Published On: Sat, Aug 3rd, 2024

Bihar News: इको-पर्यटन स्थल के रूप में पर्यटकों को लुभाएगा बिहार का कश्मीर ‘ककोलत झरना’, CM ने किया लोकार्पण


Nawada: Bihar's Kashmir Kakolat Waterfall will attract tourists as an eco-tourism destination, CM Nitish Kumar

ककोलत झरने का लोकार्पण करते सीएम नीतीश कुमार
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को बिहार का कश्मीर कहे जाने वाले नवादा के ककोलत झरने (जलप्रपात) के नए स्वरूप का लोकार्पण करने ककोलत पहुंचे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सीएम ने ककोलत की वादियों का अवलोकन कर इसका लोकार्पण किया। सीएम ने घूम-घूम कर सभी चीजों का जायजा लिया। उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हम तो बराबर यहां निरीक्षण करने आते रहे हैं, अब अच्छा हो गया है। मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार, नवादा सांसद विवेक ठाकुर, पूर्व विधायक कौशल यादव सहित कई नेता और अधिकारी मौजूद रहे।

Trending Videos

नवादा जिले का भौगोलिक पटल प्राकृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध मनोरम है। गोविन्दपुर प्रखंड के एकतारा जंगल में मनोरम पहाड़ियों के बीच ककोलत जलप्रपात प्रकृति का अद्भुत उपहार है। प्रकृति की गोद में अवस्थित यह जलप्रपात अपनी शीतलता और नैसर्गिक सौन्दर्य से बरबस ही किसी को भी आकर्षित कर लेता है। उंची पहाड़ियों और घने वन के बीच कल-कल करके बहते झरने का मधुर संगीत पर्यटकों का मन मोह लेता है। ककोलत जलप्रपात का नैसर्गिक जलप्रपात, हरे-भरे जंगल और शिलाखंड बिहार प्रान्त में कश्मीर की वादियों का एहसास कराती है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक रूप से यह जिला अति प्राचीन धरोहरों को सदियों से समेटे हुए है।

ककोलत, जिसे गंगा के मैदानी क्षेत्र का कश्मीर कहा जाता है। इसके झरने की धार से कई मीटर दूर रहने पर भी शीतलता की अनुभूति होने लगती है। प्रचंड गर्मी में भी उसके झरने के नीचे पहुंचते ही ठंडक का सुखद एहसास होता है। हजारीबाग की पर्वतमाला के मध्य नवादा जिले की सीमा के अन्दर लोहदंड पर्वतमाला के 160 फीट से भी लगभग कुछ अधिक उत्तुंग शिखर से सीढ़ी-दर-सीढ़ी करके लोहबर नदी एक झरने के रूप में नीचे आती है और पर्यटकों व स्नानर्थियों को लुभाती तथा आकर्षित करती है।

कहा जाता है कि ककोलत जलप्रपात के जल में पका किसी भी तरह का गरिष्ठ भोजन करने के बाद इसका जल पी लिया जाय तो वह अतिशीघ्र पच जाता है और भूख लग जाती है। इस प्राकृतिक और वैज्ञानिक स्थल तक पहुंचने के लिए बख्तियारपुर-रजौली NH-20 पर फतेहपुर मोड़ से अकबरपुर-गोविन्दपुर मार्ग में स्थित थाली नामक स्थान से लगभग पांच किलोमीटर दक्षिण की ओर जाने पर नवादा जिले का गौरव व सुप्रसिद्ध एवं सुरम्य ककोलत जलप्रपात समाने ही दिखता है।

 

ककोलत की क्या है पौराणिक गाथा

माना जाता है कि नवादा जिला में स्थित सीतामढ़ी में जन्में लव व कुश के लिए यह स्थान क्रीड़ा-स्थल तो था ही, पंडावों ने भी अपने अज्ञातवास का कुछ समय यहीं बिताया था। इतना ही नहीं श्रीकृष्ण की प्रेरणा से द्रौपदी ने छठ व्रत कर इसी की जलधारा में सूर्य को अर्घ्य देकर एक राजा को सर्पयोनि से मुक्ति दिलाई थी। तब से इसमें स्नान कर सर्पयोनि से मुक्ति पाने की अवधारणा आज भी कायम है। इसी कारण दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग इस झरने में स्नान करने आते हैं। वैशाख और चैत्र संक्रांति के अवसर पर विशुआ मेला का आयोजन हर साल होता है। इस मेले से ही ककोलत आने की औपचारिक शुरुआत हो जाती है, क्योंकि यह गर्मियों की शुरूआत में मनाया जाता है।

