जन सुराज पार्टी भी जितेंद्र पासवान को टिकट देकर चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है। इस सीट पर लोकल और बाहरी के नाम पर खेल चल रहा है।
चुनाव प्रचार में खूब चला शब्दों का बाण
बिहार की चार सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में राजग और राजद के कई दिग्गज नेताओं की सभाएं हुईं। जहां नीतीश कुमार लगातार राजद पर जंगलराज की बात करते रहे, वहीं जदयू सांसद ललन सिंह, भाजपाई डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा व सम्राट चौधरी, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, भाजपाई कोटे के मंत्री मंगल पांडेय समेत एनडीए के कई नेताओं ने राजद सांसद डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव को दानव समेत कई बातें कहीं। वहीं, जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर लगातार प्रहार करते रहे। जन सुराज पार्टी द्वारा मुस्लिम उम्मीदवार उतारा जाना राजद के लिए परेशानियों का सबब बन गया था। राजद अपनी परम्परागत सीट को बचाने के लिए लालू यादव, अब्दुल बारी सिद्दीकी, ओसामा शहाब समेत कई दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतरना पड़ा। हालांकि महागठबंधन के सभी नेताओं ने एनडीए को उखाड़ फेंकने की बात की। इन सभी बातों के बाद भी मतदाताओं की चुप्पी से सभी पार्टी के नेता हैरान और परेशान हैं। राजनैतिक जानकारों का मानें तो बिहार उपचुनाव में जीत या हार से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन, इस चुनाव में जीत-हार से 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर असर ज़रूर पड़ेगा। यही कारण है कि इन चारों सीटों पर राजग और महागठबंधन के नेता लगातार क्षेत्रों में पसीना बहा रहे हैं।
(इनपुट : रंजन सिन्हा, गया)