Published On: Tue, Jul 9th, 2024

Bihar News : तेजस्वी-पप्पू यादव का साथ पड़ेगा भारी या नीतीश-चिराग के साथ जनता? रूपौली उप-चुनाव का मतदान कल


Bihar News : rupauli vidhan sabha bye election 2024 Bihar vidhan sabha nitish kumar chirag paswan pappu yadav

रुपौल विधानसभा उपचुनाव।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


पूर्णिया लोकसभा सीट पर जीतने वाले निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव इस चुनाव में हारने वाली राष्ट्रीय जनता दल की बीमा भारती का साथ देने उतर गए हैं। मतलब, उन्होंने एक तरह से राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से हाथ मिला लिया है। रूपौली विधानसभा सीट के उप-चुनाव में बीमा भारती राजद प्रत्याशी हैं। मतलब, महागठबंधन की ताकत के साथ निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी हैं। दूसरी तरफ, इस सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने प्रत्याशी उतारा है तो सामने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बागी ने भी ताल ठोक रखा है। जदयू को चिराग की पार्टी का कितना साथ मिलता है, यह यहां बड़ा सवाल है। भाजपा यह सीट जीतना चाहती है। नीतीश भी। नीतीश ने तो कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा को बिहार आते ही इस काम में लगा दिया था। तो, अब बुधवार कल ही है। मतदान कल है। इसके साथ ही तय हो जाएगा कि प्रतिष्ठा किसकी रहती है और किसकी जाती है? इस सीट पर मतगणना 13 जुलाई को होनी है। 

बीमा भारती, कलाधर मंडल और शंकर सिंह की बीच कड़ी टक्कर

जनता दल यूनाइटेड ने इस सीट से कलाधर मंडल को टिकट दिया है तो वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में आईं बीमा भारती पर ही भरोसा जताया है। वहीं लोजपा (रामविलास) से बागी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शंकर सिंह भी अपने वोटरों को गोलबंद करने में जुटे हैं। बीमा भारती इस सीट से 2020 के चुनाव में जदयू के टिकट पर विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या गंगोता वोटरों की 70 हजार से अधिक है। कुर्मी-कुशवाहा वोटर 45 हजार व यादव-मुस्लिम 50 हजार हैं। इनके अलावा आदिवासियों, अनुसूचित जाति, वैश्य आदि वोट भी यहां ठीक-ठाक संख्या में हैं। चुनाव मैदान में अभी 11 प्रत्याशी हैं। राजद और जदयू दोनों के प्रत्याशी गंगोता जाति से आते हैं। वहीं गंगोता समुदाय में गहरी पैठ रखने के साथ ही बाहुबली वाली इमेज होने के कारण अब तक इन वोटरों पर कुख्यात अवधेश मंडल का वर्चस्व रहा। 

बीमा ने 2020 में कलाधर मंडल और शंकर सिंह को हराया था

वहीं पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने बीमा भारती को बेटी बताकर खुला समर्थन किया है। सांसद पप्पू यादव के समर्थन के बाद बीमा भारती के कैडर वोटर गंगोता के अलावा यादव और मुस्लिम वोटर सीधे तौर पर बीमा भारती की ओर शिफ्ट होते दिख रहे हैं। इससे न सिर्फ एनडीए प्रत्याशी कलाधर मंडल बल्कि पूर्व विधायक और निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की राहें भी काफी मुश्किल हो सकती है। वहीं निर्दलिय प्रत्याशी शंकर सिंह को कम आंकना सही नहीं है। शंकर सिंह  के समर्थक को सवर्ण और दलित वोट के साथ ही निर्दलीय होने के नाते हर जाति-वर्ग से वोट मिलने का दावा कर रहे हैं। दरअसल, बीमा भारती जब जदयू में थीं तो कुर्मी, कुशवाहा और कोयरी के अलावा वैश्य वोटर उनकी ओर शिफ्ट होते रहे। इससे कारण बीमा भारती की जीत की सफर आसान रही। इससे पहले 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में विकास चंद्र मंडल, कलाधर मंडल और लोजपा के पूर्व विधायक शंकर सिंह तीनों ने चुनाव लड़ा और तीनों की करारी हार हुई। इन्हें हराकर बीमा भारती पांचवीं बार विधायक बनीं। 

2020 की चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे शंकर सिंह 

पूर्णिया में 2020 में दूसरे नंबर रहें पूर्व विधायक शंकर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। शंकर सिंह वर्ष 2000 से लगातार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव-2020 में लोजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया, जिसमें 44,994 वोट लाकर वह दूसरे स्थान पर थे। वहीं शंकर सिंह फरवरी 2005 में रुपौली विधानसभा से लोजपा के टिकट पर विधायक बने थे। हालांकि, दोबारा फिर नवंबर 2005 में चुनाव हुआ तो, उनकी हार हो गई थी। वह छह बार रुपौली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में शंकर सिंह राजद समर्थित लोजपा के उम्मीदवार थे। चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, 2015 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा, जिसमें वह तीसरे स्थान पर आये थे। इसी तरह 2020 में लोजपा ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया, जिसमें 44,994 वोट लाकर वह दूसरे स्थान पर थे। रूपौली विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से इस्तीफा दे दिया।

दोनों ही दलों से गंगौता जाति के उम्मीदवार मैदान में हैं

रूपौली उपचुनाव ब्रांड नीतीश के साथ ही लोकसभा चुनाव में राजद की ओर से गढ़े गए वोटों के नए समीकरण का भी लिट्मस टेस्ट माना जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में राजद भले ही चार सीटें जीत सकी, लेकिन उसकी अगुवाई वाले महागठबंधन ने बिहार में नौ सीटें हासिल की थी। पूर्णिया अगर जोड़ दें तो संख्या 10 हो जाएगी। राजद, इस बार जदयू के कोर वोटर माने जाने वाले कुर्मी-कुशवाहा वर्ग में भी सेंधमारी करने में एक हद तक सफल रही थी। दूसरी तरफ, दोनों ही दलों से गंगौता जाति के उम्मीदवार मैदान में हैं। ऐसे में कहा यह भी जा रहा है कि अत्यंत पिछड़ा वर्ग की इस सबसे बड़ी कम्युनिटी के वोट बंट सकते हैं जो कि पहले बीमा के साथ जाते थे। वोटों के इस गुणा-गणित में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के स्टैंड ने भी चौंकाया है।

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