Published On: Sat, Nov 30th, 2024

Ajmer Dargah Temple Case: Minister Jogaram Verbally Attacked Gehlot’s Statement On 1947 Law – Amar Ujala Hindi News Live


Ajmer Dargah Temple Case:  राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर लेकर शुरू हुए विवाद में नए-नए तथ्य और बहस सामने आ रहे हैं। एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कानून का हवाला देते हुए बयान दिया था, जिस पर अब राजस्थान के मंत्री जोगाराम पटेल ने पलटवार करते हुए नई बहस छेड़ दी है।

दरगाह में मंदिर विवाद पर गहलोत ने कहा कि एक कानून पारित किया गया था। इसके तहत 15 अगस्त 1947 तक बने विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों पर सवाल नहीं उठाए जाएंगे। इस पर मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। ऐसा कोई कानून नहीं है, जो कोर्ट के इस अधिकार को बाधित करता हो 

 

#WATCH | Jaipur | On a suit claiming Shiva temple within Ajmer Sharif Dargah, Rajasthan Minister Jogaram Patel says, “In the Ajmer Dargah case, the court has taken cognisance, the civil court has issued notice, and all parties have been summoned. A matter which is sub-judice… pic.twitter.com/m3reQE8LnR

अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर राजस्थान के मंत्री जोगाराम पटेल कहते हैं कि अजमेर दरगाह मामले में कोर्ट ने संज्ञान लिया है, सिविल कोर्ट ने नोटिस जारी किया है और सभी पक्षों को बुलाया गया है। जो मामला न्यायालय में विचाराधीन है, उस पर कोर्ट के बाहर सवाल नहीं उठाए जा सकते। हर कोई अपना पक्ष रख सकता है और कोर्ट में अपनी बात रख सकता है और फिर कोर्ट उचित कार्रवाई करेगा… जहां तक पूर्व सीएम अशोक गहलोत द्वारा बताए गए 1947 के कानून का सवाल है, हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। ऐसा कोई कानून नहीं है, जो कोर्ट के इस अधिकार को बाधित करता हो कि वह किस मामले की सुनवाई करे और किसकी नहीं।

 

#WATCH | Jaipur: On a suit claiming Shiva temple within Ajmer Sharif Dargah, Former Chief Minister of Rajasthan and Congress leader Ashok Gehlot says, “…A law was passed that the places of worship of different religions which have been constructed by 15 August 1947, will not be… pic.twitter.com/i9fy5A0OqU

ये है मामला

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर शरीफ को महादेव का मंदिर बताते हुए अदालत में याचिका दाखिल की थी। अदालत ने इस मामले को सुनवाई के योग्य मानते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए। इसके बाद से देश भर में इसे लेकर नेताओं के बयान आने शुरू हो चुके हैं। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा है, ”संकटमोचक महादेव मंदिर जिसे आज अजमेर शरीफ की दरगाह के नाम से जाना जाता है, असल में वह शिव जी का मंदिर था। मुगल आततायियों ने उस मंदिर को तोड़कर अजमेर शरीफ की दरगाह बनाई गई। अगली तारीख 20 दिसंबर 2024 है। पुस्तक 1910 में लिखी गई। जब सर्वे होगा तो सब सामने आ जाएगा।” 

ये है कानून

मंदिर-मस्जिद में पहले उठे विवादों के फलस्वरूप संसद की ओर से अधिनियमित एक कानून बना था। इस कानून में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी पूजा स्थल की स्थिति अपरिवर्तित रहेगी और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।

20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय

निचली अदालत ने दरगाह से जुड़े तीन पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। मुस्लिम पक्ष याचिका को स्वीकारे जाने का विरोध कर रहा है तो वहीं इस मामले में अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का बयान भी आया है। 

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