बिहार के स्वास्थ्य तंत्र की हालत पर लगातार उठते सवालों के बीच, हाजीपुर सदर अस्पताल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दौरे से पहले एक अलग ही नजारा देखने को मिला। जहां आम दिनों में बदइंतजामी और लापरवाही की तस्वीरें आम होती हैं, वहीं तेजस्वी यादव के पहुंचने की सूचना मिलते ही अस्पताल को चाक-चौबंद और चमचमाता रूप देने की कवायद शुरू हो गई।
जैसे ही खबर फैली कि तेजस्वी यादव देर रात अस्पताल आने वाले हैं, वैसे ही वैशाली जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अलर्ट हो गए। सिविल सर्जन की निगरानी में अस्पताल के हर कोने की सफाई करवाई गई। बेड पर नई चादरें डाली गईं, मंजिलों पर पोंछा मारा गया और जिन कमरों पर हमेशा ताले लगे रहते हैं, उन्हें खोल दिया गया। इमरजेंसी वार्ड में सामान्यत: एक या दो डॉक्टरों की उपस्थिति रहती है, लेकिन जैसे ही तेजस्वी के काफिले को ट्रक से टक्कर लगने और उनके घायल सुरक्षाकर्मियों के अस्पताल आने की सूचना मिली, तुरंत अतिरिक्त डॉक्टरों को बुला लिया गया।
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स्वास्थ्य विभाग की यह सक्रियता सिर्फ तेजस्वी यादव को प्रभावित करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है। आम तौर पर बंद पड़े कमरों को रातोंरात खुलवाना, बेड सजाना और स्टाफ को एकाएक सक्रिय कर देना, इस बात का संकेत देता है कि व्यवस्था की असलियत नेता के सामने न आए, इसके लिए पर्दा डाला गया।
दरअसल, तेजस्वी यादव का काफिला जब सड़क मार्ग से गुजर रहा था, तभी उसमें शामिल एक वाहन को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे एक पुलिसकर्मी और ड्राइवर घायल हो गए। इन्हें इलाज के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी के मद्देनजर तेजस्वी यादव देर रात घायल कर्मियों का हालचाल लेने अस्पताल पहुंचे।
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हाजीपुर सदर अस्पताल में जो व्यवस्था तेजस्वी यादव के आने पर दिखाई दी, क्या वही आम जनता को रोज मिलती है? यह सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है। हाल ही में पीएमसीएच पटना में एक लड़की की इलाज के अभाव में मौत के बाद प्रदेशभर में सरकार और स्वास्थ्य व्यवस्था की आलोचना हुई थी। ऐसे में तेजस्वी यादव का दौरा महज एक मरीज से मुलाकात नहीं, बल्कि बिहार के स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलने का प्रतीक बन गया।