बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रवृत्ति योजनाओं से वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 50 लाख छात्रों को करीब 786 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। यह पहल राज्य के कमजोर वर्गों के छात्र-छात्राओं के लिए न केवल शिक्षा का मार्ग प्रशस्त कर रही है, बल्कि उनके सपनों को पंख भी दे रही है।
प्री-मैट्रिक शिक्षा के लिए सबसे बड़ा योगदान
मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 48 लाख 94 हजार विद्यार्थियों को 598 करोड़ रुपये की राशि दी गई है। इस योजना ने स्कूली स्तर पर छात्रों की शैक्षणिक यात्रा को आर्थिक दृष्टि से सुरक्षित किया है। खासकर ग्रामीण और वंचित वर्ग के छात्रों के लिए यह योजना एक बड़ी राहत साबित हुई है।
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पोस्ट-मैट्रिक छात्रों को मिला निरंतर समर्थन
मैट्रिक के बाद की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना अत्यंत लाभकारी रही है। वर्ष 2023-24 में इस योजना के अंतर्गत लगभग दो लाख 43 हजार विद्यार्थियों को 126 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। इसके पहले वर्ष 2022-23 में लगभग तीन लाख छात्रों को 160 करोड़ रुपये का लाभ प्राप्त हुआ था। इस योजना ने स्नातक, परास्नातक और व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को विशेष सहारा दिया है।
मेधावियों को नई उड़ान देने वाली योजनाएं
अत्यंत पिछड़े वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना ने इस वर्ग के होनहारों को प्रोत्साहन दिया है। 2024-25 में लगभग एक लाख 10 हजार छात्रों को इसका लाभ मिला है, जिनमें 49 हजार बालिकाएं और 61 हजार बालक शामिल हैं। इन छात्रों को कुल 110 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। इसी तरह मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना के अंतर्गत लगभग 77 हजार छात्रों को 77 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई। यह योजना उन छात्रों को सशक्त बना रही है जो संसाधनों की कमी के बावजूद उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
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एक सशक्त और शिक्षित बिहार की ओर कदम
सरकार के अनुसार, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की यह उपलब्धि राज्य में शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन के औजार के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। छात्रवृत्ति योजनाएं अब केवल सहायता नहीं, बल्कि अवसरों के सशक्त साधन बन चुकी हैं। यह पहल आगे चलकर बिहार को एक ऐसे समाज में बदलने में मदद करेगी जहां हर बच्चा, चाहे वह किसी भी वर्ग या पृष्ठभूमि से हो, शिक्षा की रोशनी से वंचित न रहे।