Bihar News: मुजफ्फरपुर सुधार गृह कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर की पेशी, सजा पर सुनवाई नौ दिसंबर को


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अदालत में तारीख पर पेश हुए बालिका सुधार गृह कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर
– फोटो : अमर उजाला
बिहार के चर्चित सुधार गृह कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को शनिवार को दिल्ली की तिहाड़ जेल से विशेष सुरक्षा व्यवस्था के तहत मुजफ्फरपुर लाया गया। विशेष एससी-एसटी कोर्ट में उनकी पेशी की गई। जहां सजा के बिंदु पर अगली सुनवाई के लिए नौ दिसंबर 2024 की तारीख तय की गई।

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मुजफ्फरपुर व्यवहार न्यायालय
– फोटो : अमर उजाला
सुधार गृह कांड की पृष्ठभूमि
जानकारी के मुताबिक, सुधार गृह मामले में ब्रजेश ठाकुर की एनजीओ सेवा संकल्प के तहत संचालित गृह में 11 महिलाओं और चार बच्चों के साथ हुए कथित दुष्कर्म और दुर्व्यवहार की घटनाओं ने देश भर में सनसनी फैला दी थी। मामला सामने आने के बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। यह मामला 2018 में खुला, जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की एक ऑडिट रिपोर्ट ने गृह में महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार का खुलासा किया था।
मामले की सुनवाई और आगे की प्रक्रिया
विशेष एससी/एसटी कोर्ट के पीपी जयमंगल प्रसाद ने बताया कि ब्रजेश ठाकुर को तिहाड़ जेल से विशेष सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया। जहां उनकी उपस्थिति दर्ज की गई। कोर्ट ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए अगली तारीख नौ दिसंबर तय की है।

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अदालत में तारीख पर पेश हुए बालिका सुधार गृह कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर
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जांच और अभियोजन
मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। बालिका गृह में हुई घटनाओं के लिए ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपियों को जिम्मेदार ठहराया गया। मामले में न्यायालय द्वारा पहले ही दोषी करार दिए गए ठाकुर की सजा पर अब अंतिम सुनवाई होनी है।
आरोपी ठाकुर की भूमिका और कार्रवाई
- ब्रजेश ठाकुर, जो पहले राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय थे, ‘सेवा संकल्प’ नामक एनजीओ के जरिए इस गृह का संचालन करते थे।
- कांड के बाद उन्हें गिरफ्तार कर दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है।
- यह मामला बिहार में महिला सुरक्षा और सरकारी तंत्र की विफलता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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अदालत में तारीख पर पेश हुए बालिका सुधार गृह कांड के आरोपी ब्रजेश ठाकुर
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अगली सुनवाई की अहमियत
नौ दिसंबर को होने वाली सुनवाई में अदालत द्वारा सजा की अवधि और अन्य कानूनी पहलुओं पर निर्णय लिया जाएगा। यह फैसला पीड़ितों और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देगा। यह मामला न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में महिला और बच्चों के संरक्षण की व्यवस्था पर पुनर्विचार का विषय बन गया है।