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मार्शल आर्ट सीख रहे बच्चे – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के श्मशान घाट में पढ़ने वाले बच्चे अब पढ़ाई के साथ आत्मनिर्भरता सीख रहे हैं। इसमें सैकड़ों की संख्या में पाठशाला के छात्र-छात्राएं इसे सीखकर आत्मरक्षा के गुर सीख रहे हैं। यही नहीं बल्कि यह बच्चे सामान्य नहीं, बल्कि मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। यहां पर पढ़ने वाले बच्चे आसपास की मलिन बस्तियों और झुग्गी बस्ती में रहने वाले हैं, जिनको न सिर्फ पढ़ाई के लिए, बल्कि अब आत्मरक्षा के गुर को सिखाया जा रहा है।
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श्मशान घाट में चलने वाली इस पाठशाला के संस्थापक सुमित कुमार ने बताया कि इस प्रशिक्षण का हमारा मुख्य उद्देश्य लड़कियों और महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए अपराधों और खासकर बच्चियों के साथ होने वाले छेड़खानी की घटना से बचने का है। इसको लेकर ध्यान में रखते हुए हमने ये फैसला लिया है, घर आने जाने और स्कूल आने जाने के दौरान इनके साथ कोई अप्रिय घटना न हो। वे स्वयं की रक्षा में समर्थ हो सकें। यही नहीं बल्कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनें और दूसरे को जागरूक करें और सिखाएं।
एक दो नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चे और बच्चियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
एक दो नहीं बल्कि श्मशान घाट में चलने वाले इस प्रशिक्षण में कुल 130 छात्र-छात्राएं शामिल हैं, जिनको दो भागों में बांटा गया है। सीनियर सेक्शन इसमें कुल 70 छात्र-छात्राएं शामिल हैं, जिसमें 50 लड़कियां और 20 लड़के हैं। यह बच्चे प्रशिक्षण के बाद इसमें से 10 बच्चे बेहतर प्रशिक्षित छात्र-छात्रा का चयन किया जाएगा, जिनकी जिम्मेदारी होगी कि अपने घर के आसपास कम से कम 10-10 बच्चों को सिखाएंगे। यह प्रक्रिया लगातार चलता रहेगा। इसके साथ जूनियर सेक्शन 60 छोटे बच्चों की अलग प्रशिक्षण चल रहा है और वहीं पर इस प्रशिक्षण से इन बच्चों में आत्मबल और बौद्धिक क्षमता का भी विकास होगा, ताकि ये बच्चों में अनुशासन और राष्ट्र के लिए कुछ करने भावना बढ़ेगी। अभी से ही यह प्रशिक्षित होंगे तो आगे चलकर अपने जिला राज्य और राष्ट्रीय के लिए मेडल लेंगे, ऐसा हमारा इनसे अपेक्षा है।
नेशनल लेबल के प्रशिक्षक दे रहे प्रशिक्षण
इस प्रशिक्षण के कार्यक्रम में दो मुख्य शिक्षक सुनील कुमार जो कि बिहार वुशु एसोसिएशन के सचिव हैं तथा वुशु के अंतर्राष्ट्रीय जज हैं, अजीत कुमार सिंह के सहयोग किया जा रहा है। जो की इन बच्चों को बेहतर तरीके से प्रशिक्षण दिए जाने का काम किया जा रहा है। इनको सप्ताह में दो दिन कराया जाएगा, शनिवार और रविवार को, ताकि यहां पर पढ़ने वाले बच्चे खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ में आत्मरक्षा के गुर को सिख सकें और दूसरे को भी आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ा सकें।