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लोक गायिका देवी – फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
बिहार की लोक गायिका देवी का दर्द छलका है। वह भाजपा के कद्दावर नेता के द्वारा भरे मंच से माफी मंगवाने से बहुत आहत हैं। हालांकि उन्होंने मंच से माफी तो मांग ली लेकिन एक कलाकार के दिल में अपमान का वह दर्द जरुर चुभ गया। अब उन्होंने अपना दर्द सात पन्नों वाले पत्र के माध्यम से जाहिर किया है।
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जानिये देवी ने क्या लिखा पत्र में
देवी को कुछ कहना है।
25 दिसंबर 2024 को बापू सभागार पटना में जो कुछ हुआ वह गलत और असहिष्णुता की प्रवृति को दर्शाता है। यह भारत के सुंदर भविष्य के लिए घातक है। “ईश्वर अल्ला तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान” यह महात्मा गांधी का प्रिय भजन है। इसे मौके पर गाया जाता रहा है। ईश्वर और अल्लाह शब्द जब एक साथ आता है तो वह हिन्दू और मुसलमानों को जोड़ने का काम भी करता है। यह भजन सदा से सर्वग्राह्य रहा है। यह आज के संदर्भ में भी बड़ा ही प्रासंगिक है, जब एक बार फिर धार्मिक अविश्वास का वातावरण बना हुआ है। इस गाने को सुनकर लोगों को क्रोध में आ जाना निश्चित ही कट्टर हिन्दूवाद का सूचक है। सभी महापुरुषों ने उदार हिंदूवाद का समर्थन किया है। यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी भी उदार और सर्व धर्म समभाव के प्रवक्ता रहे है। गांधी जी पक्के हिंदू थे, पर उन्होंने कभी धर्म के आधार पर मुसलमानों के साथ भेदभाव नहीं किया।
नरेंद्र मोदी जी ने भी सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास का नारा दिया है। ऐसी स्थिति में जब अटल जी के शताब्दी जन्म दिवस कार्यक्रम में कुछ लोग “अल्लाह” शब्द के प्रति असहिष्णु होते हैं, तो यह राम का भी अपमान है, अटल जी का भी अपमान है और भाजपा के राष्ट्रीय घोषणा पत्र का भी अपमान है। अंत में भारत की धार्मिक सदस्यता को भी तोड़ने वाला है। भाजपा को भी ऐसे तत्वों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है, जो हिन्दुत्व के अति उत्साह में बावले हुए जा रहे है और भगवान राम की मर्यादा वाली छवि को तार- तार कर रहे है।
बिहार वासियो को और भाजपा को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि बिहार ही भगवान बुद्ध और भगवान महावीर की जन्म भूमि और कर्म भूमि रही है।
भगवान महावीर ने वैशाली से ही दुनियां को अहिंसा का संदेश दिया था। भगवान महावीर ने श्यादवाद और अनेकांतवाद का सिद्धांत दुनियां को दिया। यह सिद्धांत दूसरों के मतों और विचारों के प्रति सदैव सहिष्णुता का संदेश देता है।
मेरा सभी जातियों, धर्मों और दलो से यही कहना है कि हम अपनी आत्मा की आवाज को सुने और मानवीय मूल्यों को और मानव धर्म को सबसे ऊपर स्थान रखें। आज हिन्दू संस्कृति तलवार से नहीं, अपनी अहिंसा की शक्ति से जीवित है। गांधी जी ने इस बात को अच्छी तरह समझ लिया था। पूरे विश्व में आज हम युद्ध और लड़ाई झगड़े देख रहे हैं। इस लड़ाई को बढ़ाना नहीं है, घटाना है। भारत को इसके लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करना होगा, तभी दुनियां, भरत को विश्व गुरु कहने की स्थिति में होगी।
मेरा सभी जातियों, धर्मों और दलो से यही कहना है कि हम अपनी आत्मा की आवाज को सुनें और मानवीय मूल्यों को और मानव धर्म को सबसे ऊपर स्थान रखें। आज हिन्दू संस्कृति तलवार से नहीं, बल्कि अपनी अहिंसा की शक्ति से जीवित है। गांधी जी ने इस बात को अच्छी तरह समझ लिया था। पूरे विश्व में आज हम युद्ध लड़ाई झगड़े देख रहे हैं। इस लड़ाई को बढ़ाना नहीं है, बल्कि घटाना है। भारत को इसके लिए एक उदाहरण प्रस्तुत होगा, तभी दुनियां भारत को विश्व गुरु कहने की स्थिति में होगी।