 

इस वन क्षेत्र में रहते हैं कई प्रकार के वन्यजीव

एकतारा सुरक्षित वन में स्थित ककोलत जलप्रपात अपने क्षेत्राधिकार में अनेकों वृक्षों एवं वन्यजीव को आश्रय प्रदान करता है। यह वन नम पर्णपाती वन है, जहां गर्मियों में भी वन हरा-भरा देखने को मिलता है। यह वन क्षेत्र अपनी जैवविविधता के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें वृक्षों में मुख्य प्रजाति सखुआ, महुआ, परमी, गूलर, बरगद, पीपल, खैर, पियार, पाकड़, बेल, बेर और आसन आदि है। वन्यजीव में भालू, हिरण, सांभर, जंगली सूअर, साहिल, मोर, बंदर और लंगूर आदि पाए जाते हैं।

 

ऐसे हुई परियोजना की शुरुआत

27 मई 2022 को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ककोलत यात्रा के दौरान इको टूरिज्म को लेकर विकास कार्यों को यथा शीघ्र प्रारंभ करने के लिए निर्देशित किया था। पूर्व में इस स्थल पर पर्यटन अव्यवस्थित तरीके से चल रहा था। गर्मियों के समय प्रतिदिन लगभग पांच हजार पर्यटक यहां आते थे तथा छुट्टियों के दिन लगभग 12 से 15 हजार लोग यहां जलप्रपात का आनंद लेने आते थे। अव्यवस्थित पर्यटन के कारण प्रायः यहां अप्रिय घटनाएं घटित होती रहती थीं और मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण पर्यटकों को काफी परेशानी होती थी। इन सब असुविधाओं को देखते हुए ककोलत जलप्रपात के विकास को लेकर परियोजना तैयार की गई।

 

इको-पर्यटन विकास कार्य फेज-1 में हुए ये कार्य

ककोलत जलप्रपात परियोजना फेज-1 की स्वीकृति चार फरवरी 2023 को 14.95 करोड़ रुपये की मिली, जिसे दो वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में किया जाना था। प्रथम फेज परियोजना का कार्य पूर्ण हो चुका है, जिसमें कुंड का निर्माण, जलकुंड क्षेत्र का जीर्णोद्धार, चट्टान स्थिरीकरण कार्य के अलावा बुनियादी सुविधाओं का निर्माण, जैसे- चेंजिंग रूम, शौचालय, गजेबो, व्यू पॉइंट क्षेत्र, जल उपचार संयंत्र, पार्किंग सुविधाएं, क्लोक रूम, विद्युतीकरण व्यवस्था, बच्चों और वृद्धों के लिए जलप्रपात के निचले हिस्से में प्राकृतिक पत्थर कुंड का निर्माण, प्रशासनिक ब्लॉक, स्टाफ डॉर्मिटोरी, वन विश्राम गृह और अन्य संरक्षण संरचनाओं का निर्माण शामिल है।

 

फेज- 2 में क्या-क्या होगा विकास कार्य

फेज- 2 के लिए परियोजना की स्वीकृति 16 मार्च 2024 को हुई, जिसमें 6.76 करोड़ राशि से सीधी सुदृढ़ीकरण का कार्य, रेलिंग का कार्य पूर्ण होने के कगार पर है। उसके अतिरिक्त चिल्ड्रेन पार्क, वेंडिंग जोन अन्तर्गत 60 दुकानों का निर्माण, लकड़ी का पुल, घेराबंदी का कार्य, सुरक्षा दीवार आदि कार्य प्रगति पर है। गौरतलब है कि ककोलत को अत्याधुनिक तौर पर विकसित और सौंदर्यीकृत किया गया है। नवादा वासियों को प्राप्त प्रकृति का अनुपम ककोलत जलप्रपात अब पूर्व से अधिक सुगम, सुरक्षित और सुन्दर बन गया है, जो पर्यटकों के लिए अत्याधिक आनंद प्रदायी और आकर्षण का केंद्र बन गया है।

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>