Alwar: Youth Protest Against Cancellation Of Si Recruitment 2021 Says Honest Candidates Should Not Be Punished – Alwar News – Alwar:si भर्ती 2021 को निरस्त करने के खिलाफ युवाओं का प्रदर्शन तेज, बोले

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे मानते हैं कि भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियां हुई हैं। कुछ अभ्यर्थियों ने नकल या अन्य तरीकों से परीक्षा को प्रभावित किया है, लेकिन इस आधार पर पूरी भर्ती को रद्द करना हजारों मेहनती और ईमानदार अभ्यर्थियों को सजा देने के समान है। शहीद स्मारक पर जुटे युवाओं ने सरकार से मांग की कि उन दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, लेकिन उन लोगों को नौकरी से वंचित न किया जाए जिन्होंने सब कुछ सही तरीके से किया।
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‘भर्ती रद्द करना नहीं, दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो’
अभ्यर्थियों का कहना था कि अगर परीक्षा में धांधली हुई है तो सरकार जांच करे, सबूत इकट्ठा करे और जो भी दोषी हैं ‘चाहे उम्मीदवार हों या परीक्षा संचालित करने वाले अधिकारी’ उन्हें सजा दी जाए। लेकिन पूरे चयन को रद्द करना उस न्याय सिद्धांत के खिलाफ है, जो कहता है कि निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। युवाओं ने सवाल उठाया कि सरकार यह कैसे तय करेगी कि किसने परीक्षा ईमानदारी से दी और किसने नहीं? जब तक यह तय नहीं होता, तब तक किसी का हक कैसे छीना जा सकता है?
प्रदर्शन में शामिल राकेश नामक अभ्यर्थी ने कहा कि हमने तीन साल मेहनत करके यह परीक्षा पास की है। अब जब नियुक्ति का वक्त आया है, तो सरकार हमें नकलची लोगों की आड़ में बाहर करने पर तुली है। अगर यह होता है तो यह सिर्फ अन्याय नहीं, हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
‘केंद्रीय मंत्री को सौंपेंगे ज्ञापन’
प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि वे अपनी बात केंद्र सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे। इसके तहत केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें भर्ती प्रक्रिया को बरकरार रखने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग प्रमुख रूप से रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अब सिर्फ एसआई भर्ती की नहीं, बल्कि हर उस मेहनती युवा की है जो व्यवस्था पर भरोसा करके आगे बढ़ना चाहता है।
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व्यवस्था पर भी उठे सवाल
हालांकि इस पूरे विरोध प्रदर्शन के बीच यह भी साफ दिखाई दिया कि अभ्यर्थी अपनी नाराजगी और भावना तो प्रकट कर रहे हैं। लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि इतनी व्यापक धांधली के बाद सरकार क्या करे, तो कोई ठोस समाधान सामने नहीं आ सका। जब उनसे पूछा गया कि किसे ईमानदार माना जाए और किसे नहीं, तो वे इसका स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। यही सवाल अब सरकार के सामने भी है कि क्या फिर से परीक्षा कराना ही एकमात्र निष्पक्ष रास्ता है?