{“_id”:”675ea54185dce1edcf012eea”,”slug”:”veteran-bhojpuri-actor-vijay-khare-passed-away-in-bengaluru-2024-12-15″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Bihar News: भोजपुरी के दिग्गज अभिनेता विजय खरे का निधन, किडनी रोग से थे ग्रसित; फैंस में शोक की लहर”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
अभिनेता विजय खरे – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
भोजपुरी फिल्मों में विलेन का रोल निभाने के लिए शहर के मशहूर अभिनेता विजय खरे ने आज रविवार को बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में दम तोड़ दिया है। बता दें कि रईसजादा (1976), गंगा किनारे मोरा गांव (1983) और हमरा से बियाह करबा (2003) से नाम कमाने वाले विजय खरे अपनी दमदार एक्टिंग के लिए हमेशा के लिए फैंस के दिलों में अमर हो चुके हैं।
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विजय खरे बीते कुछ महीनों से किडनी की समस्या से बीमार चल रहे थे। अपने सबसे छोटे बेटे परितोष खरे उर्फ पाली के बेंगलुरु स्थित घर पर रहकर सदी के मशहूर नायक का इलाज कावेरी अस्पताल में चल रहा था। जहां पर उनकी तबीयत स्थिर बनी हुई थी, जिसके बाद से अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद आज उन्होंने जिंदगी से हार मान ली और दुनिया को अलविदा कह दिया। दिल्ली में रहने वाले सबसे बड़े बेटे संतोष खरे और मुंबई में रहने वाले मँझले बेटे अभिनेता आशुतोष खरे बेंगलुरु पहुंच चुके है।
अभिनेता विजय खरे के निधन के सूचना के बाद मुजफ्फरपुर जिले के तीन पोखरिया में स्थित उनके आवास पर उनके रिश्तेदारों और प्रशंसकों की भीड़ जुटी हुई है। सभी ने खेद व्यक्त किया है और और इसको बिहार के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है।
संघर्ष की कहानी शुरू हुई थी मुजफ्फरपुर से मुंबई तक का रहा सफर
मुजफ्फरपुर की धरती से बीते 50 वर्ष पूर्व निकलकर अपने अभिनय का डंका पूरे देश में बजाया था। कभी अमिताभ बच्चन भी इनकी कौशल क्षमता को देख कर प्रभावित हुए थे। एक समय में अमिताभ बच्चन के साथ में फिल्म में काम किया और बतौर ही खलनायक की भूमिका में थे। तब उनकी पहली फिल्म “रईसजादा” सन 1997 में रिलीज हुई थी और जिसके हीरो के रूप में राकेश रोशन हुआ करते थे। जिसके बाद में शत्रुघ्न सिन्हा के साथ “कालका” जितेंद्र के साथ “बलिदान” धर्मेंद्र के साथ में “लोहा” जैसी हिंदी फिल्मों में काम करने के बाद उनकी पहली भोजपुरी फिल्म 1982 में रिलीज हुई थी, जिसका नाम था “गंगा किनारे मोरा गांव”…इसके बाद वह पूर्ण रूप से भोजपुरी फिल्मों के एक बड़े खलनायक के रूप में जाने गए।
300 से अधिक फिल्म में कर चुके हैं काम,जिले के कलाकार के लिए थे मिसाल
उन्होंने लगभग 300 भोजपुरी फिल्म तथा 50 हिंदी फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें अपने पैतृक शहर मुजफ्फरपुर जिले से विशेष लगाव था। यही नहीं बल्कि यह हमेशा नए कलाकारों को प्रोत्साहित किया। उत्तर बिहार के कलाकारों को मार्गदर्शन करने के हेतु उन्होंने विजय खरे एक्टिंग अकैडमी की स्थापना 2010 में मुजफ्फरपुर जिला में की बतौर निर्माता उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों का मुजफ्फरपुर शहर में किया था।
अब तक 6 बार लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड जीते
मुजफ्फरपुर शहर में अनगिनत भोजपुरी फिल्मों के निर्माण में उन्होंने अपना योगदान दिया। उनकी अंतिम इच्छा अपने शहर में आने और बिताने का था। अपनी याद को अपने कर्म स्थली में बिताना चाहते हैं। अभी विगत कुछ वर्षों से वह लगातार बीमार चल रहे थे और वह अपने जीवन का ये अंतिम क्षण अपने पैतृक शहर मुजफ्फरपुर जिले में बिताना चाहते थे।