बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और अभिभावकों की भागीदारी को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी प्राथमिक, मध्य, उच्च और उच्चतर विद्यालयों में 31 मई को अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी आयोजित करने का निर्देश जारी किया है। इस संगोष्ठी का थीम ‘पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे हम’ रखा गया है। इसका उद्देश्य अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद स्थापित कर बच्चों की शिक्षा, गृहकार्य, स्कूल वातावरण और अनुशासन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर चर्चा करना है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस संबंध में सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और प्रभारी शिक्षकों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
संगोष्ठी का उद्देश्य और महत्व
शिक्षा विभाग ने इस अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी को गर्मी की छुट्टियों से पहले आयोजित करने का निर्णय लिया है, ताकि बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहे। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य अभिभावकों को स्कूल की शैक्षिक गतिविधियों से जोड़ना और बच्चों की शिक्षा में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि यह आयोजन शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और बच्चों के समग्र विकास में अभिभावकों की भूमिका को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। इस दौरान शिक्षक और अभिभावक मिलकर बच्चों की शैक्षिक प्रगति, गृहकार्य और स्कूल के माहौल को बेहतर बनाने के लिए विचार-विमर्श करेंगे।
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गृहकार्य और पाठ्यक्रम का पुनरावलोकन
शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि संगोष्ठी में एक अप्रैल से 31 मई तक पढ़ाए गए पाठ्यक्रमों और अभ्यास पुस्तिका की समीक्षा की जाए। अभिभावकों को प्रेरित किया जाएगा कि वे गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को इन पाठ्यक्रमों का घर पर पुनरावलोकन कराएं। इसके लिए शिक्षक अभिभावकों को बच्चों के लिए निर्धारित गृहकार्य की जानकारी देंगे, जो एससीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है और ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर उपलब्ध है। अभिभावकों को इस गृहकार्य की प्रति डाउनलोड करने और बच्चों को नियमित अभ्यास कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह कदम बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने और छुट्टियों के दौरान उनकी शैक्षिक प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
घर पर पढ़ाई का माहौल तैयार करने की सलाह
संगोष्ठी में अभिभावकों को सुझाव दिया जाएगा कि वे बच्चों के लिए घर पर एक ‘पढ़ाई का कोना’ विकसित करें। इस कोने में कुर्सी, चटाई या बोरा बिछाकर पढ़ने के लिए उपयुक्त स्थान बनाया जाए। साथ ही दीवारों पर प्रेरणादायक पोस्टर और पढ़ाई का रूटीन चिपकाकर बच्चों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की सलाह दी जाएगी। यह पहल बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने और छुट्टियों में भी उनकी शैक्षिक गतिविधियों को बनाए रखने में मदद करेगी। शिक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि अभिभावक इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएं।
पाठ्य पुस्तकों और अनुशासन पर चर्चा
संगोष्ठी के दौरान शिक्षक अभिभावकों को पाठ्य पुस्तकों, अभ्यास पुस्तिकाओं, डायरी और शिक्षण सामग्री (टीएलएम किट) के रखरखाव के बारे में जानकारी देंगे। पाठ्य पुस्तकों के पहले और आखिरी पन्नों पर यातायात नियम, स्वच्छता, सामाजिक आचरण, कतार में खड़े होने और नागरिक बोध जैसे विषयों की जानकारी दी गई है। अभिभावकों से अनुरोध किया गया है कि वे छुट्टियों के दौरान बच्चों के साथ इन विषयों पर चर्चा करें ताकि वे सामाजिक और नैतिक मूल्यों को बेहतर ढंग से समझ सकें। इसके अलावा, स्कूल के वातावरण को और बेहतर बनाने के लिए अभिभावकों से सुझाव भी मांगे जाएंगे।
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शिक्षा विभाग की अपेक्षाएं
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस संगोष्ठी को लेकर आशा व्यक्त की है कि यह आयोजन बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चे विभिन्न जगहों पर जाएंगे और परिवार के साथ समय बिताएंगे, लेकिन उनकी पढ़ाई में निरंतरता बनी रहनी चाहिए। इस संगोष्ठी के माध्यम से अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा और अनुशासन में उनकी भूमिका के महत्व को समझाने का प्रयास किया जाएगा।