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छात्राओं ने समानता को लेकर एसीएस को लिखा पत्र – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सरकारी विद्यालयों में ठंड के मौसम में छात्रों की विविधता भरी पोशाक को लेकर समस्तीपुर के अपग्रेड मिडल स्कूल लगुनिया सूर्यकंठ की तीन छात्राओं ने एक अनूठी पहल की। अष्टम वर्ग की सलोनी, संध्या और लक्ष्मी ने बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस सिद्धार्थ को पत्र लिखकर ठंड के मौसम में स्कूल ड्रेस कोड में गर्म कपड़ों को शामिल करने की मांग की। एसीएस को इस पत्र ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने गुरुवार को विद्यालय के प्रधानाचार्य सौरभ कुमार को वीडियो कॉल किया और पत्र लिखने वाली छात्राओं से सीधे बातचीत की।
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पत्र में क्या लिखा था?
तीनों छात्राओं ने पत्र में कहा कि ठंड के मौसम में स्कूल के छात्र रंग-बिरंगे स्वेटर और जैकेट पहनकर आते हैं, जिससे स्कूल ड्रेस छिप जाता है और समानता का भाव नहीं बन पाता। अगर स्कूल ड्रेस में गर्म कपड़ों को भी शामिल कर लिया जाए और उनका रंग नेवी ब्लू रखा जाए तो सभी बच्चे एक समान दिखेंगे। उन्होंने निजी विद्यालयों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके ड्रेस कोड में गर्म कपड़े शामिल होने से एकरूपता नजर आती है।
एसीएस ने की सराहना
पत्र पढ़ने के बाद एसीएस एस सिद्धार्थ ने तीनों छात्राओं की सोच की प्रशंसा की। उन्होंने न केवल इसे एक महत्वपूर्ण सुझाव बताया, बल्कि इस पर विचार करने का भरोसा भी दिलाया। उन्होंने ‘शिक्षा की बात हर शनिवार’ नामक कार्यक्रम के तहत छात्राओं के इस पत्र को शामिल किया। एसीएस ने प्रधानाचार्य और छात्राओं से विद्यालय में चल रही पढ़ाई और अन्य व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की।
ड्रेस कोड में गर्म कपड़ों का अभाव एक बड़ी समस्या
सरकारी विद्यालयों में वर्तमान ड्रेस कोड के तहत गर्म कपड़ों का प्रावधान नहीं है। रंग-बिरंगे स्वेटर और जैकेट के कारण बच्चों में समानता का भाव कमजोर पड़ता है। वर्तमान में कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को ड्रेस के लिए ₹400 से ₹1000 तक की राशि दी जाती है। लड़कों के लिए शर्ट-पैंट और जूते और लड़कियों के लिए सलवार-कुर्ता तथा एस्कॉर्ट्स की खरीदारी इसी राशि में करनी होती है। लेकिन गर्म कपड़े ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं हैं, जिससे छात्रों में एकरूपता नहीं दिखती।
प्रधानाचार्य की ऐसी रही प्रतिक्रिया
प्रधानाचार्य सौरभ कुमार ने इस पहल को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि एसीएस एस सिद्धार्थ ने शिक्षा से जुड़ी समस्याओं पर छात्रों और शिक्षकों से संवाद करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस कार्यक्रम के तहत छात्रों के सुझाव और समस्याओं पर विचार किया जाता है। इसी प्रेरणा से तीन छात्राओं ने पत्र लिखा, जिसे विभाग ने गंभीरता से लिया।