Published On: Fri, May 30th, 2025

Bihar News: शहीद विकास कुमार की पार्थिव शरीर पहुंचा जहानाबाद, जनसैलाब ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई


शहीद विकास कुमार का शव पटना से जहानाबाद की सीमा में पहुंचा, पूरा शहर भारत माता की जय और शहीद विकास अमर रहें के नारों से गूंज उठा। हर गली, हर सड़क और हर चौराहे पर लोगों की आंखें नम थीं, लेकिन उनके दिलों में गर्व की भावना भी थी। एसटीएफ (विशेष कार्य बल) के जवान विकास कुमार की पार्थिव देह जैसे ही शहर में पहुंची, सैकड़ों की संख्या में लोग काफिले में शामिल होकर उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े।

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गांव से शहर तक उमड़ा जनसैलाब

विकास का शव पटना से जब काफिले के साथ जहानाबाद पहुंचा, तो शहर की सड़कों से लेकर मोहल्लों तक देशभक्ति की गूंज सुनाई दी। काफिला जैसे-जैसे आगे बढ़ा, लोग अपने-अपने घरों से निकलकर सड़क किनारे खड़े हो गए। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे हर कोई शहीद जवान को अंतिम विदाई देने को आतुर था। लोग फूलों की वर्षा कर रहे थे, तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को देखकर हर आंख भर आई।

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प्रशासनिक अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि

शहीद के घर पहुंचते ही जिलाधिकारी अलंकृता पांडे और पुलिस अधीक्षक अरविंद प्रताप सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही एसडीएम राजीव रंजन, एसडीपीओ राजीव कुमार सिंह सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पुलिस बल ने पूरे सम्मान के साथ विकास को अंतिम सलामी दी। माहौल में गहरा सन्नाटा छा गया, हर ओर दुख और गर्व की मिश्रित भावना व्याप्त थी।

 

गुजरात मिशन पर जाते समय मध्य प्रदेश में हुआ था हादसा

विकास कुमार जहानाबाद जिला मुख्यालय के पाठक टोली मोहल्ला निवासी थे। वह एसटीएफ पटना में तैनात थे। दो दिन पूर्व एक विशेष मिशन के तहत जब वे पटना से गुजरात रवाना हो रहे थे, तब मध्य प्रदेश के रतलाम क्षेत्र में उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसा इतना भीषण था कि मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। उनके साथ टीम में शामिल एक अन्य जवान भी घायल हुआ है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विकास को एक दुर्दांत अपराधी की गिरफ्तारी के लिए भेजा गया था।

 

हाल ही में पिता को खोया था, अब परिवार पर टूटा दूसरा पहाड़

शहीद विकास के परिवार पर यह दूसरा गहरा आघात है। उनके भतीजे विवेक कुमार ने बताया कि लगभग एक महीने पूर्व विकास के पिता विजय प्रसाद का बीमारी के कारण निधन हुआ था। पंद्रह दिन पहले ही उनका श्राद्धकर्म संपन्न हुआ था। विकास ड्यूटी पर लौटे ही थे कि यह दुखद समाचार आ गया। परिवार में अब एक वृद्ध मां, पत्नी और दो छोटे बच्चे एक चार साल की बेटी और डेढ़ साल का बेटा हैं। घर का एकमात्र कमाने वाला सदस्य अब इस दुनिया में नहीं रहा।

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विकास को जानने वाले मोहल्ले के लोगों का कहना है कि वे बचपन से ही मेधावी और अनुशासित थे। पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे। वर्ष 2013 में वे बिहार पुलिस में भर्ती हुए और अपनी मेहनत व समर्पण से एसटीएफ में चयनित हुए।

 

‘मिले नौकरी और बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था’

विकास के परिजन और स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि शहीद के परिवार को आर्थिक सहायता, पत्नी को सरकारी नौकरी और उनके बच्चों की शिक्षा की समुचित व्यवस्था दी जाए। लोगों का कहना है कि विकास जैसे समर्पित जवानों की शहादत को सम्मान देने के लिए यह जरूरी है।

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