बिहार की उच्च शिक्षा और कृषि क्षेत्र को नई पहचान दिलाने वाला एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा ‘A’ ग्रेड प्रदान किया गया है। इस उपलब्धि पर राज्य के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इसे गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि यह सिर्फ विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे बिहार के लिए सम्मान और गर्व की बात है।
‘बिहार अब राष्ट्रीय मंच पर अग्रणी राज्यों की कतार में’
विजय सिन्हा ने कहा कि सबौर कृषि विश्वविद्यालय को मिला यह सम्मान साबित करता है कि बिहार अब शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय मानचित्र पर सशक्त उपस्थिति दर्ज करा चुका है। उन्होंने कहा कि यह सफलता केवल शैक्षणिक नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी एक मील का पत्थर है।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि विश्वविद्यालय की संकल्पशक्ति, शिक्षकों और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, छात्रों की लगन तथा कृषि क्षेत्र से जुड़े किसानों के सहयोग का परिणाम है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय में जो अकादमिक और शोध आधारित वातावरण तैयार किया गया है, उसने बिहार को एक नई दिशा में अग्रसर कर दिया है।
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तीन दिवसीय मूल्यांकन और सशक्त प्रदर्शन
NAAC की पीयर टीम ने 28 मई से 30 मई तक विश्वविद्यालय का गहन निरीक्षण किया। टीम ने शिक्षण, प्रशासन, शोध, आधारभूत संरचना और प्रसार कार्यों का विस्तृत मूल्यांकन किया। 15 वर्षों की अल्पावधि में 3.08 CGPA प्राप्त कर विश्वविद्यालय ने देश के अग्रणी कृषि विश्वविद्यालयों में अपना स्थान पक्का किया है। यह न केवल विश्वविद्यालय की क्षमता को दर्शाता है, बल्कि उसकी प्रशासनिक पारदर्शिता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।
‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सटीक झलक’
सिन्हा ने इस अवसर पर विशेष रूप से उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय की यह सफलता राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की भावना के अनुरूप है। विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम को बहुविषयक, कौशल-आधारित, और नवाचारोन्मुख बनाया है। परिणाम आधारित शिक्षा, उद्योग-अकादमिक साझेदारी और अनुभवात्मक अधिगम पर जोर दिया गया है। छात्रों को वैकल्पिक विषयों के चयन, अनुसंधान में आरंभिक भागीदारी और क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा मिलती है।
‘सशक्त फीडबैक प्रणाली और नीति निर्माण में भागीदारी’
सिन्हा ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय की एक बड़ी विशेषता इसकी मजबूत फीडबैक व्यवस्था है। छात्रों, पूर्व छात्रों, शिक्षकों और नियोजकों सहित सभी हितधारकों से प्राप्त फीडबैक को शिक्षण सुधार और नीतिगत निर्णयों में सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है। यह प्रक्रिया विश्वविद्यालय को समय के साथ बदलने और नई जरूरतों के अनुसार ढलने में सक्षम बनाती है।
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उपमुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिवार को इस उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि अब जरूरत है इस मानदंड को और ऊंचाई तक पहुंचाने की। उन्होंने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय न केवल राज्य बल्कि देश के लिए ज्ञान, विज्ञान और कृषि नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाए। सिन्हा ने कहा कि आइए हम सब मिलकर इस गौरव को स्थायी सफलता में बदलें और बिहार को ज्ञान, विज्ञान और कृषि नवाचार का नेतृत्वकर्ता बनाएं।