Published On: Sat, Aug 3rd, 2024

Body Donation : अंगदान से कैसे और कितनी जिंदगी बचा सकते हैं? डॉक्टर ने ऑर्गन डोनेशन डे पर बताई सारी बात


Bihar News: On Indian Organ Donation Day, IGIMS Superintendent said - Donating organs can save someone's life

इंडियन ऑरगन डोनेशन डे पर आयोजित कार्यक्रम।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


अंगदान सबसे बड़ा दान है। इसके जरिए हम दूसरों का जीवन बचा सके हैं। उनके जीवन में रोशनी ला सकते हैं। उनके परिजनों को खुशिया दे सकते हैं। यह बातें इंदिरा गांधी आयुविर्ज्ञान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कही। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने तीन अगस्त को भारतीय अंगदान दिवस घोषित किया है जिसके जागरूकता के लिए सोटो के अध्यक्ष एवं सर्जन (चिकित्सक) होने के नाते लोगों के प्रति अंगदान की अहमियत और उससे होने वाले उपयोगिता के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए उनको अंगदान के लिए प्रेरित करना मेरा फर्ज बनता है और इसके लिए सोटो, बिहार निरंतर प्रयासरत है। इस अवसर पर संस्थान के लेक्चर हॉल में आयोजित किये गये कार्यक्रम में सम्मिलित सभी विभागाध्यक्ष व चिकित्सक और नर्सिंग एवं परामेडिकल सर्विसेज के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों सहित संस्थान में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अंगदान के लिए बताया एवं उससे होने वाले अन्य जीवनलाभों के बारे में बताया।

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दरअसल, इंडियन ऑरगन डोनेशन डे’ के अवसर पर स्टेट ऑरगन टिस्सू ट्रांस्पलांट ऑरगेनाइजेशन (सोटो), बिहार के तत्वधान में इंदिरा गांधी आयुविर्ज्ञान संस्थान, पटना में अंगदान संबंधित जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।  मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पद्मश्री डॉ. विमल जैन ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी को धन्यवाद करते हुए कहा कि देश में अंगदान को लेकर जागरूकता अब पहले से ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी रेडियो द्वारा पूरे भारतवासियों को अंगदान करने हेतु जोर दिया है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस मुहिम की शुरूआत की थी तो  तो बहुत कम लोग इसके बारे में जानते थे, परंतु अब बड़े पैमाने पर लोगों के बीच यह मिथ्य खत्म हुआ और लोग जागरूक होकर आगे आ रहे है कि मृत्यु पश्चात अंगदान करके किसी और के जीवन को बचाया व उनके जीवन में रौशनी लाई जा सकती है। उन्होंने सभी से अपील की वो अंगदान के लिए आगे आये और अपने आसपास के लोगों को भी इसके बारे में जागरूक करें।

नेत्र दान करने वालों की संख्या कम हैै

दधिचि देहदान समीति के उपाध्यक्ष डॉ. सुभाष प्रसाद ने कहा कि बिहार में अभी भी कॉर्नियां ट्रांस्पलांट के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर होना पड़ता है। हमारे देश में दक्षिण भारत एवं गुजरात जैसे कुछ प्रदेशों से कॉर्नियां अन्य राज्यों को भेजी जाती है जिससे जरूरत मरीजों को कॉर्नियां उपलब्ध हो पाता है और उनका प्रत्योरपण कर उनके जीवन में रोशनी लाई जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास ट्रांस्पलांट सेंटर तो उपलब्ध है पर नेत्र दान करने वालों की संख्या कम हैै। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सभी को अपने-अपने अंगदान की शपथ लेनी चाहिए जिससे अन्य लोगों की जीवन भी सुखमय और सुलभ हो सके। 

अब लोगों को जागरूक होने की जरूरत है

इस कार्यक्रम में उपस्थित संस्थान के डीन डॉ. राजेश तिवारी, प्रभारी प्रार्चाय डॉ. अवनीश कुमार, चिकित्सा अधीक्षक 2-डॉ. अमन कुमार ने भी अंगदान के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि अब लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। कार्यक्रम तो होते रहेंगे लेकिन इस पर अमल करना हम सभी की जिम्मेदारी है जो हम आप और अपने आसपास के लोगों को भी अंगदान की जानकारी देते हुए जागरूक कर उन्हें प्रेरित करें। इसमें मीडिया और एनजीओ की भी अहम भूमिका होगी जो कि सुदूर गांव के लोगों को इसके बारे में जानकारी देते हुए उन्हें इसकी उपयोगिता के बारे में बताते हुए आगे आने को प्रेरित करे।

अंगदान विषय पर एक क्वीज का आयोजन किया गया

संस्थान के निदेशक डॉ. बिन्दे कुमार ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए सोटो, बिहार के सभी सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि संस्थान में फिलहाल किडनी, लीवर, हृदय एवं कॉर्नियां ट्रांस्पलांट की सुविधा उपलब्ध है और आने वाले दिनों में सभी प्रकार के ट्रांस्पलांट से जुड़ी सभी सुविधाओं को हर मरीजों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उन्हें किसी भी प्रकार के ट्रांस्पलांट के लिए बाहर जाना ना पड़े।  इस कार्यक्रम में नेत्र दान एवं देहदान कर्ताओं के परिजन जिनमें स्वर्गीय हीरा देवी, स्व. मुंशी महतो, स्व. रामदेव गुप्ता, स्व. इंदु देवी जैन, स्व. रामप्रसाद सिंह, स्व. चांद जैन के परिवारजनों को शॉल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में अंगदान विषय पर एक क्वीज का आयोजन किया गया, जिसमें नर्सिंग एवं परामेडिकल सर्विसेज की कर्मचारियों ने बढ़-चढ हिस्सा लिया जिसमें जीतने वालों को पुरस्कृत किया गया।

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