Published On: Mon, Aug 5th, 2024

Bombay HC: ‘लड़की बहिन’ योजना के खिलाफ दायर PIL खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते


Maharashtra government Ladki Bahin Yojana PIL dismissed HC says we cannot interfere there

बॉम्बे हाई कोर्ट
– फोटो : ANI

विस्तार


महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना को लेकर दाखिल  PIL को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह महिलाओं के लिए लाभकारी योजना है और इसे भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को किस तरीके से कोई योजना बनानी है, यह अदालत के दायरे से बाहर है। यह एक नीतिगत निर्णय है। हम इसमें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकते जब तक कि किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन न हो।

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मुंबई के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट  नवीद अब्दुल सईद मुल्ला ने महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना’ के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी। उन्होंने दावा किया कि यह योजना करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डालेगी। याचिकाकर्ता ने नौ जुलाई को योजना शुरू करने वाले सरकारी प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, 21 से 65 आयु वर्ग की उन महिलाओं के बैंक खातों में 1,500 रुपये का मासिक भत्ता हस्तांतरित किया जाएगा। जिनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अदालत सरकार के लिए योजनाओं की प्राथमिकता तय नहीं कर सकती है। याचिकाकर्ता को मुफ्त और सामाजिक कल्याण योजना के बीच अंतर करना होगा। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने कहा कि आज की सरकार का हर फैसला राजनीतिक है। वह सरकार से एक या दूसरी योजना शुरू करने के लिए नहीं कह सकती।

याचिकाकर्ता के वकील पेचकर ने दावा किया कि योजना महिलाओं के बीच भेदभाव करती है क्योंकि केवल वे ही जो प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपये से कम कमाते हैं वे इसके लाभ के लिए पात्र थे। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपये कमाने वाली महिला की तुलना प्रति वर्ष 10 लाख रुपये कमाने वाली महिला से कैसे की जा सकती है? योजना बजटीय प्रक्रिया के बाद पेश की गई थी। बजट बनाना एक विधायी प्रक्रिया है। पीठ ने कहा कि भले ही व्यक्तिगत रूप से वह याचिकाकर्ता से सहमत हो, लेकिन वह कानूनी तौर पर इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

‘करदाताओं और सरकारी खजाने पर पड़ रहा अतिरिक्त बोझ’

याचिकाकर्ता नवीद अब्दुल सईद मुल्ला ने दावा किया कि सरकारी योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करदाताओं या सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि कर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वसूला जाता है, न कि तर्कहीन नकदी योजनाओं के लिए। उन्होंने कहा, “इस तरह की नकद लाभ योजनाएं आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में लड़ रही मौजूदा गठबंधन सरकार में सियासी दलों की ओर से मतदान को कुछ उम्मीदवारों के पक्ष में करने के लिए मतदाताओं को रिश्वत या उपहार का पर्याय हैं।” 

‘योजना जनप्रतिनिधित्व कानून के खिलाफ’

उन्होंने कहा, इस तरह की योजना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के खिलाफ थी और भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आती हैं। पीआईएल में दावा किया गया है कि महिलाओं के लिए इस योजना पर करीब 4,600 करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह महाराष्ट्र पर भारी बोझ है। राज्य पर पहले से ही 7.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। 





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