Bihar: पद्मश्री गोदावरी दत्त का निधन, एक हफ्ते कोमा में थीं; मधुबनी पेंटिंग को पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका

पद्मश्री गोदावरी देवी ने बुधवार दोपहर करीब सवा 12 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर है। मधुबनी पेंटिंग कला देश और विदेश में पहचान दिलाने बड़ी भूमिका निभाई।

पद्म श्री गोदावरी दत्त।
– फोटो : अमर उजाला।
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मधुबनी पेंटिंग को देश-विदेश में पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाली पद्मी गोदावरी दत्त का निधन हो गया। पिछले एक हफ्ते से वह कोमा में थीं। मधुबनी मेडिकल सेंटर के डॉक्टर ने किडनी खराब बताकर हायर सेंटर रेफर कर दिया था। इसके परिजन उन्हें घर लेकर आ गए। 93 साल उम्र की पद्मश्री गोदावरी देवी ने बुधवार दोपहर करीब सवा 12 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर है। पद्मश्री गोदावरी दत्त के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने मधुबनी पेंटिंग कला को फर्श और दीवारों से उठाकर देश और विदेशों में पहचान दिलाने बड़ी भूमिका निभाई। वह अक्सर कहती थीं कि आज मैं जो कुछ भी हूं, वह इस कला की बदौलत ही हूं। मधुबनी पेंटिंग कला का ही प्रभाव है, जिसने मुझे बिखरने से बचा लिया। काफी वृद्ध होने के बावजूद वह मधुबनी पेंटिंग बनाती रहीं।
50 हजार से ज्यादा लोगों को मधुबनी पेंटिंग सिखाया
बताया जाता है कि पद्मश्री गोदावरी देवी दत्त ने लगभग 50 हजार से ज्यादा लोगों को मधुबनी पेंटिंग सिखाया था। उनकी कला से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी काफी प्रभावित हुई थीं। पद्मश्री गोदावरी देवी दत्त का जन्म 1930 में दरभंगा जिला के बहादुरपुर थाना क्षेत्र के भगवती स्थान में हुआ था। जब वह काफी छोटी थीं तो उनके पिता का निधन हो गया था। वह अपनी मां सुभद्रा देवी से मिथिला पेंटिंग सीखकर कला की शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे। मधुबनी के रांटी गांव में उपेन्द्र दत्त से उनकी शादी हुई। लेकिन कुछ साल बाद ही पति ने उनके सामने ही दूसरी शादी कर ली थी। इसके बाद वह अपनी एकलौती संतान के साथ अपना जीवन व्यवतीत करती रहीं।