Published On: Thu, Jun 15th, 2023

Biparjoy: बिपरजॉय तूफान के शांत होने के बाद काबू करनी होंगी ये पांच बीमारियां, ‘रिवर्स मास्क’ का करें इस्तेमाल

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After the Biporjoy cyclone calm down, these five diseases will have to be controlled

Cyclone Biporjoy
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar

विस्तार


बिपरजॉय चक्रवाती तूफान की दोहरी मार में हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। लगभग 75 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। पहली मार तो चक्रवाती तूफान की लैंडिंग और उसके फौरन बाद होने वाली बरसात या बाढ़ से पड़ेगी। दूसरी मार, चक्रवाती तूफान का क्रोध शांत होने के बाद महसूस होगी। ये मार भी कम खतरनाक नहीं है। अगर यहां पर सावधानी नहीं बरती तो लंबे समय तक लोगों को कई बीमारियां घेर सकती हैं। चक्रवाती तूफान से प्रभावित लोगों को रिवर्स मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।

कम अंतराल पर एंबुलेंस खड़ी हों

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पूर्व सदस्य मेजर जनरल (रि.) डॉ. जेके बंसल (वीएसएम, चिकित्सा रत्न) ने बताया, ऐसी स्थिति में मेडिकल अरेंजमेंट होना बहुत जरुरी है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार ने सभी जरूरी कदम उठाए हैं। चक्रवाती तूफान के बाद की स्थिति में कई तरह की दिक्कतें सामने आती हैं। ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जो बीच रास्ते में ही कहीं पर फंसे होते हैं। उनके आसपास पेड़ या मकान गिरा होता है। संभव है कि वे किसी बिजली के खंभे या टावर की चपेट में आ जाएं। अनेक लोग घायल भी हो जाते हैं। इन सबके लिए जरुरी है कि छोटे-छोटे अंतराल पर एंबुलेंस खड़ी हों। चिकित्सा के सभी साधन मौजूद रहें। आपातकालीन सर्जरी की व्यवस्था हो। ऑपरेशन थियेटरों को तैयार रखा जाए। कई जगहों पर एनडीआरएफ की टीमों को ऐसे लोग भी मिलेंगे, जो पानी में संघर्ष करने के बाद सकुशल बाहर निकले हैं। उन्हें सबसे पहले चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई। आसपास के क्षेत्रों में जो कैंप लगाए जाएं, उनमें हर तरीके की मेडिकल सुविधा हो। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए जाते हैं।

महामारी को फैलने से रोकना बड़ी चुनौती

डॉ. जेके बंसल के मुताबिक, बिपरजॉय के जाने के बाद प्रभावित इलाकों में महामारी को रोकना एक बड़ी चुनौती होती है। महामारी की चपेट में किसी भी आयु वर्ग का व्यक्ति आ सकता है। जब पानी की लहर आई है, तो अनेक इलाकों में पानी जमा भी होगा। जल भराव से मच्छर पैदा होंगे। मलेरिया फैलने की आशंका बनी रहती है। डेंगू की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। चारों तरफ पानी या गीलापन होता है, तो उस स्थिति में मक्खियां आती हैं। इससे हैजा व डायरिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। पीने का पानी दूषित हो जाता है, जिसके चलते ‘पीलिया’ एक गंभीर रूप ले सकता है। स्किन की बीमारी भी लोगों को अपनी चपेट में ले लेती हैं। बिपरजॉय के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया सक्रिय हैं। केंद्र के दूसरे विभागों के साथ मिलकर साइक्लोन से निपटने के लिए तय गाइडलाइन के मुताबिक आगे बढ़ा जा रहा है। सभी स्टॉक होल्डर के साथ बातचीत हो रही है। चक्रवाती तूफान के पुराने अनुभवों के आधार पर सीखी गई ‘बेस्ट प्रेक्टिस’ को अपनाया जा रहा है।

प्रॉपर्टी के चक्कर में जान का जोखिम न लें

जिन इलाकों में चक्रवाती तूफान का असर होता है, वहां से लोगों को दूसरे स्थानों पर शिफ्ट कर दिया जाता है। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सरकार की गाइडलाइंस का पालन नहीं करते। वे लोग मछली पकड़ने या अपनी प्रॉपर्टी को संभालने के चक्कर में जान का जोखिम ले बैठते हैं। लोगों को ऐसी गलती कभी नहीं करनी चाहिए। चक्रवाती तूफान से पहले लोगों को जिन टैंटों या बिल्डिंग में ठहराया जाता है, वहां हवा या बरसात का कुछ असर तो अवश्य होता है। लोगों से अपील की जाती है कि वे ऐसी स्थिति में अपने ठिकाने से बाहर न निकलें। अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें। शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनें। भोजन के मामले में स्वच्छता का ध्यान रखें। कुछ भी खाने से पहले हाथों को अच्छी प्रकार से साफ करें। नाखूनों में गंदगी फंसी रहती है, इसका खास ध्यान रखें। ये छोटी-छोटी सावधानियां हैं, लेकिन आपातकाल में अधिकांश लोग इन्हें भूलकर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। भले ही अब सभी के लिए प्रेक्टिकल तौर पर मॉस्क संभव न हो, लेकिन रिवर्स मॉस्क का इस्तेमाल करना चाहिए। इसका मतलब है कि जिस व्यक्ति की तबीयत खराब हो और उस वजह से संक्रमण फैलने का अंदेशा हो तो उस व्यक्ति को मास्क अवश्य लगाना चाहिए।





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