Published On: Wed, Nov 20th, 2024

Bihar News: जालंधर में बंधक बने बिहार के 20 नाबालिग समेत 32 मजदूर, परिजनों की प्रशासन से मदद की गुहार


Bihar: 32 labourers including 20 minors from Sitamarhi held hostage in Jalandhar seek help from administration

भागकर गांव पहुंचे कुछ मजदूरों ने सुनाई आपबीती
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड के मेघपुर गांव के 20 नाबालिग समेत 32 लोगों को पंजाब के जालंधर में बंधक बनाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बंधकों में अधिकतर बच्चे और मजदूर शामिल हैं, जिनसे जबरन मजदूरी कराई जा रही है। वहां न केवल उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, बल्कि परिजनों से बात करने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है। छठ पर्व के समय परिजनों से आखिरी बार बात हुई थी। लेकिन अब बीते एक महीने से उनका कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।

 

बंधक बने मजदूरों की आपबीती

बंधक बनाए गए लोगों में से कुछ हाल ही में जल्लादों के चंगुल से बचकर वापस गांव पहुंचे हैं। उनके जरिए इस अमानवीय घटना का खुलासा हुआ। बंधकों में शामिल ट्रैक्टर ड्राइवर हरीशंकर मांझी ने बताया कि वह और दो अन्य मजदूर एक दो-मंजिला मकान से छलांग लगाकर किसी तरह भाग निकले। उन्होंने बताया कि उन्हें गांव के ही मुकेश नामक व्यक्ति और उसके रिश्तेदार द्वारा बहलाकर जालंधर ले जाया गया था। वहां उन्हें वादा किया गया था कि आलू के गोदाम में काम करने के बदले प्रति माह ₹12,000 दिए जाएंगे। लेकिन दो महीने के लंबे श्रम के बाद भी उन्हें एक पैसा नहीं दिया गया। हरीशंकर ने खुलासा किया कि उन्हें बंधक बनाकर रखा गया था। चारदीवारी पर करंट दौड़ाया गया था, जिससे वहां से भागना लगभग असंभव हो गया था। खाने-पीने के साथ-साथ अत्यधिक काम का दबाव और पिटाई आम बात थी।

 

‘खाने में समय लगने पर भी बेरहमी से पीटा जाता था’

वहीं, 17 वर्षीय ऋषि कुमार ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसे आलू गोदाम के अलावा घर के काम, जैसे पोछा लगाना, करने को मजबूर किया जाता था। सुबह चार बजे से रात नौ बजे तक लगातार काम कराया जाता था। भागने के लिए उसने घर के किचन से 1,500 रुपये चुराए और किसी तरह वहां से निकलने में सफल रहा। ऋषि ने बताया कि काम में देरी या खाने में समय लगने पर भी उसे बेरहमी से पीटा जाता था।

 

परिजनों की चिंता और प्रशासन से गुहार

बंधकों के परिजनों ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। कई परिजनों ने बताया कि छठ के दौरान ही आखिरी बार उनकी बात हुई थी। अब उनके बच्चे और परिजन किस हालत में हैं, इसका पता नहीं चल पा रहा है।

 

मजदूरों और बच्चों के परिजनों ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से लिखित आवेदन देकर अपील की है कि उनके बच्चों और परिजनों को बंधन से मुक्त कराया जाए।  

 

स्थानीय प्रशासन की पहल

मामले की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय जिला पार्षद डॉ. मनोज कुमार ने पुपरी एसडीओ और मंत्री जनक राम को इसकी सूचना दी। पुपरी एसडीओ मोहम्मद इश्तेयाक अली अंसारी ने बताया कि उन्हें इस संबंध में मौखिक जानकारी प्राप्त हुई है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि औपचारिक शिकायत मिलने पर संबंधित विभागों से समन्वय कर बंधकों को छुड़ाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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