मासिक धर्म को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों और शर्म के वातावरण को तोड़ते हुए महिला एवं बाल विकास निगम ने एक बड़ा कदम उठाया है। बिहार के सभी स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने की योजना को गति दी जाएगी, ताकि किशोरियों को माहवारी के दौरान किसी भी तरह की असुविधा न हो। यह घोषणा बुधवार को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर पटना में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं समाज कल्याण विभाग की सचिव एवं महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक बंदना प्रेयषी ने कहा कि मासिक धर्म कोई बीमारी या शर्म की बात नहीं, बल्कि एक सामान्य और प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे खुले मन से स्वीकार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब यह महिलाएं तय करेंगी कि माहवारी के दौरान वे क्या करेंगी, समाज नहीं।
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209 स्कूलों और कई सार्वजनिक स्थलों पर पहले से स्थापित हैं वेंडिंग मशीनें
बंदना प्रेयषी ने जानकारी दी कि महिला विकास निगम द्वारा पहले ही राज्य के 209 विद्यालयों के साथ-साथ पटना के कई कार्यालयों और पार्कों के महिला शौचालयों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाई जा चुकी हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत राज्य की 22 लाख 58 हजार 425 बालिकाओं को सालाना 300 रुपये की सहायता राशि सेनेटरी नैपकिन के लिए प्रदान की जा रही है।
हर बुधवार और गुरुवार को मिलेगी नि:शुल्क विशेषज्ञ सलाह
समाज कल्याण सचिव ने बताया कि माहवारी से संबंधित किसी भी समस्या के समाधान के लिए प्रत्येक बुधवार और गुरुवार को दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक टोल फ्री नंबर 181 पर कॉल कर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों से नि:शुल्क परामर्श लिया जा सकता है। उन्होंने आमजनों से अपील की कि वे महिलाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हों और माहवारी जैसे विषयों पर खुलकर बात करें।

‘माहवारी से जुड़े सामाजिक डर को तोड़ने की आवश्यकता’
कार्यक्रम में नारी गुंजन की संस्थापक और पद्मश्री सम्मानित सुधा वर्गीज ने किशोरियों के शारीरिक और भावनात्मक बदलावों को लेकर महत्वपूर्ण बात रखी। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में बदलाव स्वाभाविक होते हैं और इस समय अभिभावकों और शिक्षकों को सहायक की भूमिका निभानी चाहिए। सुधा वर्गीज ने जोर देकर कहा कि माहवारी स्वच्छता के बारे में सही जानकारी और मार्गदर्शन से ही बच्चियों को आत्मविश्वास मिलता है।
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‘सामाजिक चेतना का हिस्सा है यह अभियान’
इस अवसर पर यूनिसेफ के वॉश विशेषज्ञ प्रभाकर सिन्हा ने कहा कि यह महज कोई सरकारी आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतना और बदलाव लाने वाला आंदोलन है। उन्होंने कहा कि समाज को मिलकर ऐसे मुद्दों पर बात करनी होगी, तभी बदलाव संभव है। कार्यक्रम के अंत में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर आधारित चर्चित फिल्म ‘पैडमैन’ दिखाई गई, जिसे देखकर बालिकाओं ने खुलकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें प्रेरणा मिली है और अब वे इस विषय पर खुलकर बात कर पाएंगी। कार्यक्रम में यूनिसेफ की मोना सिन्हा, मंजुषा चंद्रा, मार्गन सिन्हा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता, अधिकारी, शिक्षक और छात्राएं मौजूद रहीं।