Ajmer Dargah Temple Case: Gehlot Verbally Attacked Bjp On The Claim Of Temple In The Dargah – Amar Ujala Hindi News Live – Ajmer Dargah Temple Case:मंदिर के दावे पर गहलोत बोले

निचली अदालत के आदेश के बाद देश में अब अजमेर दरगाह को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 800 साल पुरानी दरगाह में मुस्लिम और हिंदू भी आते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दरगाह पर चादर चढ़ाई जाती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पीएम यहां चादर चढ़ा रहे हैं और उनकी पार्टी के लोग कोर्ट में केस कर भ्रम पैदा कर रहे हैं… तो एक कौम के लोग क्या सोचते होंगे।
गहलोत बोले हर कौम में धर्म के नाम पर थोड़ा बहुत भेदभाव होता है, अगर इतनी घृणा पैदा कर देंगे तो वहां विकास नहीं हो सकता। गहलोत ने कहा कि एक कानून पारित किया गया था कि 15 अगस्त 1947 तक बने विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों पर सवाल नहीं उठाए जाएंगे। भाजपा-आरएसएस की सरकार बनने के बाद से ही कुछ लोग धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। सभी चुनाव ध्रुवीकरण करके जीते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष को साथ लेकर चले और विपक्ष के विचारों का सम्मान करे, जो वे नहीं कर रहे हैं। आरएसएस हिंदुओं को एकजुट नहीं कर पा रहा है और उन्हें देश में भेदभाव को खत्म करने के लिए अभियान चलाना चाहिए।
ये है मामला
गौरतलब है कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर शरीफ को महादेव का मंदिर बताते हुए अदालत में याचिका दाखिल की थी। अदालत ने इस मामले को सुनवाई के योग्य मानते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए। इसके बाद से देश भर में इसे लेकर नेताओं के बयान आने शुरू हो चुके हैं। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा है, ”संकटमोचक महादेव मंदिर जिसे आज अजमेर शरीफ की दरगाह के नाम से जाना जाता है, असल में वह शिव जी का मंदिर था। मुगल आततायियों ने उस मंदिर को तोड़कर अजमेर शरीफ की दरगाह बनाई गई। अगली तारीख 20 दिसंबर 2024 है। पुस्तक 1910 में लिखी गई। जब सर्वे होगा तो सब सामने आ जाएगा।”
तहखाना कर दिया गया है बंद
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि नीचे के तहखाने को ये नहीं खोल रहे हैं। अंग्रेजों के समय पूजा-पाठ का अधिकार था, लेकिन अब नहीं खुलता है। वहां शिव जी का मंदिर है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को खत्म करने के लिए अर्जी दी गई है, क्योंकि वह हमारे मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय
बता दें कि निचली अदालत ने दरगाह से जुड़े तीन पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। मुस्लिम पक्ष याचिका को स्वीकारे जाने का विरोध कर रहा है तो वहीं इस मामले में अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का बयान भी आया है। उन्होंने कोर्ट के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने इसे धार्मिक सद्भावना के खिलाफ बताया है। कोर्ट ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, एएसआई और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया है। उधर, अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने इस मामले में कहा कि अजमेर शरीफ विविधता में एकता का प्रतीक है। इसे मानने वाले करोड़ों लोग हैं। हम रोज-रोज का तमाशा सहते नहीं रहेंगे।
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