Bihar: ‘अगर बिहार में अच्छी नौकरी मिलती तो परिवार के पास रहकर कमाई करते’- स्टेशन पर मजदूरों ने बयां किया दर्द


हाजीपुर रेलवे स्टेशन पर दूसरे प्रदेश जाने के लिए गाड़ी का इंतजार करते प्रवासी मजदूर
– फोटो : अमर उजाला
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छठ महापर्व के समापन के बाद बिहार से रोजी-रोटी की तलाश में बाहर जाने वाले मजदूरों का अपने प्रदेशों की ओर लौटना शुरू हो गया है। बंगाल, कोलकाता, रायपुर, लुधियाना और दिल्ली जैसे विभिन्न शहरों में काम करने वाले बिहारी कामगार अपने परिवार के साथ छठ मनाने बिहार आए थे। लेकिन पर्व खत्म होते ही अब उन्हें अपने रोजगार के लिए फिर से अन्य प्रदेशों में लौटना पड़ रहा है। हाजीपुर स्टेशन पर लौटने वाले मजदूरों की भारी भीड़ देखने को मिली, जो अपने घरों को छोड़कर फिर से काम के लिए बाहर जा रहे हैं।
‘बिहार में रोजगार नहीं, इसलिए दिल्ली जाना पड़ता है’
दिल्ली लौटने के लिए इंतजार कर रहे अरुण महतो ने बताया कि अगर बिहार में रोजगार के अच्छे अवसर होते तो उन्हें दिल्ली जाने की जरूरत नहीं होती। वे एक मिस्त्री के साथ दिल्ली में काम करके रोजाना करीब 800 रुपये कमा लेते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में अगर यही कमाई हो जाए तो परिवार के पास ही रहकर काम कर सकें और अपने लोगों के बीच जीवनयापन कर सकें।
रोजगार के अभाव में परिजनों से दूर रहने की मजबूरी
दूसरे प्रदेश जाने वाले एक अन्य मजदूर बुधन कुमार ने कहा कि बिहार की आमदनी से परिवार का खर्च नहीं चल पाता है। इसलिए दिल्ली जाकर मेहनत करता हूं। वहां जो कमाई होती है, उससे परिवार का गुजारा अच्छे से हो जाता है।
पिछले दस साल से रायपुर में काम करने वाले दिलीप कुमार ने बताया कि बिहार की आमदनी उनके परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि रायपुर में काम करके हर महीने करीब 18,000 रुपये कमा लेता हूं। लेकिन यह दर्द हमेशा रहता है कि अपनों से दूर रहना पड़ता है। बिहार सरकार अगर रोजगार के अवसर बढ़ा दे तो परिवार के साथ रहने का अवसर मिलेगा।
स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ की स्थिति
हाजीपुर स्टेशन पर प्रदेश लौटने वाले यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेल प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है। आरपीएफ और जीआरपी की टीमों द्वारा नियमित पेट्रोलिंग की जा रही है ताकि यात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
बिहार में रोजगार का अभाव: एक व्यापक समस्या
बिहार में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण राज्य के हजारों मजदूर मजबूरी में बाहर जाने को विवश हैं। यह समस्या सिर्फ मजदूर वर्ग तक सीमित नहीं है बल्कि युवाओं और शिक्षित बेरोजगारों के लिए भी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इस कारण छठ जैसे त्योहारों के बाद हर साल लाखों बिहारी मजदूर और कामगार वापस दिल्ली, मुंबई और अन्य बड़े शहरों में काम के लिए लौटते हैं।