Published On: Wed, Dec 18th, 2024

Bihar: शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में नौ शिक्षकों की नौकरी पर तलवार, जाली प्रमाण पत्र का मामला उजागर


Bihar Jobs of 9 teachers in Education Minister Sunil Kumar constituency at stake fake certificate case exposed

शिक्षकों का नियोजन रद्द कर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


गोपालगंज जिले के भोरे प्रखंड में नौ शिक्षकों पर फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप है। जांच में इन शिक्षकों के प्रमाण पत्र और आधार हिस्ट्री में गड़बड़ी पाई गई है। इस मामले में जिला शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही नियोजन इकाई को शिक्षकों का नियोजन रद्द कर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

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नियोजन के दौरान बदले गए नाम और जन्मतिथि

आरोप है कि इन शिक्षकों ने नौकरी के लिए आवेदन करते समय अपने नाम और जन्मतिथि में हेरफेर किया। जांच के दौरान इनका आधार हिस्ट्री चेक किया गया, जिसमें स्पष्ट हुआ कि नौकरी से पहले और नौकरी के समय उपयोग किए गए दस्तावेजों में बड़े बदलाव किए गए थे। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों में ओमप्रकाश यादव, संगीता मौर्या, वंदना, संध्या, ऋषि कुमार, आशीष कुमार, दीपा कुमारी, प्रीति कुमारी और दीपा यादव शामिल हैं।

 

जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई

जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) योगेश कुमार ने बताया कि यह मामला छह प्रखंड शिक्षकों और तीन पंचायत शिक्षकों से जुड़ा है। शिकायत मिलने पर तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था। जांच में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर नौकरी पाने की पुष्टि हुई। अब नियोजन इकाई इन शिक्षकों के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करेगी, जिसके बाद नियोजन रद्द करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

 

शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में मामला, प्रशासन सख्त

यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि यह राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के विधानसभा क्षेत्र भोरे से जुड़ा है। इस प्रकरण से क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिला प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि अगर ऐसे और मामले सामने आते हैं तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 

स्थानीय स्तर पर मचा हड़कंप

भोरे प्रखंड में इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग और स्थानीय समुदाय में हड़कंप मच गया है। फर्जी शिक्षकों की सूची सार्वजनिक होने के बाद अन्य शिक्षकों और स्कूलों के रिकॉर्ड्स की जांच की संभावना भी बढ़ गई है। इस घटना ने बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और प्रमाण पत्रों के सत्यापन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

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