ashok gehlot remember the those hot days in 1990 in rajsthan

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राजस्थान में इन दिनों जानलेवा गर्मी पड़ रही है। पिछले कुछ दिनों में लू और गर्मी से कई लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में अभी नौतपा चल रहा है, जो 2 जून तक चलेगा। इसको बाद ही लोगों को गर्मी से राहत मिलने की संभावना है। फलौदी में पारा 50 डिग्री को छू चुका है। इस गर्मी ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को 1990 के दशक की याद दिला दी।
अशोक गहलोत ने उस समय की गर्मी को याद करते हुए कहा, मुझे याद है कि 1990 के दशक में भी राजस्थान में कुछ जगह तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था। तब भी हीट स्ट्रोक के कारण लोग हताहत हुए थे। उन्होंने बताया कि उस समय अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए बर्फ की सिल्लियां लाईं गईं और हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों के वार्डों का तापमान कम कर उनका इलाज किया गया।
गहलोत ने राज्य सरकार से गर्मी से होने वाली परेशानियों से निपटने के लिए पूरा इंजताम करने को कहा है। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि भयंकर गर्मी और लू को देखते हुए सर्दी में शहरों में बनने वाले रैन बसेरों की तरह गर्मी और लू से बचाव के लिए भी रैन बसेरे बनाए जाएं। जगह-जगह टेंट से कमरे बनाकर नगर निकाय को इनमें पंखे, कूलर और ठंडे पानी का इंतजाम करना चाहिए। इससे दिन में काम करने वालों और बेघर लोगों को सुरक्षित ठिकाना मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में इस बार भी हीट स्ट्रोक से कई लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि बेहद जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें। घर के बाहर पशु-पक्षियों के पीने के लिए भी पानी रखने का प्रयास करें। उन्होंने रोजगार उपलब्ध करवाने वाले लोगों से अपील की है कि इस गर्मी में सहानुभूति विचार कर मजदूर वर्ग से सुबह और शाम ही काम कराएं, जिससे इनका जीवन और आजीविका दोनों चलती रहे।
बता दें राजस्थान में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। फलौदी में शनिवार को तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया, जो देश में सबसे ज्यादा था। बाड़मेर में अधिकतम तपमान 48.8 और जैसलमेर में 48 डिग्री पहुंच गया। हालांकि 30 मई से राज्य के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान में दो से तीन डिग्री तक गिरावट होने की संभावना है।
इस बीच चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया है कि प्रदेश में हीट स्ट्रोक से निपटने के लिए अस्पतालों में दवा, जांच एवं उपचार आदि के समुचित व्यवस्था किए गए हैं। हीट वेव से पीड़ित रोगियों के लिए अलग से वार्ड से बनाए गए हैं। हीट वेव प्रबंधन की राज्य, जोनल, जिला एवं खंड स्तर से मॉनिटरिंग की जा रही है।