जिनकी कहानियां बड़े पर्दे पर ‘गदर’ मचाती हैं वो ‘वनवास’ की बात क्यों कर रहे हैं?
आज घर-घर में वनवास है। ‘गदर 2’ के बाद मैं ‘गदर 3’ शूट कर लेता तो मेरे लिए यह बहुत आसान होता, लेकिन बीते कुछ वक्त से हम यह देख रहे हैं कि हर घर में वनवास जैसी स्थिति पैदा हो गई है। हर बुजुर्ग आदमी वनवासी की तरह रह रहा है। ऐसा नहीं कि बच्चे उनसे प्यार नहीं करते, लेकिन बस उनके पास माता-पिता के लिए समय नहीं है।
आपने मथुरा का जिक्र किया। क्या आपके मन में वहां की कोई स्मृति थी?
वृंदावन में हजारों वृद्ध और विधवा औरतें हैं, जिन्हें उनके घर वालों ने वहां छोड़ दिया। अभी महाकुंभ आ रहा है, जो बेहद खूबसूरत होता है, लेकिन इसका एक दुखद पहलू भी है। कुंभ में हर बार कुछ ऐसे लोग भी आते हैं, जो अपने घर के बुजुर्गों को वहां छोड़ जाते हैं, इसलिए मैंने सोचा कि ‘गदर 2’ के बाद एक पारिवारिक फिल्म बनाएं। एक्शन के माहौल में यह फिल्म बसंत की बहार की तरह होगी। ऐसी फिल्म समाज के लिए जरूरी है। वक्त की धूल हम पर जम गई है और व्यस्तता की धूल में हम रम गए हैं। हम अपने बुजुर्गों की देखभाल नहीं कर पा रहे। मैं उस धूल को आपके चेहरे से हटाकर आईने में आपको हकीकत दिखाना चाहता हूं, ताकि बच्चे अपने बुजुर्गों के लिए वक्त निकाल सकें।
नाना पाटेकर के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?
वो बहुत प्यारे इंसान हैं। नाना के साथ हमें सबसे बड़ी दिक्कत यह होती थी कि वो एकदम कॉल टाइम पर आ जाते थे और अपने शॉट के लिए तैयार रहते थे। अब अगर हम कोई और सीन शूट कर रहे हों तो वो नाराज हो जाते थे कि मेरा शॉट तैयार क्यों नहीं है? हम बड़ी परेशानी में आ जाते थे। फिर हमें समझ आया कि नाना सर पूरा सीन अपने अंदर भरकर लाते हैं और जैसे ही आते हैं, सब उड़ेल देना चाहते हैं। वो तीन घंटे का सीन एक घंटे में खत्म कर देते हैं। फिर हमें समझ आया कि इनके काम करने का तरीका ही अलग है। दूसरे अभिनेता सेट पर आते हैं, वैन में बैठते हैं, कॉफी पीते हैं, निर्देशक के साथ बैठते हैं और फिर सब कुछ समझने के बाद अभिनय करते हैं, लेकिन नाना पाटेकर साहब रात में ही पूरी प्रक्रिया पर काम करते हैं तो रात से ही सीन उनके दिमाग में भर जाता है।
इस फिल्म के लिए आपने नाना पाटेकर को ही क्यों चुना?
हम जब स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे, तब नाना पाटेकर का नाम अचानक सामने आया। समस्या यह थी कि वो तो वनवास में हैं, उन्हें कहां से बुलाएं? उनका तो नंबर भी नहीं था। फिर जैसे-तैसे उनसे संपर्क किया। फिर मैंने सोचा कि अरे यह तो बहुत की कमाल की पसंद है। नाना को फिल्म में देखकर आज के बच्चों को हैरानी होगी कि नाना पाटेकर के लेवल का एक्टर भी हमारे बीच मौजूद है।