Bihar News: इस मेले में लाखों पशुओं की दी जाती है बलि, पांच साल में एक बार लगता है मेला, नेपाल से है कनेक्शन


गढ़ी माई मेले की शुरूआत
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नेपाल के बारा जिला मुख्यालय कलैया के समीप बरियारपुर में विश्व विख्यात गढ़ी माई मंदिर स्थित है। यहां पांच वर्षों पर मेले का आयोजन होता है और इसके प्रति भारत और नेपाल के साथ-साथ एशिया के कई देशों के भक्तों की आस्था है। यही कारण है कि पांच साल पर लगने वाले इस मेले में लगभग 50 लाख से अधिक भक्तों के पहुंचने की संभावना है। इसमें सबसे अधिक संख्या भारतीय दर्शकों की होती है।
गढ़ी माई मंदिर में आठ दिसंबर को पशु बलि होगी। अनुमान लगाया गया है कि इस साल बीस हजार बछड़ा और तीन लाख बकरे की बलि दी जा सकती है। साथ ही मन्नत पूरा होने पर यहां कबूतरों को लाकर उड़ा दिया जाता है। यहां मेले के अवसर पर लाखों की संख्या में लोग कबूतरों को उड़ाते हैं।
विशेष पूजा होगी आठ से 10 दिसंबर के बीच
गढ़ी माई मंदिर में आठ से दस दिसंबर के बीच विशेष पूजा होगी और इसी दौरान पशु बलि भी दी जाती है। परंपरा के अनुसार, बनारस के डोम राजा के द्वारा पहली बलि आती है और उसी पशु बलि के बाद यहां दूसरे भक्तों की मन्नत के अनुसार बलि दी जाती है। गढ़ी माई मेला को लेकर स्थानीय स्तर पर कई तरह की मान्यताएं हैं। मेले के लिए यहां पहले से सिवान पूजा होती है और इस पूजा के बाद मेला समाप्ति तक मेला क्षेत्र के गांवों से किसी भी बेटी-बहन की विदाई नहीं होती। आसपास गांव में लोग मेला अवधि तक अतिरिक्त चावल और रहने की व्यवस्था भी रखते हैं।
मोतिहारी जिले के छौड़ादानो से संतगंज बॉर्डर के रास्ते करीब 15 किलोमीटर, आदापुर से मटियरवा बॉर्डर के रास्ते 16 किलोमीटर, घोड़ासहन से झरौखर बॉर्डर के रास्ते करीब 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। भारतीय सीमा पर तैनात एसएसबी अधिकारियों द्वारा चार चक्का वाहनों को लेकर जाने हेतु झरौखर, महुआवा और मतिहरवा बॉर्डर पर निशुल्क वाहनों की एंट्री की जा रही है।