Bhookhe Bhajan Na Hoye Gopala Review: रमेश तलवार का स्टैंडिग ओवेशन, सागर सरहदी ने छह दशक पहले लिखा आज का सच


भूखे भजन न होए गोपाला (हिंदी नाटक)
– फोटो : अमर उजाला
Movie Review
भूखे भजन न होए गोपाला (हिंदी नाटक)
कलाकार
शिवकांत लखनपाल
,
विकास रावत
,
पुनेश त्रिपाठी
,
मसूद अख्तर
,
विष्णु मेरा
,
प्रियल घोरे
,
विकास यादव
,
पृथ्वी केशरी
और
मनोज चिटाडे
लेखक
पृथ्वी थियेटर
निर्देशक
रमेश तलवार
निर्माता
इप्टा
मुंबई शहर वैसे तो सिनेमा का शहर है लेकिन नाटकों की जैसी प्रतिष्ठा इस शहर में है, वैसी शायद ही दुनिया के किसी शहर में देखी गई हो। दुनिया भर घूमने के बाद ये तो समझ आता है कि नाटक, ब्रॉडवे या म्यूजिकल शोज वीकएंड पर लोगों के दिल बहलाने का सबब बनते हैं। लेकिन, कार्य दिवसों पर भी नाटक हों और उनके शोज हाउसफुल हों, ऐसा शायद मुंबई में ही होता होगा। नामचीन लेखक सागर सरहदी जिनकी लिखीं ‘सिलसिला’, ‘नूरी’, ‘कभी कभी’ और ‘चांदनी’ जैसी फिल्मों ने पूरी एक पीढ़ी को सिनेमा देखना सिखाया है। ‘बाजार’ का निर्देशन करके वह हिंदी सिनेमा के नामचीन निर्देशकों में शुमार हुए और ‘भूखे भजन न होए गोपाला’ जैसे नाटक लिखकर रंगमंच की प्रतिष्ठित दुनिया में। सागर सरहदी ने कोई 10 बड़े नाटक और एक दर्जन एकांकी लिखे हैं लेकिन जितना लोकप्रिय उनका नाटक ‘भूखे भजन न होए गोपाला’ रहा है, उतना शायद दूसरा कोई नहीं।